Edited By Kamini,Updated: 02 Jul, 2024 07:18 PM
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दरअसल, इस गंदे धंधे के परवान चढ़ने की एक वजह रात के समय खुलने वाले शराब के ठेके भी हैं। कई युवक रात के समय शराब पीने का अपना शौक पूरा करने के लिए यहां पर आते है।
जालंधर (कशिश) : जालंधर के बस स्टैंड से लेकर रेलवे स्टेशन तक दर्जनों होटल और गैस्ट हाउस संविधान के अनुच्छेद 32 और अनुच्छेद 226 का खूब लाभ उठा रहे हैं और यही नहीं इन अनुच्छेदों की जानकारी अपने अविवाहित जोड़ों को भी दे रहे हैं ताकि वे बिना किसी डर के उनके होटल और गैस्ट हाउस में निरंतर आ सकें।
कानून की आड़ में इन होटल-गैस्ट में चल रहे देह व्यापार के गोरखधंधे से जालंधर रेलवे स्टेशन के आसपास का क्षेत्र रैड लाइट एरिया बनता जा रहा है। ऐसा नहीं कि पुलिस को कुछ पता नहीं है। इस रोड पर पूरा दिन और रात पुलिस की गश्त रहती है और रेलवे स्टेशन की एंट्री पर पुलिस की नाकाबंदी भी है लेकिन इसके बावजूद इस क्षेत्र में गंदे धंधे के चलने से दाल में सब कुछ काला की ओर इशारा करता है।
दरअसल, इस गंदे धंधे के परवान चढ़ने की एक वजह रात के समय खुलने वाले शराब के ठेके भी हैं। कई युवक रात के समय शराब पीने का अपना शौक पूरा करने के लिए यहां पर आते है। रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड तक पिछले 3 सालों से कई गैस्ट हाउस और होटल खुल चुके हैं जो शराब पिलाने के साथ-साथ रात को रंगीन करने का इंतजाम भी कर देते है। रेलवे स्टेशन के इर्द-गिर्द के करीब दर्जन भर होटलों- गैस्ट हाउस का दाना-पानी देह के धंधे पर ही टिका हुआ नजर आ रहा है। यहां पर 800 से 1000 रुपए घंटे की दर से कमरे की उपलब्धता है वो भी बिना पहचान पत्र के।
ब्हाट्एप के जरिए होता है पूरा खेल
होटल व गैस्ट हाउस संचालकों से जुड़े दलालों द्वारा ग्राहकों को व्हाट्सएप पर लड़कियों की तस्वीरें व रेट लिस्ट तक भेजी जाती है। ग्राहक के लड़की पसंद करने पर उसे होटल में बुला लिया जाता है। महत्वपूर्ण यह है कि पिछले 3 साल में खुले गैस्ट हाऊस ऐसे इलाकों में खुले हैं जहां पर रात के समय उस रास्ते से आमजन को काफी दिक्कतों का सामना कर पड़ रहा है। इन संचालको की आखों में न तो पुलिस प्रशासन का डर है न इलाकों में रह रहे लोगों का। इनकों सिर्फ देह व्यापार का गंदा धंधा करना है जिन पर इनका गैस्ट हाउस चल रहा है।
क्या है अनुच्छेद 32 और अनुच्छेद 226
इन अनुच्छेद के तहत अगर होटल या गैस्ट हाऊस में ठहरे किसी जोड़े को पुलिस तंग परेशान करती है तो वे लोग कानून के इन अनुच्छेदों के तहत सीधे हाईकोर्ट या फिर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकता है। इसी का लाभ उठाकर होटल और गैस्ट हाउस के मालिक अपने ग्राहकों के पहले से ही आधार कार्ड इत्यादी अपने पास रख कानूनी कार्रवाई पूरी करके रखते हैं, ताकि अगर कोई बात हो जाए तो रजिस्टर में एंट्री दिखा सकें।
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