सदर बाजार की सड़क बनी गड्ढों का ढेर, नगर कौंसिल ने दी सफाई

Edited By Kalash,Updated: 16 Jul, 2025 01:39 PM

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बरनाला क्लब के मॉर्निंग टेबल पर आज सदर बाजार की सड़क का मुद्दा गरमाया रहा।

बरनाला (विवेक सिंधवानी, रवि): बरनाला क्लब के मॉर्निंग टेबल पर आज सदर बाजार की सड़क का मुद्दा गरमाया रहा। गत दिवस हुई बारिश के बाद यह सड़क बड़े-बड़े गड्ढों में तब्दील हो गई थी, जिसने सरकारी कार्य की गुणवत्ता और संबंधित अधिकारियों की जवाबदेही पर गंभीर प्रश्न खड़े कर दिए हैं। क्लब सदस्यों ने इस घटना को सरकारी पैसे के दुरुपयोग की जीती-जागती मिसाल बताया, जबकि नगर कौंसिल के अधिकारियों ने आरोपों को खारिज करते हुए इसे 'अस्थायी कार्य' में आई मामूली दिक्कत बताया।

ठेकेदार की कार्यप्रणाली पर उठे सवाल

मॉर्निंग क्लब के मुख्य सदस्य मक्खन शर्मा, जो नगर कौंसिल के पूर्व अध्यक्ष भी रह चुके हैं तथा वर्तमान में उनकी धर्मपत्नी पार्षद हैं, ने आरोप लगाया कि सदर बाजार में जो पेचवर्क कराया गया था, वह घटिया गुणवत्ता का था। उन्होंने बताया कि एक ठेकेदार को शहर के विभिन्न हिस्सों में 23 लाख रुपये के पेचवर्क का काम सौंपा गया था। यह कार्य नगर कौंसिल के अधिकारियों के कहने पर कराया गया, लेकिन इसकी गुणवत्ता का निरीक्षण करने की जिम्मेदारी जिन अधिकारियों की थी, उन्होंने कोई ध्यान नहीं दिया।

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उन्होंने बताया कि जब इस तरह का कार्य होता है तो सामान्यतः दफ्तर से एक व्यक्ति लुक प्लांट में तैनात होता है जो मिक्सिंग की गुणवत्ता की जांच करता है। साथ ही कार्य स्थल पर भी दफ्तर का कोई प्रतिनिधि मौजूद रहता है जो यह सुनिश्चित करता है कि कार्य शुरू करने से पहले सफाई हुई है या नहीं,क्योंकि उचित सफाई के बिना पैचवर्क टिक नहीं पाता। परंतु इस मामले में दोनों ही स्तरों पर लापरवाही बरती गई। शर्मा ने आरोप लगाया कि वर्तमान स्थिति यह है कि अब दफ्तर में से कोई भी अधिकारी कार्य का निरीक्षण करने के लिए बाहर तक नहीं निकलता। उन्होंने आरोप लगाया कि बिल भी ठेकेदार द्वारा ही बनाकर सीधे दफ्तर में दाखिल कर दिए जाते हैं, जिससे काम की गुणवत्ता की जांच का कोई तंत्र ही नहीं बचता।

मक्खन शर्मा ने मांग की है कि जिस ठेकेदार ने सदर बाजार का कार्य किया है, उसने शहर में जो अन्य पैचवर्क के कार्य किए हैं, उनकी भी निष्पक्ष जांच करवाई जानी चाहिए। उन्होंने विशेष रूप से बताया कि सदर बाजार के कार्य का बिल अभी तक दफ्तर में जमा नहीं करवाया गया है। उन्होंने मांग की कि इस बिल को पूरी तरह से खारिज किया जाना चाहिए और संबंधित ठेकेदार को ब्लैक लिस्ट किया जाना चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसी लापरवाही दोहराई न जा सके।

