पंजाब के भविष्य पर खतरे के बादल, Gathering पर सरकार की निगाहें लेकिन Students को भूले कैप्टन

Edited By Vatika,Updated: 25 Feb, 2021 12:03 PM

the future of punjab is under threat  captain forgotten to the students

बेशक मुख्यमंत्री अमरेंद्र ने पंजाब में बढ़ रहे कोरोना वायरस को देखते हुए लोगों के एकत्रित होने को इंडोर 100 और आऊटडोर 200 व्यक्तियों तक सीमित कर दिया है

लुधियाना(विक्की): बेशक मुख्यमंत्री अमरेंद्र ने पंजाब में बढ़ रहे कोरोना वायरस को देखते हुए लोगों के एकत्रित होने को इंडोर 100 और आऊटडोर 200 व्यक्तियों तक सीमित कर दिया है लेकिन स्कूलों में बढ़ते कोरोना के मामलों को पूरी तरह नजरअंदाज किया गया है। सरकार द्वारा बुधवार को जारी नए दिशा-निर्देशों में स्कूलों के संबंध में कोई विशेष संज्ञान न लेना इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है। उधर विद्यार्थियों की सुरक्षा को लेकर अभिभावकों में चिंता बढ़ती जा रही है।  दूसरी ओर मुख्य सचिव विनी महाजन ने स्कूलों को दोबारा से बंद करने से इंकार कर दिया है। स्कूलों में कोविड के बढ़ते मामलों के बावजूद विभाग द्वारा अध्यापकों पर विद्यार्थियों की शत-प्रतिशत अटैंडैंस के लिए दबाव बनाया जा रहा है। सरकारी स्कूलों में प्री-बोर्ड एग्जाम 25 फरवरी तक लिए जाने हैं और उसके कुछ दिनों उपरांत सभी कक्षाओं के फाइनल एग्जाम शुरू होंगे। जब हजारों विद्यार्थी एग्जाम देने आएंगे तो सोशल डिस्टैंसिंग का पालन कैसे होगा। सरकारी स्कूलों में कोविड-19 सुरक्षा प्रबंधों का अभाव है। अधिकतर स्कूलों में सैनिटाइजेशन नहीं करवाई जा रही। विद्यार्थियों के सोशल डिस्टैंसिंग के अनुसार बैठने का प्रबंध नहीं है। विद्यार्थी मास्क पहनने और बार-बार हाथ धोने के प्रति गंभीर नहीं हैं।

लगातार टीचर और स्टूडैंट्स आ रहे कोरोना पॉजिटिव 
राज्य भर के स्कूलों से लगातार कोरोना वायरस केस मिल रहे हैं। इनमें अध्यापकों के साथ विद्यार्थी भी शामिल हैं। अगर जिला लुधियाना की बात की जाए तो पिछले कुछ दिनों में ही लगभग 143 कोरोना पॉजिटिव केस निजी और सरकारी स्कूलों में मिले हैं। इनमें 103 विद्यार्थी और 40 अध्यापक शामिल हैं, जिनमें से सरकारी सीनियर सैकेंडरी स्कूल गालिब कलां की एक अध्यापिका की मौत भी हो चुकी है। हालत गंभीर होते देख अभिभावकों द्वारा नॉन-बोर्ड क्लासेज की परीक्षाएं ऑनलाइन करवाने की मांग जोर पकड़ रही है।

अध्यापकों की कमी बनी सोशल डिस्टैंसिंग लागू न होने की मुख्य वजह
बहुत से सरकारी स्कूलों में अध्यापकों के पद खाली पड़े हैं, ऐसे में सीमित अध्यापकों के साथ ही स्कूल का प्रबंध चलाना पड़ रहा है। कई स्कूलों में अध्यापकों की कमी के चलते एक क्लास के एक से अधिक सैक्शंस के विद्यार्थियों को इकट्ठे बिठा कर पढ़ाया जा रहा है, जोकि कोरोना संक्रमण की एक बड़ी वजह बन सकता है। सरकारी स्कूल हैबोवाल खुर्द में 2179 विद्यार्थी पढ़ रहे हैं। स्कूल में 40 कमरे हैं लेकिन फिर भी सोशल डिस्टैंसिंग मैंटेन रखने के लिए कम्प्यूटर लैब, साइंस लैब, एन.एस.क्यू.एफ. लैब को भी क्लास रूम के रूप में प्रयोग किया जा रहा है। इसी तरह सरकारी मल्टीपर्पज स्कूल में 3150 विद्यार्थी पढ़ रहे हैं, स्कूल में 50 कमरे हैं। स्कूल में कॉमर्स विषय के लिए एक अध्यापक है जबकि कॉमर्स पढऩे वाले लगभग 600 विद्यार्थी हैं। वहीं इंगलिश विषय पढऩे वाले 2300 के करीब विद्यार्थी हैं और अध्यापक केवल 3 ही हैं जिसके चलते स्कूल में सोशल डिस्टैंसिंग मैंटेन रखना एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। सभी स्टूडैंट्स का सिलेबस पूरा करवाने का काम टीचर्स के कंधों पर है। ऐसी स्थिति में स्कूल की एक क्लास में 100 से अधिक स्टूडैंट्स को भी बिठाना पड़ रहा है। 

स्वास्थ्य विभाग का काम भी चल रहा है कछुए की चाल
सरकारी मल्टीपर्पज स्कूल में 2 दिन पहले एक अध्यापक की रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आई थी। पॉजिटिव आने वाले टीचर की पत्नी भी इसी स्कूल में बतौर अध्यापिका कार्यरत है। ऐसे में दोनों के संपर्क में रोजाना लगभग 500 विद्यार्थी आए हैं। स्कूल में लगभग 3150 विद्यार्थी पढ़ रहे हैं। वहीं अध्यापक की रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आने के चलते सरकारी मल्टीपर्पज स्कूल में 2 दिन बाद भी अन्य अध्यापकों और विद्यार्थियों की कोविड-19 टैसिं्टग शुरू नहीं हो पाई है। इस संबंध में स्वास्थ्य विभाग को सूचित कर दिया गया है लेकिन स्वास्थ्य विभाग की धीमी कार्यशैली किसी बड़ी समस्या का रूप भी ले सकती है।

 

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