सरकारी स्कूलों के नतीजे जब शत-प्रतिशत आएंगे तभी मेरी जिम्मेदारी पूरी होगी: सोनी

Edited By swetha,Updated: 12 May, 2019 11:01 AM

op soni interview

पंजाब विधानसभा के अमृतसर केन्द्रीय विधानसभा हलके का प्रतिनिधित्व करने वाले राज्य के शिक्षा मंत्री ओम प्रकाश सोनी ने पिछले एक वर्ष के दौरान शिक्षा विभाग में क्रांतिकारी परिवर्तन लाए हैं, जिस कारण शिक्षा विभाग द्वारा घोषित 10वीं व 12वीं कक्षा के...

जालंधर (धवन): पंजाब विधानसभा के अमृतसर केन्द्रीय विधानसभा हलके का प्रतिनिधित्व करने वाले राज्य के शिक्षा मंत्री ओम प्रकाश सोनी ने पिछले एक वर्ष के दौरान शिक्षा विभाग में क्रांतिकारी परिवर्तन लाए हैं, जिस कारण शिक्षा विभाग द्वारा घोषित 10वीं व 12वीं कक्षा के नतीजों में महत्वपूर्ण सुधार देखने को मिला है। राज्य के सरकारी स्कूलों की दशा को सुधारने व शिक्षा विभाग का कायाकल्प करने की जिम्मेदारी पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने ओ.पी. सोनी को सौंपी थी, जिसे उन्होंने बखूबी निभाया। सोनी ने कहा कि सरकारी स्कूलों के नतीजे जब शत-प्रतिशत आएंगे तभी शिक्षा मंत्री के रूप में मेरी जिम्मेदारी पूरी होगी। शिक्षा विभाग व सरकारी स्कूलों को लेकर शिक्षा मंत्री से लिए गए साक्षात्कार के प्रमुख अंश निम्र हैं:

प्र. : पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड के 10वीं व 12वीं कक्षा के नतीजे बेहतरीन आए हैं?
उ. : 10वीं व 12वीं कक्षा के बेहतरीन नतीजों का श्रेय सबसे पहले मुख्यमंत्री कैप्टन को जाता है, जिन्होंने शिक्षा मंत्री बनते ही उन्हें पहली बैठक में शिक्षा विभाग का कायाकल्प करने के लिए कहा था। दोनों कक्षाओं के नतीजे पूर्व अकाली सरकार की तुलना में 20 से 25 प्रतिशत बेहतर हुए हैं। हमारी कोशिश रहेगी कि चालू वित्तीय वर्ष के दौरान शिक्षा विभाग को इतना अधिक मजबूत कर दिया जाए कि अगले वर्ष घोषित होने वाले नतीजे 100 प्रतिशत आएं। तभी मैं शिक्षा मंत्री के रूप में स्वयं को पूरी तरह से सफल कहूंगा। 

प्र. : क्या आप समझते हैं कि शिक्षा मंत्री के रूप में आपकी जिम्मेदारी पूरी हो गई है?
उ. :
नहीं। अभी मेरी जिम्मेदारी पूरी नहीं हुई है। जब तक राज्य के सरकारी स्कूलों के नतीजे शत-प्रतिशत नहीं आते तब तक मेरी जिम्मेदारी पूरी नहीं होगी। उम्मीद है कि मुख्यमंत्री की सोच को मैं अगले एक वर्ष में पूरा करने में कामयाब होऊंगा।

प्र. : बार्डर जिलों में तो अध्यापक सरकारी स्कूलों में जाते ही नहीं थे, फिर नतीजे कैसे बेहतर हुए?
उ. :
बार्डर जिलों में पहले 30 प्रतिशत अध्यापकों की सरकारी स्कूलों में कमी थी, जोकि गंभीर ङ्क्षचता का विषय था। शिक्षा मंत्री का दायित्व संभालते ही सबसे पहले अध्यापकों की कमी को पूरा किया गया। स्कूली विद्याॢथयों में शिक्षा का स्तर ऊंचा करने के लिए अतिरिक्त क्लासें लगाई गईं तभी बार्डर जिलों के नतीजे भी बेहतर आए हैं। 

प्र. : सरकारी स्कूलों के नतीजे बेहतर आने के पीछे एक कारण नकल पर रोक लगाना भी रहा है?
उ.:
सरकार द्वारा की गई सख्ती के बाद इस बार नकल पर पूरी तरह से रोक लगी। फ्लाइंग स्क्वॉयड लगातार परीक्षाओं के दिनों में चैकिंग करते रहे। वह स्वयं भी सरकारी स्कूलों की चैकिंग करते रहे। 

प्र. : पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के गांव बादल में भी सरकारी स्कूलों के नतीजों ने कमाल कर दिया है?
उ. : पहले बादल गांव में सरकारी स्कूलों के नतीजे 35 से 40 प्रतिशत ही आते थे, जबकि इस बार पंजाब सरकार द्वारा की गई कोशिशों से बादल गांव में भी स्कूली नतीजे 80 प्रतिशत तक आ गए हैं जोकि पंजाब सरकार के लिए गौरव का विषय है क्योंकि जो कार्य पूर्व बादल सरकार नहीं कर सकी, वह अमरेन्द्र सरकार ने कर दिखाया है। 