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मॉर्निंग टेबल के अन्य सदस्यों ने भी इस मुद्दे पर अपनी गहरी चिंता व्यक्त की। अजय मित्तल टल्लेवालिया, प्यारेलाल रायसरिया, सुखदेव लुटावा, राजीव लोचन मीठा, उमेश बंसल, राजीव जैन, संजय कुमार, विजय गोयल, कुलतार तारी और बिट्टू जेई जैसे प्रतिष्ठित सदस्यों ने एक स्वर में कहा कि आम लोगों की गाढ़ी कमाई से टैक्स के रूप में इकट्ठा हुए पैसों की इस तरह की बर्बादी किसी भी तरह से जायज नहीं है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह न केवल वित्तीय नुकसान है, बल्कि यह सार्वजनिक विश्वास का भी हनन है।

सभी सदस्यों ने डिप्टी कमिश्नर से मांग की कि वे स्वयं इस मामले में दखल दें और इसकी गहन जांच करवाएं, ताकि सरकारी पैसे का दुरुपयोग ना हो सके और दोषी अधिकारियों व ठेकेदार के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो सके। उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में त्वरित और पारदर्शी कार्रवाई से ही जनता का विश्वास बहाल हो सकता है और भविष्य में इस तरह की अनियमितताओं पर लगाम लगाई जा सकती है।

नगर कौंसिल का बचाव: 'अस्थायी कार्य' और 'राजनीतिक बयानबाजी' का तर्क

इस संबंध में जब नगर कौंसिल के एमई मुहम्मद सलीम से संपर्क किया गया, तो उन्होंने क्लब सदस्यों के आरोपों को खारिज करते हुए अपनी स्थिति स्पष्ट की। उन्होंने कहा कि सदर बाजार के लोगों की सहूलियत के लिए सीवरेज डालने के पश्चात यह आरजी तौर पर (अस्थायी) कार्य करवाया गया था। उन्होंने दावा किया कि सदर बाजार में लगभग 4-5 लाख रुपये की लागत से पैचवर्क का कार्य हुआ है, जिसमें से केवल ₹50-60 हजार रुपये के कार्य का ही नुकसान हुआ है।

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एमई सलीम ने बताया कि लगभग 1750 फुट के पैचवर्क में से केवल लगभग 300 फुट के पैचवर्क में ही दरारें आई हैं। उन्होंने कहा कि अस्थायी तौर पर कार्य भी लोगों की सहूलियत के लिए ही किया गया था, परंतु कई बार सहूलियत हेतु किए गए कार्य में भी दिक्कतें आ जाती हैं। उन्होंने ठेकेदारों द्वारा स्वयं बिल बनाकर दफ्तर में जमा करवाए जाने वाले आरोप को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि यह सब 'राजनीतिक बयानबाजी' है। उन्होंने यह भी कहा कि पैचवर्क के दौरान लुक प्लांट में किसी को खड़े होने की जरूरत नहीं होती; ऐसा केवल नई सड़क बनाने के समय होता है।

नगर कौंसिल के एमई द्वारा दिए गए स्पष्टीकरण और क्लब सदस्यों द्वारा लगाए गए आरोपों के बीच विरोधाभास साफ नजर आता है। जहां एक ओर क्लब सदस्य इसे बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और सरकारी पैसे का दुरुपयोग बता रहे हैं, वहीं दूसरी ओर नगर कौंसिल के अधिकारी इसे एक छोटी सी 'अस्थायी कार्य' की समस्या करार दे रहे हैं। इस स्थिति ने बरनाला में बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में पारदर्शिता और जवाबदेही पर और अधिक सवाल खड़े कर दिए हैं। अब देखना यह होगा कि डिप्टी कमिश्नर इस मामले में किस तरह दखल देते हैं और क्या कोई निष्पक्ष जांच इस पूरी स्थिति का खुलासा कर पाती है। जनता की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या उनके टैक्स का पैसा सही मायने में जनहित में खर्च हो रहा है या भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रहा है।

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