वंदे भारत ट्रेन को लेकर सर्वे, सामने आई चौंकाने वाली बात

Edited By Kalash,Updated: 04 Dec, 2025 11:44 AM

vande bharat train survey

क्षेत्र में किए गए एक सर्वेक्षण में यह चौंकाने वाली बात सामने आई।

बरनाला (विवेक सिंधवानी, रवि): फिरोजपुर से दिल्ली के बीच वाया धूरी, पटियाला हाल ही में शुरू हुई अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त ट्रेन 'वंदे भारत एक्सप्रेस' का बरनाला जैसे बड़े और महत्वपूर्ण स्टेशन पर ठहराव न होना निश्चित रूप से दुर्भाग्यपूर्ण है। हालांकि, इस महत्वपूर्ण स्टेशन पर ट्रेन के न रुकने के बावजूद, आम आदमी इस मुद्दे के प्रति उदासीन है और कोई विशेष रुचि नहीं दिखा रहा है। क्षेत्र में किए गए एक सर्वेक्षण में यह चौंकाने वाली बात सामने आई। सर्वेक्षण के अनुसार, ज्यादातर लोग वंदे भारत को एक लग्जरी, महंगी और विलासिता पूर्ण गाड़ी मानते हैं और इसे अपने दैनिक जीवन के लिए ज्यादा उपयोगी नहीं समझते हैं। बरनाला में ठहराव न होने के प्रति उनकी सोच इसे मात्र 'राजनीतिक श्रेय लेने की होड़' का हिस्सा बताती है।

लोगों की पहली प्राथमिकता क्या है?

सामान्य लोगों का मानना है कि वंदे भारत जैसी विशिष्ट ट्रेनों को चलाने से पहले, आम रेलगाड़ियों में यात्रियों के लिए यात्रा को सुखद, सुविधापूर्ण और पर्याप्त क्षमता वाला बनाया जाना ज्यादा जरूरी है।  बरनाला एक जिला मुख्यालय, नगर निगम और चारों ओर से गांवों व कस्बों से घिरा हुआ बड़ा महत्वपूर्ण रेलवे स्टेशन है। यहां के लोगों को दिल्ली, अमृतसर, लुधियाना, जालन्धर और अन्य बड़े व्यापारिक केंद्रों पर जाने के लिए पर्याप्त गाड़ियां उपलब्ध नहीं हैं। इस कमी के कारण क्षेत्र के व्यापार को वह बुलंदी प्राप्त नहीं हुई है जो प्राप्त होनी चाहिए थी। लोगों की प्राथमिकता और बड़ी मांगें इस प्रकार हैं।

वंदे भारत ठहराव:

ऐसी स्थिति में, यदि वंदे भारत ट्रेन को यहां ठहराव मिल जाता है, तो यह अच्छी बात है।

ई.एम.यू. ट्रेनों की मांग: 

लेकिन इससे अच्छी और बड़ी बात यह होगी कि बठिंडा से अम्बाला वाया बरनाला-धूरी और बठिंडा से अमृतसर वायाबरनाला-धूरी-लुधियाना आदि से ई.एम.यू. ट्रेंनें (इलैक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट, यानी लोकल/इंटरसिटी ट्रेनें) चलाई जाएं। यदि ऐसा हो जाता है, तो क्षेत्र की बहुपक्षीय उन्नति (व्यापार, शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में) निश्चित है, क्योंकि इससे प्रतिदिन आवागमन करने वाले हजारों यात्रियों को सस्ती और नियमित सुविधा मिलेगी।

ट्रैफिक जाम की समस्या: ओवरब्रिज की बड़ी मांग

सर्वेक्षण में यह बात भी सामने आई कि आम लोग इन नई ट्रेनों के चलन की मांग के अतिरिक्त एक बहुत बड़ी और पुरानी मांग की ओर इशारा करते हैं। वह है: गांधी आर्य स्कूल के पास सेखा रेलवे फाटक पर 'ओवरब्रिज' या 'अंडरपास' का बनाया जाना। यात्रियों और स्थानीय निवासियों का कहना है कि इस व्यस्त फाटक पर कई बार घंटों फाटक बंद रहने से बड़े-बड़े जाम लगे रहते हैं। इससे आम लोग, विशेषतः विद्यार्थी और व्यापारी, बेहद परेशान होते हैं। फाटक बंद होने से समय और ईंधन दोनों की बर्बादी होती है, और आपातकालीन सेवाओं के लिए भी बड़ी बाधा उत्पन्न होती है।

क्षेत्र के लोगों का मानना है कि यह समस्या वंदे भारत के ठहराव से कहीं ज्यादा गंभीर और तत्काल ध्यान देने योग्य है। यह सर्वेक्षण स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि बरनाला के लोग 'लग्जरी' सुविधाओं के बजाय बुनियादी और दैनिक आवागमन की सुविधा को ज्यादा महत्व देते हैं। उनकी प्राथमिकताएं इस क्रम में हैं:

स्थानीय कनेक्टिविटी: सस्ती और पर्याप्त ई.एम.यू. ट्रेनों की शुरुआत।

यातायात प्रबंधन: सेखा रेलवे फाटक पर ओवरब्रिज/अंडरपास का निर्माण।

व्यापारिक कनेक्टिविटी: दिल्ली, अमृतसर, लुधियाना जैसे बड़े केंद्रों के लिए पर्याप्त रेलगाड़ियों की उपलब्धता।

अतिरिक्त लग्जरी: वंदे भारत जैसी ट्रेनों का ठहराव (यदि उपर्युक्त जरूरतें पूरी हो जाएं)।

राजनीतिक दलों और रेलवे प्रशासन के लिए यह सर्वेक्षण एक स्पष्ट संकेत है कि उन्हें क्षेत्र की वास्तविक और तात्कालिक जरूरतों को पहचानना चाहिए, न कि केवल प्रतीकात्मक परियोजनाओं पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

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