Edited By Updated: 07 Feb, 2017 01:56 AM
‘‘किसानी को बचाने के लिए युवा पीढ़ी को देश ,....
फगवाड़ा(जलोटा): ‘‘किसानी को बचाने के लिए युवा पीढ़ी को देश की धरती से पुन: जोडऩा होगा। यदि हमने हालात की नजाकत को नहीं समझा तो हमारी युवा पीढ़ी विदेशों को पलायन कर जाएगी और इस गंभीर स्थिति के लिए हम सब जिम्मेदार होंगे।’’
ये विचार श्री विजय चोपड़ा ने गांव पंडवा स्थित निर्मल कुटिया (छंबवाली) में मिशन फैपरो द्वारा आयोजित खेती सत्संग का मुख्यातिथि के रूप में रस्मी तौर पर उद्घाटन करने के पश्चात किसानों व गण्यमान्यों को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि जो कार्य आज देश में विभिन्न एन.जी.ओ. कर रहे हैं, वे वास्तव में हमारी सरकारों को करने चाहिएं लेकिन विडंबना है कि सरकारें दावों के अतिरिक्त कुछ नहीं कर रही हैं। विदेशों की तरह सुखी जीवन जीने के संसाधन हमारे देश में नहीं हैं और युवा पीढ़ी बेहतर जीवन जीने की चाह में विदेशों में सैटल हो रही है। हमारे कृषि प्रधान देश में किसानों को आगे आकर किसानी को बचाने के लिए प्रयास करना होगा कि युवा पीढ़ी खेती को अपनाए और यहीं पर रहते हुए बेहतरीन जीवन यापन करे।
वह गांव पंडवा में किसान अवतार सिंह, डा. सी.एल. वशिष्ठ व गुरदर्शन सिंह द्वारा समाजसेवी सुखबीर सिंह संधर के सहयोग से ऑर्गेनिक ढंग से विकसित की गई खेती फ्यूजन पैदावार तकनीक देखकर प्रभावित हुए हैं जो हर लिहाज से लाजवाब है और इसे अपनाने वाले किसानों की पैदावार में बिना ज्यादा खर्चा किए कई गुना बढ़ौतरी हुई है। इससे धरती की उपजाऊ शक्ति बढ़ती है और पारम्परिक खेती के साथ-साथ सब्जी की उपज भी हो रही है। रासायनिक खादों पर रोक लग रही है और अनाज व सब्जियों की पौष्टिकता बढ़ रही है।
श्री चोपड़ा ने निर्मल कुटिया के संत गुरचरण सिंह पंडवा के प्रयासों की प्रशंसा करते हुए कहा कि जिस तरह संत श्री ने किसानी को प्रोत्साहित किया है, उसी प्रकार अन्य संत-महात्माओं को किसानों व खेती को प्रोत्साहन देना चाहिए। अवतार सिंह व डा. सी.एल. वशिष्ठ ने बताया कि उनके द्वारा किसानों के हित में विकसित की गई नई तकनीक से एक साथ सब्जी व पारम्परिक फसल बोई जा सकती है, जैसे गन्ने के साथ टमाटर और मटर, गन्ने के साथ बंदगोभी और मटर तथा गन्ने के साथ बैंगन और मटर व कपास के साथ गन्ना और मटर। इससे बीज, पानी और बिजली की बचत होती है।
हरियाणा से आए किसान राजिन्द्र चाहल ने कहा कि एक जमाना था जब किसान सम्पन्न होता था लेकिन अब हालात बदल गए हैं। किसानी बदहाल है और सरकारों का इस ओर कोई ध्यान नहीं है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि किसान की ताकत कम हो गई है। किसान को खुद आगे आकर अपनी लड़ाई लडऩी होगी और इस दिशा में फगवाड़ा के किसान अवतार सिंह व डा. सी.एल. वशिष्ठ (सेवानिवृत्त ए.डी.ओ.) द्वारा विकसित तकनीक क्रांतिकारी और लाजवाब है। वे पहले डेयरी और छोटे स्तर पर दुकानदारी करते थे लेकिन अब उक्त नई तकनीक अपनाकर 44 एकड़ जमीन में भरपूर मुनाफे के साथ खेती कर रहे हैं और खुशहाल हैं। उन्होंने श्री विजय चोपड़ा के खेती सत्संग में आकर किसानी और किसानों को प्रोत्साहित करने की भरपूर प्रशंसा की।
सैमीनार को हरियाणा से पधारे डा. रामपाल (सी.डी.ओ.), अमरीका की ब्राऊन यूनिवॢसटी से पधारीं प्रो. ज्योति शर्मा व कृपाल सिंह सहित निर्मल कुटिया गांव पंडवा के प्रमुख संत गुरचरण सिंह सहित कई अन्य गण्यमान्यों ने प्रभावशाली ढंग से खेती करने को उत्साहित किया। समारोह के समापन पर निर्मल कुटिया (छंबवाली) के संत गुरचरण सिंह पंडवा, डा. सी.एल. वशिष्ठ, अवतार सिंह व अन्य गण्यमान्यों द्वारा श्री विजय चोपड़ा को दोशाला भेंट कर सम्मानित किया गया।
श्री चोपड़ा ने तपोस्थल निर्मल कुटिया में नतमस्तक होकर संत गुरचरण सिंह पंडवा से आशीर्वाद प्राप्त किया व संगत के साथ बैठकर लंगर-प्रसाद भी ग्रहण किया। उन्होंने निर्मल कुटिया का दौरा करते हुए तपोस्थल के रख-रखाव और स्वच्छता के बेहतरीन प्रबंधों की भी सराहना की। इस मौके पर वाहद संधर शूगर मिल के मुख्य प्रबंधक व समाज सेवी सुखबीर सिंह संधर तथा गुरदर्शन सिंह सहित विदेशों से पधारे अनेक गण्यमान्य व किसान भारी संख्या में मौजूद थे।