चुनावी ड्यूटी में व्यस्त हजारों अध्यापक, मुश्किल में विद्यार्थी

Edited By Kalash,Updated: 04 May, 2024 11:52 AM

teachers engaged in election duty

लोकसभा चुनावों के मुख्य रखते हुए जिला प्रशासन द्वारा इस बार साढ़े पांच हजार से अधिक अध्यापकों की चुनावी ड्यूटी लगा दी है।

अमृतसर : लोकसभा चुनावों के मुख्य रखते हुए जिला प्रशासन द्वारा इस बार साढ़े पांच हजार से अधिक अध्यापकों की चुनावी ड्यूटी लगा दी है। अध्यापक वर्ग चुनावी ड्यूटी में व्यस्त होने के कारण जहां विद्यार्थियों की पढ़ाई प्रभावित होने की आशंका बन गई है, वहीं विभाग की विभिन्न योजनाओं के साथ-साथ स्कूली दाखिला मुहिम का काम धीमा पड़ गया है। चुनाव आयोग के चाबुक से डरते हुए अध्यापकों ने चुनावी ड्यूटी ज्वाइन भी कर ली है। हालांकि अध्यापक यूनियन ने अध्यापकों की ड्यूटी कम से कम लगाने की मांग जिला प्रशासन के समक्ष की है।

जानकारी के अनुसार भारतीय चुनाव आयोग की ओर से लोक सभा आम चुनाव 2024 करवाने संबंधी सारिणी जारी की गई है। इसके अनुसार देश में कुल सात चरण में चुनाव का काम मुकम्मल करवाया जाना है। नतीजे का ऐलान 4 जून को किया जाएगा। पंजाब में चुनाव 7वें चरण में 1 जून को करवाई जा रही है। 

चुनाव के दौरान अध्यापकों व अलग-अलग विभागों में काम करते मुलाजिमों को चुनाव के प्रबंधों की कमी के कारण कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। प्रशासन द्वारा अमृतसर के शिक्षाा विभाग से संबंधित अध्यापकों की दूसरे विभागों के अलावा अधिक ड्यूटी लगाई है। जिले में कुल 15000 से अधिक अध्यापक हैं। 1200 के करीब सरकारी मिडिल हाई प्राइमरी तथा सीनियर सैकेंडरी स्कूल की संख्या है। इसमें से साढ़े पांच हजार से अधिक अध्यापकों की ड्युटियां लगा दी गई हैं जिससे विद्यार्थियों की पढ़ाई प्रभावित हो रही हैं। 

डैमोक्रेटिक टीचर फ्रंट पंजाब के जिला प्रधान अश्वनी अवस्थी व राजेश पराशर ने कहा कि पिछले चुनाव के दौरान प्रदेश के समूह मुलाजिमाें को प्रबंधकीय कमी के कारण कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा था। जैसे महिला अध्यापकों, मुलाजिमों की चुनावी ड्यूटी ब्लाकों व हलकों से बाहर लगाई गई थी, जिस कारण ड्यूटी निभाने की जगह ड्यूटी कटवाने का रुझान बढ़ा। दिव्यांग व क्राेनिक बीमारी से पीड़ित मुलाजिमों की ड्यूटी लगी। कुंवारी महिला मुलाजिमों की ड्यूटी दूरदराज लगा दी गई। भोजन पानी व चाय के उचित प्रबंधों की कमी, मिड डे मील में भोजन बनवाने के बाद समय पर अदायगी नहीं की गई। पति व पत्नी दोनों की ड्यूटी लगाना, अनावश्यक कागजी कार्रवाई व कागजों की बर्बादी आदि मुख्य मुद्दे रहे है। बड़ी गिनती में अध्यापकों की चुनावी ड्यूटी लगने के कारण पहले से ही अध्यापकों की कमी झेल रहे स्कूलों के तरसयोग्य हालत बन गए हैं। देश के भविष्य के रूप में जाने जाते विद्यार्थी अध्यापकों का इंतजार करते रहते है। स्कूली शिक्षा तंत्र चुनावी ड्यूटी के कारण प्रभावित हो गया है। अवस्थी ने कहा कि अधिक गिनती में अध्यापकों की ड्यूटी लगाने से स्कूलों का प्रबंध व शिक्षा बुरी तरह से प्रभावित हो रही है।

उधर, जिला शिक्षा अधिकारी सैकेंडरी राजेश कुमार ने कहा कि करीब साढे पांच हजार अध्यापका एलिमैंट्री व सैकेंडरी विंग से लगाया गया है। हालांकि चुनावी ड्यूटी से कोई काम प्रभावित नहीं हुआ है। सप्ताह में दो दिन ही अध्यापकों की चुनावी ड्यूटी रहती है। बाद में रोजाना की तरह उन्हें स्कूल में काम करना होता है। इसके अलावा 31 मई और एक जून को दो दिन एक साथ ड्यूटी निभानी है। चुनाव आयोग के सख्त निर्देश है कि चुनावी ड्यूटी से लापरवाही न बरती जाए। स्कूल के काम को भी दुरुस्त रखा जा रहा है।

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