Edited By Subhash Kapoor,Updated: 05 Oct, 2024 12:18 AM
देशभर में नवरात्रों का पर्व चल रहा है और हर तरफ मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ देखने को मिल रही है। कल नवरात्रि का तीसरा दिन है और इस दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। इस दिन मां चंद्रघंटा की पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।
पंजाब डैस्क : देशभर में नवरात्रों का पर्व चल रहा है और हर तरफ मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ देखने को मिल रही है। कल नवरात्रि का तीसरा दिन है और इस दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। इस दिन मां चंद्रघंटा की पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा करने से व्यक्ति पराक्रमी और निर्भय हो जाता है, इसके अलावा जीवन के सभी संकट भी दूर हो जाते हैं। नवरात्रि के तीसरे दिन मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप मां चंद्रघंटा की पूजा करने से व्यक्ति को शौर्य, पराक्रम और साहस की प्राप्ति होती है। माता रानी के आशीर्वाद से व्यक्ति जीवन की हर चुनौती का सामना करने की शक्ति मिलती है। इसके अलावा मान्यता है कि मां चंद्रघंटा की पूजा और भक्ति करने से आध्यात्मिक शक्ति मिलती है। वैदिक पंचांग के अनुसार मां चंद्रघंटा की पूजा करने के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 46 मिनट से लेकर 12 बजकर 33 मिनट तक रहेगा।
बता दें कि इस बार इस महापर्व की शुरूआत 3 अक्टूबर से हुई है, जोकि 13 अक्तूबर तक चलेंगे। नवरात्रि के तीसरे दिन माता चंद्रघंटा की पूजा करने का विधान है। ऐसा माना जाता है कि उनकी पूजा से भक्तों के सभी तरह के पाप नष्ट हो जाते हैं और अगर जीवन में किसी तरह का भय है तो उससे भी मुक्ति मिलती है। तीसरे दिन की पूजा में दूध या मेवा से निर्मित चीजों का भोग लगाना चाहिए। ऐसा करने से भक्त की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। आप इस दिन मां को दूध से बनी मिठाई, ड्राईफ्रूट की बर्फी आदि बना कर भोग लगा सकते हैं।
पूजा विधि
1. सुबह स्नान करें और साफ कपड़े पहनें।
2 मां चंद्रघंटा का ध्यान और स्मरण करें।
3 माता चंद्रघंटा की मूर्ति को लाल या पीले कपड़े पर रखें।
4 मां को कुमकुम और अक्षत का लगाएं।
5 मां चंद्रघंटा को पीला रंग अर्पित करें।
6 मां चंद्रघंटा को मिठाई और दूध से बनी खीर चढ़ाएं।
7 पूजा के दौरान मंत्रों का जाप करें।
8 दुर्गा सप्तशती और चंद्रघंटा माता की आरती का पाठ करें।
मां चंद्रघंटा पूजा मंत्र
पिण्डजप्रवरारूढ़ा ण्डकोपास्त्रकेर्युता। प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता॥
या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमो नम:।।