Edited By Urmila,Updated: 15 Nov, 2024 03:20 PM
पंजाब और हरियाणा सरकार एक बार फिर आमने-सामने हो गई है। चंडीगढ़ में हरियाणा का विधानसभा भवन बनाने को लेकर राजनीतिक गरमा गई है।
पंजाब डेस्क: पंजाब और हरियाणा सरकार एक बार फिर आमने-सामने हो गई है। चंडीगढ़ में हरियाणा का विधानसभा भवन बनाने को लेकर राजनीतिक गरमा गई है। इस मुद्दे को लेकर आज पंजाब के वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा पंजाब के राज्यपाल व चंडीगढ़ के प्रशासक गुलाब चंद कटारिया के पास पहुंचे हैं। आप प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल से मुलाकात कर उन्हें मैमोरेंडम सौंपा।
उन्होंने कहा कि चंडीगढ़ पंजाब का है वह एक इंच जमीन भी हरियाणा को नहीं देंगे। उधर हरियाणा के मुख्यमंत्री का कहना है कि चंडीगढ़ पर हरियाणा का हक भी है। वहीं चंडीगढ़ में हरियाणा को नया विधानसभा भवन बनाने की केंद्र ने मंजूरी दे दी है लेकिन भाजपा सहित पंजाब के सभी राजनीतिक दल उक्त मुद्दे का विरोध कर रहे हैं।
भाजपा नेता मनोरंजन कालिया ने भी राज्यपाल को पत्र लिखा है जिसमें उन्होंने चंडीगढ़ में विधानसभा बनने का विरोध करते हुए स्थिति स्पष्ट की है। मनोरंजन कालिया ने कहा कि पंजाब के राज्यपाल को प्रशासन की दोहरी जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं। एक पंजाब के संवैधानिक प्रमुख की और दूसरी चंडीगढ़ के प्रशासक की। इसकी उत्पत्ति 29 जनवरी 1970 को भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी द्वारा दिए गए अवार्ड में निहित है जिसमें इंदिरा गांधी ने घोषणा की कि चंडीगढ़ पंजाब की राजधानी के रूप में पंजाब राज्य का स्थायी हिस्सा बन जाएगा और हरियाणा राज्य को अपनी नई राजधानी बनाने के लिए 10 करोड़ रुपए दिए जाएंगे।
इस मुद्दे पर भाजपा प्रधान सुनील जाखड़ ने कहा कि पंजाब की राजधानी के रूप में चंडीगढ़ न केवल एक भूमि क्षेत्र है बल्कि पंजाब के लोगों की गहरी भावनाएं जुड़ी हुई हैं। उन्होंने कहा कि पंजाब और केंद्र के बीच मजबूत संबंध बनाए रखने के लिए इस फैसले पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए। उन्होंने प्रधानमंत्री से इस मामले में हस्तक्षेप की मांग की है। चंडीगढ़ के मुद्दे पर पंजाब कांग्रेस के सीनियर नेता प्रताप सिंह बाजवा ने भी प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है।
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