Punjab : लाखों की संख्या में माघी मेले में पहुंचे श्रद्धालु, जानें क्यों मारते हैं मुगल की कब्र पर जूते-चप्पल

Edited By Kamini,Updated: 14 Jan, 2025 01:41 PM

punjab lakhs of devotees reached maghi fair

पंजाब भर में आज माघी का मेला धूमधाम से मनायाजा रहा है।

पंजाब डेस्क : पंजाब भर में आज माघी का मेला धूमधाम से मनायाजा रहा है। वहीं अगर श्री मुक्तसर सहिब की बात करें तो वहां पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु माघी का शाही स्नान करने पहुंचे हैं। यहां पर श्रद्धालु गुरुद्वारा श्री टूटी गंडी साहिब के सरोवर में श्रद्धालु पहुंचे। बताया जा रहा है कि इस गुरुद्वारे के कपाट गत रात्रि 12 बजे ही खोल दिए थे। यहां पहुंचे श्रद्धालुओं ने 9 डिग्री तापमान में सरोवर में डुबकी लगाई और मुगल सैनिक की कब्र पर जूते मारे। 

आकर्षण का केंद्र घोड़ा मंडी

मुक्तसर साहिब में इस माघी मेले में 100 करोड़ की घोड़ा मंडी भी लगी है, जिसमें 2 लाख से लेकर 2 करोड़ तक के अलग-अलग नस्ल के घोड़े आते हैं। माघी मेला में सबसे ज्यादा आकर्षण केंद्र घोड़ा मंडी रहती है, जिसमें 400 से ज्यादा घोड़े आते हैं। इसमें नुकरा (सफेद घोड़ा), मारवाड़ी (राजस्थान) और मज्जुका नस्ल के घोड़े सबसे ज्यादा आकर्षण का केंद्र रहते हैं। बता दें पिछली बार घोड़ों की चैंपियनशिप में 71 इंच हाइट का हरियाणा का बुर्ज खलीफा चैंपियन रहा था। गौरतलब है कि ये माघी मेला कल नगर कीर्तन के साथ समाप्त होगा। 

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आपको ये भी बता दें कि माघी का मेला सिख इतिहास में बैसाखी और बंदी छोड़ दिवस (दीवाली) के बाद तीसरा बड़ा त्योहार है। ये मेला उन 40 सिखों की याद में मनाया जाता है, जिन्होंने पहले गुरु गोबिंद सिंह जी के साथ लड़ने से इनकार कर दिया था। माई भागो की प्रेरणा के बाद लड़ाई में अपने प्राणों का बलिदान दे दिया। सिख इतिहास में इन्हें गुरु गोबिंद सिंह जी के "चाली मुकते" कहा जाता है।  इस बार यह मेला 11 जनवरी से शुरू हो चुका है जोकि 14 जनवरी को यहां अखंड पाठ के भोग डाले जाएंगे। 15 जनवरी को नगर कीर्तन निकालने के साथ निहगों की घुड़दौड़, घोड़ों के मुकाबले होंगे और उसके बाद पारंपरिक तौर पर मेले की समाप्ति की जाएगी।

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श्रद्धालु मुगल की कब्र पर मारते हैं जूते

सिख इतिहास के मुताबिक मुगलों के साथ खिदराने की जंग के बाद गुरू गोबिंद सिंह जी मुक्तसर में रुके थे। गुरुद्वारा दातनसर साहिब में एक बार गुरू गोबिंद सिंह जी दातुन कर रहे थे तभी मुगल सैनिक नूरदीन ने उन पर किसी नुकीली चीज से हमला करने की कोशिश की। गुरु गोबिंद सिंह ने तुरन्त उन पर बर्तन उठाया और मार दिया। इसके बाद यहां पर सैनिक नूरदीन की कब्र बनाई गई है। जिसे सिख अन्याय और गुरु साहिब के खिलाफ की गई साजिश का प्रतीक मानते हुए गुरुद्वारे के दर्शन के बाद श्रद्धालु यहां कब्र पर जूते-चप्पलें मारते हैं।  

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