ऐतिहासिक धरोहर की रक्षा के लिए पुरातत्व विभाग सतर्क: 2 करोड़ की लागत से किला मुबारक की होगी मुरम्मत

Edited By Vatika,Updated: 23 Feb, 2019 04:18 PM

qila mubarak bathinda

विश्व का इतिहास समेटे हुए किला मुबारक ऐतिहासिक धरोहर की रक्षा के लिए पुरातत्व विभाग द्वारा योजना तैयार कर 2 करोड़ रुपए की लागत से पहले चरण में इसकी मुरम्मत की जा रही है जिससे बठिंडा के किला मुबारक के अब दिन फिरने लगे हैं। बता दें कि किला मुबारक का...

बठिंडा (विजय): विश्व का इतिहास समेटे हुए किला मुबारक ऐतिहासिक धरोहर की रक्षा के लिए पुरातत्व विभाग द्वारा योजना तैयार कर 2 करोड़ रुपए की लागत से पहले चरण में इसकी मुरम्मत की जा रही है जिससे बठिंडा के किला मुबारक के अब दिन फिरने लगे हैं। बता दें कि किला मुबारक का बाहरी हिस्सा जो बेहद कमजोर हो गया था अब ढहना शुरू हो गया था जबकि दीवारों पर की गई चित्रकारी भी फीकी पडऩी शुरू हो गई थी। वहीं किले के सभी दरवाजे भी टूटने लगे थे जिसको देखते हुए अक्तूबर 2013 में पुरातत्व विभाग चंडीगढ़ ने यहां एक सर्वे किया था जिसके चलते 2 करोड़ रुपए के एस्टीमेट के बाद अब किले की मुरम्मत का कार्य शुरू कर दिया गया है। 

क्या है किले का इतिहास
इस किले पर कई शासकों ने अपना कब्जा भी जमाया जिसकी रोचक जानकारी यह है-
-ई. 90-110-राजा ढाब सिंह ने किले को बनवाया।
-179-भट्टी रायो ने किले को नए ढंग से बनवाया जिसके चलते यहां बठिंडा बसा। 
-1004-सुलतान मोहम्मद गजनी ने किले पर कब्जा किया था।
-1045-पीर हाजीरतन किले में पधारे थे।
-1189-सुलतान मोहम्मद गौरी ने किले पर कब्जा किया था।
-1191-बादशाह पृथ्वी राज चौहान का कब्जा हुआ था।
-1240-बेगम रजिया सुलताना को यहां कैद किया गया था।
-1706-दश्म पिता गुरु गोबिंद सिंह किले की चरण स्पर्श भूमि है।
-1835-46-महाराजा करम सिंह ने गुरु गोबिंद सिंह की स्मृति में यहां पर गुरुद्वारा साहिब का निर्माण करवाया था।

278 ई. में राजा ढाब सिंह ने किले का किया था निर्माण 
बठिंडा का किला मुबारक कुल 15 एकड़ में बना हुआ है जिसकी ऊंचाई 118 फीट है। इस किले का निर्माण 278 ई. में राजा ढाब सिंह द्वारा किया गया था। किले में उस वक्त के कारीगरों ने दीवारों पर बेहद आकर्षित चित्रकारी की थी। इतना ही नहीं किले की छतों पर भी सुंदर चित्रकारी की थी। किले के मुख्य द्वार पर राजाओं के सिपाही तैनात हुए करते थे। वहीं आसपास की हरकत पर पैनी नजर रखने के लिए कुछ सिपाही किले के ऊपर बुर्ज में तैनात किए जाते थे। हर बार नया शासन आते ही किले की रूप-रेखा को संवार दिया जाता था। इसके साथ किले के नाम भी कई बार बदले जा चुके हैं। इस किले की विशेषता यह है कि सिख धर्म के कई गुरुओं ने इसमें अपने चरण डाले थे। 

सर्वे के बाद किले की मुरम्मत का कार्य हुआ शुरू
पुरातत्व विभाग चंडीगढ़ की 2 सदस्यीय टीम ने वर्ष 2013 में बठिंडा के किला मुबारक का एक सर्वे किया था। टीम द्वारा किले के नष्ट हो रहे हिस्सों की मुरम्मत के लिए एस्टीमेट तैयार किया गया था जिसको मंजूरी मिलने के पश्चात अब पुरातत्व विभाग द्वारा किले की मुरम्मत का कार्य शुरू कर दिया गया है। किले में इस वक्त ऊंचाई पर निर्माण कार्य को 2 हिस्सों में बांट दिया गया है। इस वक्त इन दोनों जगहों पर मुरम्मत का कार्य चल रहा है। विभाग के स्थानीय अधिकारियों का कहना है कि किले की मुरम्मत का काम चल रहा है। इसके बाद बाकी का काम भी शुरू कर दिया जाएगा। बेशक इस ऐतिहासिक धरोहर के लिए पुरातत्व विभाग गंभीर है और उन्होंने किले के 200 मीटर के दायरे में सभी प्रकार के निर्माण कार्यों पर पाबंदी लगा रखी है परंतु अधिकारियों की मिलीभगत से निर्माण जोरों से हुआ। निगम की ओर से नक्शे पास नहीं किए जाते फिर भी लोगों ने वहां अवैध निर्माण कर रखे हैं जिससे किले की सभ्यता लुप्त होती जा रही है। 

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