6 महीनों से पंजाब की अर्थव्यवस्था को हुआ 85 हजार करोड़ का नुक्सान

Edited By Vatika,Updated: 09 Oct, 2020 03:36 PM

punjab s economy lost 85 thousand crores for 6 months

कोविड-19 के समय में पंजाब भर के बड़ी संख्या में कारखानों में काम करने वाले मजदूर पलायन कर गए हैं।

अमृतसर(इन्द्रजीत): कोविड-19 के समय में पंजाब भर के बड़ी संख्या में कारखानों में काम करने वाले मजदूर पलायन कर गए हैं। आपदा के कारण व्यापार में मंदी स्थिति बनी और पंजाब की इंडस्ट्री का इसमें न पूरा होने वाला नुक्सान हुआ है और आने वाले समय में भी इंडस्ट्रीज की हालत लेबर की कमी के कारण सुधरने वाली दिखाई नहीं दे रही।

पंजाब के बड़ी संख्या में छोटे-बड़े यूनिट बंद हो जाने के कारण पंजाब की अर्थव्यवस्था को 85  हजार करोड़ रुपए का नुक्सान सहना पड़ा, वहीं दूसरी ओर जी.एस.टी विभाग को भी इन महीनों में लगभग 1 हजार से 15 सौ करोड़ के नुक्सान होने का अनुमान बताया जा रहा है। पूरे पंजाब की गिनती में डेढ़ लाख कारखानेदार है, जो इस समय लेबर के कारण अधर में लटके हुए हैं। एक तरफ मंदी, दूसरी तरफ लेबर की कमी : अब उद्योगपतियों की मजबूरी यह है, इसमें भारी मंदी का माॢकट में एक तरफ तो व्यापारी को बाजार से आर्डर नहीं मिल रहे, वहीं दूसरी ओर जो थोड़े बहुत हार्ड निकलते हैं, वह मजदूरों के बगैर निपटाए नहीं जा सकते, जिस कारण कारखाने न तो इस समय बंद हैं, न चल रहे हैं और मझधार में लटके हुए हैं।

इसके साथ कारखानेदार की यह भी दूविधा कम नहीं है कि यदि मजदूर न आए तो भी कारखाना बंद और यदि मंगवा लिया जाए तो उनका वेतन देने के लिए उद्योगपति के पास पैसा और साधन भी नहीं है। उधर, मजदूरों की सुनें तो मजदूरों की मजबूरी यह भी है कि यदि काम नहीं करते तो उनके अपने प्रदेशों में भी उनकी रोटी-रोजी का प्रबंध करने वाला कोई ठोस साधन नहीं है, यदि पंजाब में वापस आते हैं तो यहां के उद्योगपतियों की स्थिति भी उनसे छिपी हुई नहीं है कि उन्हें यहां कितनी देर रखा जाए या बाद में वापस भेज दिया जाए इसकी भी कोई गरंटी नहीं है। इसके बाद भी उन्हें अपने परिवार सहित रहने के लिए प्रबंध भी कोई निश्चित नहीं है।

पंजाब के पास स्किल्ड लेबर मजदूर नहीं
इसमें संदेह नहीं कि पंजाब के कारखानेदारों के पास लोकल लेबर भी बड़ी गिनती में उपलब्ध है, लेकिन उनमें ज्यादातर स्किल्ड लेबर है, जिसमें फोरमैन कारीगर तो मौजूद हैं, वहीं प्रदेश के कारखानों से पलायन की गई लेबर हैल्पर थी और सख्त मजदूरी की जिम्मेदारी ज्यादातर उन पर ही थी। पंजाब की लेबर बेशक इन बेरोजगार है, फिर भी यहां की लेबर दूसरे प्रदेशों की अपेक्षा बेहद महंगी है। दूसरे प्रदेश का मजदूर जहां 2 से अढ़ाई सौ रुपए प्रतिदिन मजदूरी लेता है, लेकिन पंजाब की लेबर ठेके पर काम करती है, जिसमें 500 से हजार रुपए पर की दिहाड़ी बने। प्रदेश के कारखानेदार बताते हैं कि पंजाब के लोग मजदूरी के साथ-साथ छोटी-छोटी बातों पर हड़ताले आदि कर कारखानेदारों को परेशान करते हैं, जिसका कारखाने की प्रोडक्शन और सेल पर भारी असर पड़ता है, इसलिए दूसरे प्रदेशों की लेबर ही कारगर सिद्ध होती है।

कृषि के बाद उद्योगपति हैं बेरोजगारों के अन्नदाता
पंजाब खेती प्रधान प्रदेश है, लेकिन इसके साथ-साथ पंजाब का माइक्रो स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज पंजाब की अर्थव्यवस्था में 44 प्रतिशत अपना योगदान देता है। कृषि के बाद उद्योगपति ही बेरोजगारों के अन्नदाता हैं। प्रदेश की औद्योगिक इकाइयों में सबसे अधिक लेबर बाहरी प्रांतों से आती है। छोटे लघु उद्योगपतियों के पास कोई फिक्स लेबर नहीं होती, इसलिए ऐसी आपदा के लिए इन्हें सरकार की मदद की जरूरत होती है, जो सरकार से मिल नहीं पा रही, यही उद्योगपतियों की दुविधा है।

एक्साइज विभाग का टूट रहा टारगेट
मजदूरों के पलायन कर जाने से आबकारी विभाग को भी भारी नुकसान पहुंचा है। शराब के ठेकेदारों को 3 करोड़ रुपए की प्रतिदिन सेल लेबर क्लास लोगों से होती है, जो बिल्कुल खत्म के करीब पहुंच चुकी है। इन 6 महीनों में 600 करोड़ रुपए की बिक्री का असर संबंधित विभाग को पड़ा है। बड़ी बात यह भी है कि शराब के ठेकेदारों को लेबर क्लास को बिकनी सस्ती शराब से बढय़िा की अपेक्षा ज्यादा मार्जन मिलता है, जिससे सरकार को अच्छा खासा टेक्स मिल जाता है जिसकी अब हानि हो रही है।

सरकार हस्तक्षेप कर राहत दे : समीर जैन
पंजाब प्रदेश व्यापार मंडल के महामंत्री समीर जैन कहते हैं कि पंजाब सरकार उद्योग को पुनर्जीवित करने के लिए बिजली की दरों मे राहत दे, जिसे बिजली बोर्ड बिना कारण को बढ़ाता रहता है। पंजाब की हालात को पटरी पर लाने के लिए सरकार को एक मजबूत इच्छाशक्ति की आवश्यकता है। सरकार कई वायदों के बाद भी व्यापारियों को कुछ देने को तैयार नहीं होती। इसमें व्यापारियों को तुरंत राहत देने की आवश्यकता है। उद्योगों को दोबारा अस्तित्व में लाने हेतु कम दरों पर लोन और सस्ते रेट पर बिजली की आवश्यकता है, ताकि कारखाने अपने अस्तित्व में आए और मजदूरों को स्थाई तौर पर काम  और संरक्षण मिले।

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