Edited By Urmila,Updated: 27 Sep, 2023 11:31 AM

मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने आज नॉर्थ जोनल कौंसिल की 31वीं बैठक की मेजबानी की।
अमृतसर/चंडीगढ़/जालंधर: मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने आज नॉर्थ जोनल कौंसिल की 31वीं बैठक की मेजबानी की। बैठक की शुरूआत मुख्यमंत्री ने राज्य सरकार व पंजाब के लोगों की तरफ से केंद्रीय गृह मंत्री व अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों का स्वागत करते हुए की। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने बैठक में पंजाब में बाढ़ सहित 7 मुद्दे उठाए। उन्होंने सबसे पहले बाढ़ का मुद्दा उठाया।
बैठक की अध्यक्षता केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने की जबकि पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और राजस्थान के मुख्यमंत्रियों के साथ-साथ चंडीगढ़ के प्रशासक और जम्मू-कश्मीर, लद्दाख और दिल्ली के उप-राज्यपाल भी पहुंचे हैं। मान ने कहा कि बाढ़ के समय पानी की मांग करने वाले राज्य पीछे हट गए। उन्होंने बाढ़ के नियमों में बदलाव की मांग भी की। उन्होंने पंजाब यूनिवर्सिटी में हरियाणा के दखल का मुद्दा उठाते हुए उन्होंने कहा कि 50 सालों में आज तक तो ये डिमांड नहीं की, अब क्यों इन्हें पंजाब यूनिवॢसटी से एफिलिएशन चाहिए। उन्होंने चंडीगढ़ का मुद्दा उठाते कहा कि इस पर हरियाणा का कोई हक नहीं है। चंडीगढ़ पंजाब के गांवों को उजाड़ कर बनाया गया है, पंजाब की राजधानी के तौर पर चंडीगढ़ का दर्जा बहाल हो।
उन्होंने कहा कि शानन पावर प्रोजैक्ट के स्वरूप में कोई बदलाव नहीं होना चाहिए। मान ने हिमाचल की मांग का भी विरोध किया और कहा कि बिजली परियोजनाएं हिमाचल को देने का फैसला गलत होगा। उन्होंने कहा कि 1975 से 1982 के बीच पंजाब ने परियोजना का विस्तार किया जिससे परियोजना की क्षमता 48 मैगावाट से बढ़कर 110 मैगावाट हो गई। इसके विपरीत कोई भी निर्णय पंजाब के लोगों के साथ अन्याय होगा। उन्होंने कहा कि उत्तरी जोनल कौंसिल हम सभी के हित में है कि हम एक साथ बैठें और इस क्षेत्र, जो भौगोलिक तौर पर जमीनी हदों और सरहदों के साथ जुड़ा होने के कारण हमेशा नुक्सान में रहा है, के सामाजिक-आॢथक विकास की बेहतरीन संभावनाएं ढूंढें।
एस.वाई.एल. का मुद्दा बेहद संवेदनशील
मान ने बैठक में एस.वाई.एल. का मुद्दा भी उठाया जो बेहद संवेदनशील है। उन्होंने कहा कि हमारे पास किसी भी राज्य को देने के लिए अतिरिक्त पानी नहीं है।
पानी के मुद्दे के कारण राज्य की कानून-व्यवस्था बिगड़ सकती है, जिसका असर हरियाणा और राजस्थान पर भी पड़ेगा। वर्तमान स्थिति में उपलब्ध पानी का मूल्यांकन किया जाना चाहिए। एस.वाई.एल. नहर बनाने का सवाल ही नहीं उठता।
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