Edited By Kalash,Updated: 28 Jul, 2025 01:22 PM
बरनाला (विवेक सिंधवानी, रवि, उमेश): बरनाला क्लब के मॉर्निंग टेबल पर एक बार फिर शहर के तेजी से फैलते होटल कारोबार की गंभीर चर्चा का विषय रहा। स्थानीय लोगों ने चिंता जताई कि कैसे शहर में बिना किसी बड़ी औद्योगिक या व्यावसायिक जरूरत के होटल अमरबेल की तरह उगते जा रहे हैं, और इनमें से कई में कथित रूप से देह व्यापार जैसे अनैतिक कार्यों की गतिविधियां चल रही थीं। मालूम हो कि हाल ही में नागरिकों की शिकायतों के बाद बरनाला के सिविल और पुलिस प्रशासन ने संयुक्त रूप से छापेमारी की थी, जिसमें 11 होटलों को बंद कर दिया गया था। ये होटल आवश्यक शर्तों को पूरा नहीं कर रहे थे और कईयों पर गंभीर आरोप लगे थे कि इनका उपयोग वेश्यावृत्ति जैसे अपराधों में हो रहा था।
सवालों के घेरे में प्रशासन की पूर्व भूमिका
मॉर्निंग टेबल के सदस्य मक्खन शर्मा, राजीव लोचन मीठा, सुखदेव लुटावा, अजय मित्तल पप्पू, गगन सोहल, उमेश बंसल, राजीव जैन, प्यारा लाल रायसरिया, बिट्टू जे ई, संजय कुमार, कुलतार तारी व अन्य सदस्यों ने प्रशासन पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह चिंता का विषय है कि इतने वर्षों तक प्रशासन ने इन होटलों पर कोई गंभीर निगरानी क्यों नहीं रखी। यदि स्थानीय नागरिकों ने आवाज न उठाई होती, तो शायद अब भी कोई कार्रवाई नहीं होती।
उन्होंने कहा कि बरनाला कोई बड़ा औद्योगिक या पर्यटन केंद्र नहीं है, फिर भी अन्य राज्यों के लोग यहां बड़ी संख्या में होटल खोल रहे हैं, जो अपने आप में ही कई सवाल खड़े करता है। ऐसा लगता है कि इन होटलों की आड़ में कोई बड़ा गोरखधंधा छिपा हुआ है, जिसमें देह व्यापार के आरोपों की संभावना को बल मिलता है।
प्रशासन को चाहिए सख्त कार्रवाई
सदस्यों ने कहा कि एक तरफ तो 11 होटल बंद किए गए हैं, लेकिन अब आवश्यकता है कि शेष होटलों की भी गहनता से जांच की जाए। यदि प्रशासन अभी भी सतर्क नहीं हुआ, तो शहर का सामाजिक ताना-बाना बुरी तरह से प्रभावित हो सकता है। मक्खन शर्मा ने तो यह तक कहा कि बस स्टैंड के आसपास स्थित कुछ होटलों में भी पुलिस को विशेष निगरानी और जांच करनी चाहिए, ताकि शहर में चल रही संदिग्ध गतिविधियों पर पूर्ण विराम लगाया जा सके।
‘देर आए, दुरुस्त आए’ की नीति अब और नहीं चलेगी
सदस्यों ने कहा कि “देर आए, दुरुस्त आए” की नीति अब पर्याप्त नहीं है। प्रशासन को चाहिए कि समय रहते और भी सख्त कदम उठाए। उन्हें न केवल होटल के लाइसेंस, दस्तावेज और संचालन की परिस्थितियों की जांच करनी चाहिए, बल्कि यह भी देखना चाहिए कि क्या इन होटलों का संचालन वैध उद्देश्यों के लिए किया जा रहा है।
इस मुद्दे पर पूरी पारदर्शिता और सख्ती करे प्रशासन
इस दौरान यह भी कहा गया कि शहरवासियों का प्रशासन में विश्वास तब ही बना रहेगा, जब उन्हें लगेगा कि प्रशासन उनकी सुरक्षा और गरिमा की रक्षा के लिए निष्पक्ष और कठोर कार्रवाई कर रहा है। गगन सोहल ने कहा कि अब समय आ गया है कि इन सभी होटलों के रिकॉर्ड की सार्वजनिक जांच रिपोर्ट सामने लाई जाए, ताकि आम नागरिक यह जान सकें कि शहर में क्या चल रहा है।
बरनाला शहर में तेजी से पनपते होटलों और उनमें संभावित अनैतिक गतिविधियों को लेकर उठी चिंता अब गंभीर रूप ले चुकी है। शहरवासियों की सतर्कता और मॉर्निंग टेबल की मुखरता ने प्रशासन को कार्रवाई के लिए मजबूर किया है, लेकिन यह शुरुआत है। अब आवश्यक है कि प्रशासन इस मुद्दे पर पूरी पारदर्शिता और सख्ती बरते, ताकि बरनाला की छवि धूमिल न हो और शहरवासी स्वयं को सुरक्षित महसूस कर सकें।
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