अवैध माइनिंग की भेंट चढ़ा डेरीवाल का बिजलीघर व रिहायशी क्षेत्र

Edited By swetha,Updated: 25 Feb, 2020 10:07 AM

illegal mining

गुंडा पर्ची के कारण बढ़े रेत-बजरी के रेट

 पठानकोट (कंवल): सुरक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण सीमावर्ती जिला पठानकोट में इस समय अवैध माइनिंग का धंधा पूरे राज्य में सुर्खियां बटोर रहा है। इसे मिलीभगत कहें या राजसी धाकड़शाही, अवैध माइनिंग का कारोबार दिनरात धड़ल्ले से जारी है। रावी नदी हो या चक्की दरिया या फिर कोई भी खड्ड यहां सरेआम पीला पंजा धरती का सीना छननी करता जा रहा है।  डेरीवाल का बिजलीघर और रिहायशी क्षेत्र इस अवैध माइनिंग की भेंट चढ़ चुका है। इस कारण बरसात के दिनों में लोगों को घरों के बहने का खतरा लगा रहता है और लोगों को जाग कर रात काटने के लिए मजबूर होना पड़ता है।  

डेरीवाल वासियों ने अवैध खनन के कारण घरों को भी बन रहे खतरे को दिखाते हुए प्रशासन के खिलाफ रोष प्रदर्शन किया। प्रदर्शकारियों ने कहा कि लगातार खनन के कारण नलवा नहर करीब 25-30 फुट गहरी हो गई है और पानी के बहाव का रुख लोगों के घरों तथा 66 के.वी. बिजलीघर की तरफ हो गया है। वह दिन दूर नहीं जब बिजलीघर तथा लोगों के घर इस माइनिंग की भेंट चढ़ जाएंगे। भूमि कटाव के कारण जहां आसपास की उपजाऊ भूमि भी बंजर बनती जा रही है, वहीं लोगों के घरों में मात्र 10 फुट तक ही दूरी रह गई है। लोगों ने कहा कि करीब 25-30फुट गहरी हो चुकी नहर के किनारे के तोंदे (ढिगें) अक्सर गिरतीं रहती हैं, जिसके चलते वह दिन दूर नहीं जब हमारे घर गहरी नहर अपनी चपेट में ले लेगी। लोगों ने कहा कि डेरीवाल की हद में बसत की 325 एकड़ जमीन नगर निगम ने अपने अधीन ली हुई है। इसके बावजूद न निगम ही इस खतरे का कोई समाधान कर रहा है और सिंचाई विभाग तो शायद किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रहा है। लोगों ने प्रशासन व पंजाब सरकार से अपने घरों को बचाने की गुहार लगाते हुए, तुरन्त कर्रवाई करने की मांग की है। 

गुंडा पर्ची के कारण बढ़े रेत-बजरी के रेट
गरीब लोगों के लिए इस महंगाई के युग में घर बनाना पहले ही कठिन है, ऊपर से गुंडा पर्ची भारी लूट का कारोबार राजसी छत्रछाया में चलने के कारण जहां क्रशर उद्योग को भारी चूना लग रहा है, वहीं आम लोगों के लिए रेत-बजरी मंहगी मिलने के कारण घर बनाना और भी कठिन होता जा रहा है, क्योंकि अवैध ढंग से लगाई गुंडा पर्ची जिससे प्रति सैंकड़ा रेत-बजरी पर 400 से 500 रुपए वसूला जा रहा है। जिस कारण रेत बजरी के रेट आसमान छूने लगे हैं। गरीब परिवार को अपना घर बनाने में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। जबकि प्रशासन की नाक तले यह गुंडा पर्ची का कारोबार मिलीभगत से जारी है। कोई प्रशासनिक अधिकारी इसे बंद करना तो दूर इसकी तरफ देखने से भी कतराता दिखाई देता है।

लगतार बंजर हो रही उपजाऊ भूमि 
 चक्की व रावी नदी के अलावा अनेकों खड्डों में लगातार माइनिंग के चलते जिले भर में बड़े स्तर पर किसानों की उपजाऊ जमीन लील ली है। इन खड्डों व नदियों के आसपास बिना सिंचाई के सैंकड़ों एकड़ उपजाऊ जमीन बंजर बनती जा रही है। यही नहीं माइनिंग के कारण भूजल का स्तर लगातार नीचे गिरने कारण लोगों के लिए भविष्य में पानी की बूंद-बूंद के लिए मोहताज होना पड़ सकता है।

  

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