Ludhiana के लीडर ने लिया Rahul Gandhi की हार का बदला, हर तरफ हो रही चर्चा

Edited By Vatika,Updated: 05 Jun, 2024 12:12 PM

the leader of ludhiana took revenge of rahul gandhi s defeat

लोकसभा चुनावों में जहां एन डी ए खासकर भाजपा की जीत के दावों की हवा निकलने के बाद अगर किसी बात को लेकर सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है

लुधियाना (हितेश): लोकसभा चुनावों में जहां एन डी ए खासकर भाजपा की जीत के दावों की हवा निकलने के बाद अगर किसी बात को लेकर सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है तो वह अमेठी से गांधी परिवार के करीबी किशोरी लाल द्वारा केंद्रीय मंत्री स्म्रति इरानी को हराने की है।

PunjabKesari

अब हर किसी के मन में एक ही सवाल पैदा हो रहा है कि किशोरी लाल है कौन, जिन्हें गांधी परिवार द्वारा अमेठी से अपना विकल्प बनाया गया। जिसे लेकर यह बात सबसे अहम है कि किशोरी लाल का संबंध पंजाब खासकर लुधियाना से है, वो यहीं पले-बढे हैं और अब तक यहीं रहते हैं। लेकिन करीब 40 साल पहले यूथ कांग्रेस की तरफ से को-आर्डीनेटर बनकर अमेठी गए और राजीव गांधी की जीत के बाद वहीं के होकर रह गए। क्योंकि राजीव गांधी के बाद किशोरी लाल अमेठी व रायबरेली से सोनिया गांधी व राहुल गांधी के प्रतिनिधि के रूप में काम करते आ रहें हैं। उन्हें प्रियंका गांधी का काफी करीबी माना जाता है और राहुल गांधी के वायनाड से चुनाव लडने की वजह से प्रियंका या उनके पति के अमेठी से मैदान में उतरने की चर्चा के मुकाबले किशोरी लाल को उम्मीदवार बनाया गया।जिसकी वजह यह मानी जा रही है कि स्म्रति इरानी द्वारा गांधी परिवार पर चुनावों के दौरान ही अमेठी में आने सहित पिछली बार वायनाड जाने का मुददा उठाया जा रहा था, जिसके मददेनजर लंबे समय से अमेठी में ग्राऊंड लेवल पर पब्लिक में पकड रखने वाले किशोरी लाल को टिकट देने का फार्मूला अपनाया गया, जो कामयाब भी रहा।

अमेठी से 6वें गैर गांधी एमपी होंगे के एल शर्मा
के एल शर्मा से जुडा एक पहलू यह भी है कि अमेठी से 6वें गैर गांधी एमपी होंगे। इससे पहले 1967 से लेकर 1977 तक विद्याधर वाजपेयी व रविंद्र प्रताप सिंह अमेठी के सांसद रहे।इसके बाद 1980 में संजय गांधी ने मोर्चा संभाला और 1991 तक राजीव गांधी अमेठी से एमपी रहे। हालांकि 1991 से 1998 तक कैप्टन सतीश शर्मा और संजय सिंह अमेठी के  गैर गांधी एम पी बने। लेकिन 1999 से 2019 तक अमेठी सीट पर सोनिया गांधी व राहुल गांधी का कब्जा रहा। जहां स्म्रति इरानी की जीत के 5 साल के भीतर ही के एल शर्मा ने गांधी परिवार की सियासी विरासत को वापिस हासिल कर लिया है।

राहुल गांधी की हार का बदला लेने सहित पार्टी की स्थिति में भी किया सुधार 
अमेठी से के एल शर्मा की जीत को राहुल गांधी की हार का बदला लेने के रूप में देखा जा सकता है। वहीं, इससे पार्टी की स्थिति में भी सुधार हुआ है। क्योंकि 2007 से लेकर 2022 तक के चार विधानसभा चुनाव के दौरान अमेठी से कॉंग्रेस का वोट बैंक 20 फीसदी डाउन हुआ है। इसी तरह 2009 और 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान अमेठी से राहुल गांधी की जीत का मार्जिन 2 लाख डाउन हो गया था।  इसके अलावा पिछले दो विधानसभा चुनाव के दौरान कॉंग्रेस को अमेठी में एक भी सीट नहीं मिली। जिनमें 2017 के दौरान भाजपा को 4 और समाजवादी पार्टी को अमेठी की एक सीट पर जीत हासिल हुई थी। जबकि 2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान कॉंग्रेस अमेठी की 4 सीटों पर तीसरे नंबर पर रही थी। लेकिन किशोरी लाल ने 2 साल के भीतर ही लोकसभा चुनावों के दौरान 1.67 लाख से ज्यादा वोटों के साथ जीत हासिल करके सारी स्थिति को बदलकर रख दिया है। 

Related Story

Trending Topics

India

97/2

12.2

Ireland

96/10

16.0

India win by 8 wickets

RR 7.95
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!