पंजाब में कितनी बदल गई इन दिग्गज नेताओं वाली कांग्रेस, पढ़ें  पूरी खबर

Edited By Vatika,Updated: 23 Apr, 2024 11:54 AM

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: लोकसभा चुनावों के कारण इन दिनों देश भर में राजनीतिक माहौल गर्म है

जालंधर(अनिल पाहवा) : लोकसभा चुनावों के कारण इन दिनों देश भर में राजनीतिक माहौल गर्म है। पंजाब में चुनावी दौर अभी दूर है, लेकिन उससे पहले ही हलचल तेज हो गई है। कारण है बड़ी संख्या में कांग्रेस के नेताओं का टूट कर भाजपा में शामिल होना। जिसके बाद राज्य में कांग्रेस के लिए अजीब सी स्थिति पैदा हो गई है। यह वही कांग्रेस है, जिसके नेताओं ने पंजाब में आतंकवाद के दौर में लड़ाई लड़ी और राज्य में बुरे दौर को खत्म करने में अपना योगदान दिया। 

बड़े बुजुर्गों ने निभाई अहम भूमिका
राज्य में स. बेअंत सिंह, दर्शन सिंह के.पी., मास्टर गुरबंता सिंह जैसे चेहरे एक समय में राजनीति में पूरी तरह से एक्टिव थे और इन लोगों ने राज्य में आतंकवाद के दौर से लेकर अमन-शांति तक के दौर को देखा था। उक्त तीनों नेताओं को अगर पंजाब में कांग्रेस के बाबा बोहड़ कहा जाए तो कुछ गलत नहीं होगा। इन तीनों ने राज्य की अमन शांति के लिए अपनी शहादत दी। इनके साथ डा. केवल कृष्ण तथा बलराम जाखड़ जैसे नेता भी पंजाब में अहम भूमिका निभा चुके हैं। उक्त पीढ़ी के बाद कैप्टन अमरेंद्र सिंह, हरचरण सिंह बराड़, चौधरी जगत राम, चौधरी संतोख सिंह, महिंद्र सिंह के.पी. जैसे कुछ नाम ऐसे भी हैं, जिन्होंने कांग्रेस के पुराने नेताओं की नीतियों को आगे बढ़ाया। ये नेता पिछले समय तक कांग्रेस के साथ पूरी तरह से ढाल बनकर जुटे रहे, लेकिन इनमें से कुछ नेता अब या तो कांग्रेस छोड़ चुके हैं या कुछ ऐसे नेता भी हैं, जो दुनिया से रुख्सत हो चुके हैं। 

कैप्टन से लेकर जाखड़ तक हो गए बेमुख
राज्य में इन नेताओं के आगे परिवार भी पूरी तरह से एक्टिव रहे। इनके परिवारों ने कांग्रेस में चुनाव भी लड़े और कोई विधायक बना तो कोई सांसद। किसी को मंत्रिमंडल भी नसीब हो गया, लेकिन अब पिछले कुछ समय से पंजाब में कांग्रेस की दशा दिशा बदलती दिख रही है। पुराने तथा पार्टी के सिपाहसलार नेता अब इस दुनिया में नहीं है, लेकिन उनके अगले परिवारों ने धीरे-धीरे कांग्रेस को अलविदा कह दिया है। पुरानी पीढ़ी में कैप्टन अमरेंद्र सिंह, महिंद्र सिंह के.पी., परनीत कौर जैसे नेता कांग्रेस को अलविदा कह चुके हैं, जबकि नई पीढ़ी में सुनील जाखड़, रवनीत बिट्टू, चौधरी संतोख सिंह की पत्नी कर्मजीत कौर, राजकुमार चब्बेवाल, सुशील रिंकू सहित करीब एक दर्जन बड़े कांग्रेसी नेता दूसरे दलों में शामिल हो चुके हैं। भाजपा में शामिल होने वाले नेताओं की तादाद ज्यादा है। 

सोचो कहीं ऐसा हो तो.....
कांग्रेस का जिस तरह से कुनबा बिखरा है, उससे एकाएक लगने लगा है कि पार्टी की हवा ही खराब है। लेकिन राजनीतिक क्षेत्रों में एक और चर्चा भी चल रही है कि अगर कहीं किसी तरह से पंजाब में लोकसभा सीटों में बढ़त बनाने में कामयाब हो गई तो पार्टी के लिए जी-जान लगाने वाले जो लोग दुनिया से रुख्सत हो चुके हैं, उनकी आत्मा तो त्रस्त होगी ही, पार्टी का हाथ छोड़ने वाले मौजूदा नेताओं की भी हालत खराब हो जाएगी।

 

टकसाली परिवारों के कांग्रेस छोड़ने के कारण पार्टी पतन की तरफ : टिक्का
पंजाब भाजपा कार्यकारिणी के सदस्य तथा पंजाब मीडियम उद्योग विकास बोर्ड के पूर्व चेयरमैन अमरजीत सिंह टिक्का ने आज मीडिया से बात करते हुए कहा है कि जिस तरह कांग्रेस के टकसाली परिवार पार्टी को छोड़कर जा रहे हैं, इससे लगता है कि कांग्रेस का पंजाब में अंत आ गया है। उन्होंने कहा कि सबसे पहले कांग्रेस छोड़ने वाले कैप्टन अमरेंद्र सिंह तथा उनके परिवार ने अपने दूर अंदाजी तरीके से पंजाब में दो बार कांग्रेस की सरकार बनाई। पूर्व मुख्यमंत्री स्व. बेअंत सिंह का परिवार जिन्होंने पंजाब में श्री हरिमंदिर साहिब पर हुए सैनिक हमले तथा दिल्ली के सिख कत्लेआम के बाद पंजाब में कांग्रेस को दोबारा खड़ा किया, और आतंकवादियों के बायकाट के बावजूद 1992 में चुनाव लड़ा तथा पंजाब में अमन-शांति की स्थापना की, वह भी पार्टी छोड़ गए। दोआबा क्षेत्र के नामी परिवार, जिनमें चौधरी गुरबंता सिंह के दोनों पुत्र चौधरी जगजीत सिंह तथा चौधरी संतोख सिंह, दर्शन सिंह के.पी. जिन्हें आतंकवादियों ने मार दिया था, उनके पुत्र महिंद्र सिंह के.पी. तथा चौधरी जगत राम की अगली पीढ़ी भी हाशिए पर आ गई है। जगत राम की आतंकवादियों ने हत्या कर दी थी तथा उनके पुत्र त्रिलोचन सिंह सूंढ भी कांग्रेस में हाशिए पर हैं। ये सभी बड़े नेता प्रताप सिंह कैरों, ज्ञानी जैल सिंह तथा दरबारा सिंह जैसी लोगों की सरकारों में बजीर रहे हैं। मालवे के नामी नेता हरचरण सिंह बराड़ का परिवार भी कही नजर नहीं आ रहा। टिक्का ने कहा कि जब उन्होंने 1985 में कांग्रेस का हाथ थामा था, तब उक्त नेताओं के हाथ में कांग्रेस की कमान थी, लेकिन इनकी अगली पीढ़ियों के अन्य दलों में जाने से कांग्रेस पर एक बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। उन्होंने कहा कि सोनिया गांधी को मंथन करना चाहिए कि आखिर टकसाली परिवार कांग्रेस को छोड़कर क्यों जा रहे हैं।

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