प्र. : शिक्षा विभाग में एक वर्ष के अंदर ही सुधार कैसे आ गया?
उ. : वास्तव में शिक्षा मंत्री बनते ही मैंने पंजाब को 4 जोनों में बांट दिया था। इन 4 जोनों को शिक्षा विभाग के सचिव, डायरैक्टर जनरल, डी.पी.आई. तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के हवाले कर दिया गया था। समय-समय पर शिक्षा विभाग की टीमें सरकारी स्कूलों का दौरा करती रहीं तथा उनमें पाई जाने वाली कमियों को दूर किया जाता रहा।  बार्डर जिलों में भी टीमें दौरा करती रहीं। इससे स्कूली अध्यापकों के ऊपर भी बेहतर नतीजे देने के लिए दबाव रहा। इसके अतिरिक्त सरकारी स्कूलों में अध्यापकों की हाजिरी के लिए बायोमैट्रिक प्रणाली लागू की और हाजिरी चैक करने को याकीनी बनाया। जिन स्कूलों में विद्यार्थी पढ़ाई में कमजोर थे, वहां पर अध्यापकों ने अतिरिक्त कक्षाएं लगाईं।

प्र. : सरकार ने पिछले एक वर्ष के दौरान स्कूलों में स्मार्ट कक्षाएं शुरू की हैं उसका क्या प्रभाव रहा?
उ. :
सरकारी स्कूलों में स्मार्ट कक्षाएं शुरू करने से विद्यार्थियों को डिजीटल शिक्षा मिलनी शुरू हो गई। इससे विद्यार्थियों का बौद्धिक स्तर ऊंचा हुआ तथा सरकारी स्कूलों के नतीजे बेहतर आए। स्कूलों में प्रोजैक्टर, ग्रीन बोर्ड व अन्य सुविधाएं दी गई हैं।

प्र. : सरकार ने जालंधर, अमृतसर व लुधियाना में सभी सरकारी स्कूलों को स्मार्ट स्कूल बनाने का ऐलान किया है?
उ.:
जालन्धर, अमृतसर तथा लुधियाना में सभी सरकारी स्कूलों को स्मार्ट स्कूल बनाने के लिए सरकार ने पहले ही 20 करोड़ की ग्रांट जारी कर दी है। चुनाव खत्म होते ही इन सभी सरकारी स्कूलों को स्मार्ट स्कूलों में परिवर्तित कर दिया जाएगा।

प्र. : अंग्रेजी भाषा को पहली कक्षा से शुरू करने के कैप्टन सरकार के फैसले का अकालियों ने कड़ा विरोध किया था।
उ. :
यह सही है कि अकालियों ने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह के फैसले का विरोध किया था। अब डेढ़ वर्ष के अंदर ही जिस तरह के नतीजे सरकारी स्कूलों के आए हैं उससे अकालियों की आंखें खुल जानी चाहिएं। अंग्रेजी भाषा को पहली कक्षा से लागू करना जरूरी था, क्योंकि पंजाब के विद्यार्थी राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय मुकाबलों में ठहर नहीं पा रहे थे। अब पंजाब के विद्यार्थी अन्य राज्यों के विद्याॢथयों का भविष्य में अच्छी तरह से मुकाबला कर सकेंगे। 

प्र. : पहले वर्ष ही शिक्षा विभाग में सुधार लाने के लिए कितना पैसा खर्च किया गया?
उ. :
पहले ही वर्ष हमने सरकारी स्कूलों की दशा को सुधारने पर 800 करोड़ रुपए की राशि खर्च की। सरकारी स्कूलों में बैंच व अन्य आधारभूत ढांचा उपलब्ध करवाया गया। स्कूली विद्याॢथयों को यूनीफार्म दी गई। मिड-डे मील बच्चों को उपलब्ध करवाई गई। अब स्कूलों की दशा सुधरी है। 

प्र. : राज्य के कई सरकारी स्कूलों की इमारतें असुरक्षित हैं?
उ. :
हमने प्रत्येक विधायक चाहे वह कांग्रेस का हो चाहे अन्य पार्टी का, उसे अपने विधानसभा हलके के 20-20 स्कूलों की सूची देने के लिए कहा है जिनकी इमारतें असुरक्षित हैं। चुनाव के बाद इन स्कूलों की इमारतों को पक्का किया जाएगा। 

प्र. : सरकारी स्कूलों में शिक्षा लेने वाले विद्याॢथयों की संख्या बढ़ रही है या घट रही है?
उ. :
सरकारी स्कूलों में इस बार दाखिला 20 प्रतिशत बढ़ा है। हमारी कोशिश रहेगी कि सरकारी स्कूलों में पंजाबियों के बच्चे शिक्षा ग्रहण करें। वह प्राइवेट स्कूलों को छोड़ कर सरकारी स्कूलों में आएं। इससे ही शिक्षा विभाग अपने लक्ष्य को हासिल कर सकेगा। 

प्र. : शिक्षा विभाग का चालू वर्ष का बजट कितना है?
उ. :
शिक्षा विभाग का चालू वर्ष का बजट 11000 करोड़ का है जिसमें से 9 हजार करोड़ तो अध्यापकों व अन्य कर्मचारियों के वेतन में निकल जाएंगे। शेष राशि स्कूलों की दशा को सुधारने पर खर्च की जाएगी। 

प्र. : शिक्षा को लेकर सरकार की नीति कैसी रहेगी?
उ. :
मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह की सोच है कि शिक्षा व स्वास्थ्य दोनों विभागों का कायाकल्प होना चाहिए। कैप्टन अमरेन्द्र सिंह की सोच है कि अगर पंजाब को आगे बढऩा है तो सबसे पहले शिक्षा व स्वास्थ्य विभागों में मूलभूत सुधार करके उन्हें अपने पैरों पर खड़ा किया जाना चाहिए।  

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