किसानों के धरने के 31 दिनों में 5500 से अधिक ट्रेनें प्रभावित, रेलवे को हो रहा लाखों का नुक्सान

Edited By Kalash,Updated: 18 May, 2024 02:39 PM

railways facing loss due to farmers protest

अपनी मांगों को लेकर शंभू के निकट रेलवे ट्रेक पर बैठे किसानों के धरने को लेकर 17 मई को 31 दिन हो चले हैं।

लुधियाना : अपनी मांगों को लेकर शंभू के निकट रेलवे ट्रेक पर बैठे किसानों के धरने को लेकर 17 मई को 31 दिन हो चले हैं। किसानों के इस धरने के कारण जहां रेलवे विभाग को हर रोज लाखों रुपए का नुक्सान उठाना पड़ रहा है, वहीं रेल यात्रियों को भी भारी परेशानी झेलनी पड़ रही है। इन 31 दिनों में 5500 से अधिक ट्रेनें प्रभावित हुईं जिनमें से 2 हजार के करीब ट्रेनों को रद्द किया गया, 3 हजार से अधिक ट्रेनों को डायवर्ट व 1 हजार के करीब ट्रेनों को शार्ट टर्मिनेट कर चलाया गया है। 

धरने के कारण ट्रेनों को रूट बदलकर चलाया जा रहा है। अधिकतर ट्रेनों को साहनेवाल से वाया चंडीगढ़, मोरिड से बस्सी समराला, धूरी, जाखल के रूट से अंबाला की तरफ रवाना किया जा रहा है जिसके चलते ही ट्रेनें 5 से 10 घंटे की देरी से चल रही हैं। इस कारण रूट लंबा होने व साहनेवाल से चंडीगढ़ तक सिंगल लाइन होने के कारण ट्रेनों को कई कई घंटे रोककर चलाया जा रहा है, जिस कारण विभाग को फ्यूल का अधिक खर्च सहन करना पड़ रहा है, जबकि यात्रियों को ट्रेनों के लेट होने के कारण अधिक समय सफर में गुजारना पड़ रह है। यात्रियों को ट्रेनों का इंतजार करने के लिए कई कई घंटे प्लेटफार्म पर गुजारने पड़ रहे हैं।

यात्रियों को नहीं मिलता चाय-पानी व भोजन

अमृतसर व जम्मू से नई दिल्ली की तरफ जाने वाली जिन ट्रेनों को वाया चंडीगढ़ अंबाला की तरफ भेजा जा रह है, उनमें सफर करने वाले यात्रियों को साहनेवाल से चंडीगढ़ तक कई घंटे गुजारने पड़ रहे हैं। कई ट्रेनों में पैंट्री कार न होने के कारण यात्रियों को इस रूट पर न तो चाय, न पानी और ना ही भोजन मिलता है। उसके अलावा इस रूट पर चंडीगढ के अलावा अन्य कोई रेलवे स्टेशन पर स्टॉल भी न होने के कारण यात्रियों को बुरा हाल हो जाता है। यात्री बेसब्री से वैंडरों का इतंजार करते रहते हैं और अगर कोई दूसरी लाइन पर ट्रेन आती है तो उसमें मौजूद पैंट्री वाले वैंडरों ही सहारा बनते हैं। अधिक समय तक ट्रेनें लेट होने के कारण ट्रेनों में गंदगी फैल जाती है और कई बार तो टॉयलैट के लिए पानी भी उपलब्ध नहीं होता जिससे अधिक समस्या पैदा हो जाती है।

हर रोज 2 लाख रुपए का टिकट रिफंड

ट्रेनों के लेट होने व डायवर्ट होने के कारण अधिकतर यात्री अपनी टिकटें कैंसिल करवा रहे हैं। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार अकेले फिरोजपुर मंडल की तरफ से यात्रियों को 2 लाख रुपए से अधिक का टिकट रिफंड जा रहा है जिसके लिए स्पैशल काऊंटर चलाए जा रहे हैं जबकि इससे अधिक का रिफंड ऑनलाइन टिकट बुक करवाने वाले यात्रियों का हो जाता है, जबकि ट्रेनें लेट होने के कारण कई यात्री न तो यात्रा कर पा रहे है और न ही अपना रिफंड ले पाते है जिससे उनकी टिकट फिजूल चली जाती है।

कमर्शियल विभाग भी घाटे में, व्यापार पर गहरा असर

इस धरने के कारण रेलवे का कमर्शियल विभाग भी घाटे में जा रहा है, क्योंकि ट्रेने रद्द होने के कारण सामान की लोडिग व अनलोडिग नहीं हो रही है। व्यापरियों को अपना सामान भेजने के लिए ट्रासपोर्टरों का सहारा लेना पड़ रहा है और उन्हें लागत भी अधिक देनी पड़ रही है।

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