दिल्ली, अमृतसर, कटरा एक्सप्रेस-वे में एक्वायर की गई ज़मीन को मुक्त कराने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर

Edited By Paras Sanotra,Updated: 07 Jun, 2023 09:47 PM

petition filed in the high court to free the acquired land

एक्वायर की गई ज़मीन वापिस लेने और छुड़वाने के लिए 126 ज़मीन मालिकों ने सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट चरणपाल सिंह बागड़ी और डॉ. गुरजीत कौर जस्सड़ के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की है।

पंजाब डेस्क: ज़िला लुधियाना के अलग-अलग गांवों द्वारा नेशनल हाईवे की तरफ से दिल्ली, अमृतसर, कटरा एक्सप्रेस-वे के लिए उनकी एक्वायर की गई ज़मीन वापिस लेने और छुड़वाने के लिए 126 ज़मीन मालिकों ने सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट चरणपाल सिंह बागड़ी और डॉ. गुरजीत कौर जस्सड़ के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। इस हिस्से के अलावा 20-25 और मांगें भी की गई हैं। इसमें एनवायरमेंट क्लियरेंस रिपोर्ट तुड़वाने की मांग की गई है। ज़िक्रयोग्य है कि एनवायरमेंट क्लियरेंस लेते समय नेशनल हाईवे ने जो वचन दिए थे, उन्हें पूरा नहीं किया गया।

जिसमें घर के बदले घर, परिवार के एक सदस्य को नौकरी या पांच लाख रुपये ट्रांसपोर्टेशन का खर्चा आदि शामिल है। याचिका में यह भी मांग की गई है कि जिस व्यक्ति के घर की दीवार या कुछ हिस्सा सड़क में आता है तो वह घर रहने के लायक नहीं रहेगा। इसलिए या तो एलाइनमेंट बदल कर घर से दूर सड़क बनानी चाहिए थी या पूरा का पूरा घर एक्वायर करना बनता था जोकि नहीं किया गया। इसके इलावा यह भी मांग की गई कि भूमिगत जल पाइपलाइन, बोरवेल, नलकूप, धर्मस्थल के स्थान पर ट्यूबवेल लगा कर देना, धर्मस्थल का निर्माण करना, सड़क पर चढ़ने-उतरने का अधिकार देना, बंटी हुई भूमि को सिंचाई का साधन मुहैया करवाना, पुल बना कर देना और सर्विस रोड देना बनता था लेकिन नेशनल हाईवे ने करोड़ों रुपयों का बजट तो रखा पर ज़मीन मालिकों को इन साधनों के लिए कुछ भी नहीं दिया।

संपूर्ण अधिग्रहण अवॉर्ड तोड़ने की मांग विभिन्न कानूनी आधारों पर की गई है और अवार्ड पास करते समय सेक्शन 26 के मुताबिक ज़मीन का बनता मुआवजा प्रचलित बाजार दरों पर निर्धारित नहीं किया गया है, जो कि कानूनी ड्यूटी बनती थी। 2 जून 2023 को सुनवाई के दौरान नेशनल हाईवे ने कोर्ट के आगे अपना पक्ष रखा लेकिन कोर्ट ने अंतरिम राहत नहीं दी और मामले की सुनवाई 10 जुलाई 2023 को तय की गई और माननीय उच्च न्यायालय ने यह भी लिखा है कि पीटिशनर्ज ने अधिग्रहण जड़ से तोड़ने के लिए और भी दलीलें कानून के अनुसार कोर्ट के आगे रखने की मांग की है।

उल्लेखनीय है कि अभी तक भूमिगत जल पाइपलाइन, पेड़, बोरवेल का कोई भी अवॉर्ड या सप्लीमेंट्री अवॉर्ड पारित नहीं किया गया है। यह भी ज्ञात नहीं है कि राष्ट्रीय राजमार्ग ने किस आधार पर न्यायालय में गलत बयान दिया है और न ही कोई कागज जो कोर्ट में दिया है, वह पीटिशनर्ज के वकीलों को दिया गया है।    जिसके लिए न्यायालय में आवश्यक कार्रवाई जारी है। याचिकाकर्ता के वकील द्वारा मांग की गई है कि या तो 2013 अधिनियम की पहली, दूसरी और तीसरी अनुसूची का पूर्ण पालन किया जाए और सही कीमत निर्दिष्ट करके पूरा अधिकार दिया जाए अन्यथा मालिकों की ज़मीनें अधिग्रहण से छोड़ी जाएं। इस मामले की अगली सुनवाई हाईकोर्ट ने गर्मियों की छुट्टियों के तुरंत बाद 10 जुलाई, 2023 को तय की है।

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