Edited By Vatika,Updated: 04 May, 2024 12:36 PM
इस संभावित खतरे को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने 2021 में एक एडवाइजरी भी जारी की थी।
चंडीगढ़: कोविशील्ड वैक्सीन के साइड इफेक्ट टीकाकरण के 21 से 30 दिन के अंदर देखने को मिल सकते हैं। इसके बाद साइड इफेक्ट का खतरा नहीं रहता है। इसलिए जिन लोगों ने यह टीका लगवाया है उन्हें चिंता करने की जरूरत नहीं है। इसके साथ ही इस संभावित खतरे को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने 2021 में एक एडवाइजरी भी जारी की थी।
कोविशील्ड वैक्सीन और दुर्लभ खून के थक्कों के दुष्प्रभावों के बीच संभावित संबंध के बारे में एस्ट्राजेनेका के ऐलान के बाद वैक्सीन लगाने वाले लोगों के मनों में उठ रहे सवालों के मद्देनजर पीजीआई में कोविशील्ड के ट्रायल की प्रमुख अन्वेषक रही सामुदायिक चिकित्सा विभाग की प्रोफेसर मधु गुप्ता ने यह जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि अत्यंत दुर्लभ दुष्प्रभाव जिससे थ्रांबोसिस विद थ्रांबोसाइटोपेनिया सिंड्रोम कहा जाता है, टीकाकरण के 21 से 30 दिन के बीच सामने आ सकता है इसलिए अब चिंता करने की कोई भी वजह नहीं है।
प्रो. मधु ने बताया कि कोविशील्ड टीके को लेकर देशभर के 17 केंद्रों में तीन ह्यूमन ट्रायल हुए थे। उन केंद्रों में पीजीआई भी शामिल था। पीजीआई में 250 प्रतिभागियों को यह टीका लगाया गया था लेकिन उनमें से किसी में भी यह दुष्प्रभाव सामने नहीं आया। उन्होंने बताया कि ह्यूमन ट्रायल में देश भर में 1600 प्रतिभागी शामिल थे। उनमें से किसी में भी इस दुष्प्रभाव की पुष्टि नहीं हुई है। प्रो. मधु ने बताया कि मई 2021 में भारत सरकार की ओर से जारी एडवाइजरी में विशेष रूप से इस दुर्लभ दुष्प्रभाव का उल्लेख किया गया था और कहा गया था कि इस तरह के प्रतिकूल घटनाओं के लक्षण वाले व्यक्ति को इसकी दूसरी खुराक नहीं दी जानी चाहिए। वहीं सिरम इंस्टीट्यूट आफ इंडिया के आंकड़ों से पता चलता है कि यह दुष्प्रभाव सात करोड़ टीकाकरण में से एक में हो सकता है। इस आंकड़े का उल्लेख उनके सूचनात्मक पत्रक में भी किया गया है। प्रो. मधु ने बताया कि पीजीआई में जिन स्वास्थ्य कर्मियों को टीका लगाया गया और निगरानी की गई, उनमें गंभीर बीमारी और मौत को रोकने में टीका 70 प्रतिशत तक प्रभावशाली पाया गया।