महाराजा यादविंदर एन्क्लेव बनी पहली कूड़ा मुक्त कालोनी

Edited By Punjab Kesari,Updated: 12 Mar, 2018 03:34 PM

maharaja yadavwinder enclave first trash free colony

स्वच्छ भारत मुहिम को लागू करने के लिए केंद्र और राज्य सरकार चाहे अरबों रुपए खर्च करके इस मुहिम को पूर्ण तौर पर लागू करने में सफल न हुई हो, परन्तु पटियाला में एक ऐसी कालोनी है जो इस समय पूर्ण रूप में स्वच्छ है और घरों के कूड़े से जहां जमीन को उपजाऊ...

पटियाला (बलजिन्द्र): स्वच्छ भारत मुहिम को लागू करने के लिए केंद्र और राज्य सरकार चाहे अरबों रुपए खर्च करके इस मुहिम को पूर्ण तौर पर लागू करने में सफल न हुई हो, परन्तु पटियाला में एक ऐसी कालोनी है जो इस समय पूर्ण रूप में स्वच्छ है और घरों के कूड़े से जहां जमीन को उपजाऊ बनाने वाली खाद बनाई जाती है, वहीं कई घरों की रोजी-रोटी भी चलती है।
 

इस पूरे प्रोजैक्ट का एक ही सूत्रधार है।नगर निगम के एक्सियन और महाराजा यादविंदर एन्क्लेव वैल्फेयर एसोसिएशन के प्रधान दलीप कुमार ने जब इस प्रोजैक्ट की शुरूआत की तो उनको कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा, परन्तु  4 माह की मेहनत के बाद जब यह प्रोजैक्ट सफल हो चुका है तो इसे जिला प्रशासन की तरफ से डिप्टी कमिश्नर कुमार अमित, नगर निगम के कमिश्नर गुरप्रीत सिंह खैहरा व मेयर संजीव बिट्टू की तरफ से एक पायलट प्रोजैक्ट घोषित कर दिया गया है। बाकायदा तीनों अधिकारियों की तरफ से इसका आधिकारिक तौर पर दौरा कर इसका जायजा भी लिया गया।

 

कालोनी में हैं 190 मकान
महाराजा यादविंदर एन्क्लेव पुडा की तरफ से काटी गई थी और वर्तमान समय इस कालोनी में लगभग 190 घर हैं। कालोनी में से 1.25 किं्वटल गीला कूड़ा और 70-80 किलोग्राम सूखा कूड़ा निकलता है। कूड़े को इकट्ठा करने के लिए कालोनी वासियों ने मंगल राम नाम के व्यक्ति को हायर किया हुआ है। यह कालोनी 8 साल पहले लगभग बननी शुरू हुई, तब से ही मंगल राम घर-घर से कूड़ा इकट्ठा करता है। प्रत्येक घर से मंगल राम लगभग 90 रुपए औसतन पैसे ले रहा है, जिससे 15 हजार रुपए निर्धारित कमाई हो जाती है। इसके बाद सूखे कूड़े से जो आय होती है, वह लगभग 13 हजार रुपए महीने पर पहुंच गई है और आज एक कूड़ा उठाने वाला व्यक्ति28,300 रुपए के लगभग की आय कर रहा है।

 

कैसे संभाला जाता है कूड़ा
एक्सियन दलीप कुमार ने बताया कि कालोनी का प्रधान होने के नाते उनकी तरफ से जगह-जगह पर 2 तरह के कूड़ादान लगाए गए हैं, जिनमें गीला कूड़ा और सूखा कूड़ा डाला जाता है। खतरनाक कूड़ा जिन में बॉयोमैडीकल वेस्ट और डाइपर आदि को अलग रखा जाता है। निर्धारित जगह पर लाकर गीले कूड़े को अलग कर लिया जाता है और सूखे कूड़े को अलग कर लिया जाता है। सूखे कूड़े में रैपर, स्वीट बॉक्स, पी.बी.सी. बोतलें, गिलास, टीन पेंट बॉक्स, ब्लैक प्लास्टिक, एल्यूमीनियम लिट, कपड़ा वेस्ट, ब्रास, पुराने अखबार और अन्य रद्दी आदि को एक तरफ अलग कर लिया जाता है। उन्होंने बताया कि रोज की कालोनी में से 1 क्विंटल 25 किलो गीला कूड़ा और 60 से 70 किलो सूखा कूड़ा निकल रहा है। इसके अलावा गार्डन वेस्ट जिसमें पत्ते, घास आदि के लिए अलग से कूड़ा दान बनाया गया है। इस कूड़ा दान में सिर्फ घास और पत्तों से ही कम्पोस्ट खाद तैयार की जाती है।

 

बदबू का दूर-दूर तक कोई नाम नहीं
पंजाब केसरी टीम की तरफ से जब मौके का दौरा किया गया तो बदबू का दूर-दूर तक नाम नहीं था। इस पूरे पायलट प्रोजैक्ट में एक भी मक्खी कहीं घूमती दिखाई नहीं दी। यहां एक्सियन दलीप कुमार ने समूचे प्रोजैक्ट को अलग-अलग भागों में बांटा हुआ है। सबसे पहले कूड़ा सैगरीगेशन सैंटर बनाया गया, उसके बाद गीले कूड़े को पिट में डाल दिया जाता है और सूखे कूड़े को अलग से एक ड्रम में डाल दिया जाता है। खतरनाक कूड़े को अलग से संभाल कर डिस्पोज ऑफ करने के लिए रख लिया जाता है। यहां करेटों को साफ करने और यहां काम करने वाले व्यक्तियों के बैठने, उठने और खाने-पीने का समूचा प्रबंध है।

 

यह है कूड़े से खाद बनाने की प्रक्रिया
एक्सियन दलीप कुमार ने बताया कि उनकी तरफ से कालोनी में निर्धारित कूड़ा फैंकने की जगह को सबसे पहले डिवैल्प किया गया। इसे साफ-सुथरा करके यहां 3 कम्पोस्ट पिट बनाए गए, जिनकी गहराई डेढ़ मीटर, एक मीटर चौड़ा और 3 मीटर लंबा है। इसमें एक बार में 5 टन कूड़ा आ जाता है। इस पिट में गीला कूड़ा ही डाला जाता है, जिसमें किचन का वेस्ट, फ्रूट, एग आदि के वेस्ट को डाल कर इसे निर्धारित विधि अनुसार पिट कर को कवर कर दिया जाता है। कूड़े से खाद जल्दी बने, इसलिए डी कम्पोजर से लेकर गोबर आदि सभी विधियों को अपनाया गया है। एक्सियन दलीप कुमार ने बताया कि कूड़े से कम्पोस्ट खाद 90 से 120 दिनों में तैयार हो जाती है और एक पिट को तैयार करने के लिए 650 इट्टें, 2 सीमैंट के थैले, 15 थैले रेत, एक मिस्त्री, 2 मजदूर 2 दिनों में तैयार कर देते हैं। ऐसे में यह कोई बहुत ज्यादा खर्च वाली विधि नहीं है और हमारी पी.एम.आई.डी.सी. की गाइड लाइन अनुसार ही कम्पोस्ट खाद्य तैयार की जाती है। 

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