Edited By Updated: 26 Jan, 2017 01:14 PM
मुकेरियां हाईडल नहर की चर्चाएं प्राय: समाचार पत्रों में प्रकाशित होती रहती हैं। 11,500 क्यूसिक जल क्षमता वाले इस प्रोजैक्ट पर 4 पन-बिजली घर हैं जिनसे
मुकेरियां: मुकेरियां हाईडल नहर की चर्चाएं प्राय: समाचार पत्रों में प्रकाशित होती रहती हैं। 11,500 क्यूसिक जल क्षमता वाले इस प्रोजैक्ट पर 4 पन-बिजली घर हैं जिनसे प्रतिदिन 207 मैगावाट विद्युत का उत्पादन होता है। 5वें बिजली घर का निर्माण कार्य गांव टेरकियाणा ब्यास नदी के तट पर लगभग पूर्ण होने को है।
निर्माण समय से ही चर्चा में रहा है प्रोजैक्ट
उक्त प्रोजैक्ट अपने निर्माणकाल से ही चर्चाओं में रहा है। सन् 1992 में गांव निक्कू चक्क के समीप तथा सन् 1995 में पावर हाऊस नं. 3 गांव रैली के समीप नहर क्षतिग्रस्त हो गई थी जिससे राष्ट्र को 100 करोड़ रुपए की क्षति उठानी पड़ी थी। उक्त दोनों दृष्टांत इस नहर की निर्माण में हुई अनियमितताओं का प्रमाण हैं। विभाग ने इन घटनाओं का कभी गंभीरता से संज्ञान नहीं लिया जिसके चलते अब भी अनेक स्थलों पर लीकेज जारी है, बहुमूल्य पानी व्यर्थ में बह रहा है।
नजरअंदाज हो रही है टेल स्थल तक नहर
नहर के उद्गम भाग से लेकर गांव टेरकियाणा टेल तक लगभग 38 किलोमीटर लंबी इस नहर के दोनों किनारों एवं मध्य भाग की लगभग 405 स्लैबें उखड़ी हुई थीं। इनकी मुरम्मत के लिए 68 लाख रुपए सन् 2013 में व्यय किए गए थे मगर मुरम्मत के बाद पानी छोडऩे पर गांव चंगड़वां, खटिगढ़, निक्कू चक्क, ललोते, गोईंवाल की जनता ने सरकार से समाचारपत्रों के माध्यम से लीकेज बंद न होने पर अपना रोष व्यक्त किया तो चंडीगढ़ से निरीक्षण के लिए आई विशेषज्ञों की टीम ने 305 और स्लैबों की पुन: मुरम्मत करवाई जिस पर आनन-फानन में कुल मिलाकर 1 करोड़ रुपए का व्यय कागजों में दिखा दिया गया जबकि कार्य करने वाले ठेकेदार को 3 वर्ष गुजरने पर भी पैसे नहीं मिले।
नहर के प्रभाव में आने वाली जनता है भयभीत
मुकेरियां हाईडल नहर, जिस-जिस क्षेत्र से गुजरती है वहां की जनता इसलिए भयभीत है कि विभागीय लापरवाही के कारण कहीं पुन: 1992, 1995 जैसी प्रलयकारी घटना न हो जाए। उल्लेखनीय है कि उक्त घटनाओं में जनता की हुई क्षति का मुआवजा अभी तक भी लोगों को नहीं मिला। राष्ट्र को क्षति पहुंचाने वाले तत्कालीन अधिकारियों के पैट्रोल पम्प, गैस एजैंसियां, मनी एक्सचेंज एजैंसियां तो है हीं, साथ ही हवाला व्यवसाय भी पूरी तरह चमक रहा है।
सदैव मूक रहते हैं अधिकारी
स्थानीय जनता ने जब अपनी व्यथा सुनाई तो संबंधित विभाग के अधिकारियों का पक्ष लेना जरूरी समझते हुए जब दूरभाष पर उनसे सम्पर्क करना चाहा तो उन्होंने फोन नहीं उठाया। जब किसी तरह उनसे बात हुई तो वे अपने आप को सत्यवादी, कर्मठ, कत्र्तव्यपरायण, ईमानदार होने की रट रटते रहे व नहर की मुरम्मत पर मूक रहे।