कश्मीर से अपने राज्यों में लौटे प्रवासी मजदूर, बोले हालात ठीक होंगे तो सोचेंगे वापसी की

Edited By Vatika,Updated: 12 Aug, 2019 02:42 PM

migrant laborers returned to their states from kashmir valley

मजदूरों के लिए स्पैशल ट्रेनें: इनमें उत्तर प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश के मजदूर शामिल हैं।

लुधियाना (गौतम): जम्मू-कश्मीर में तनाव की स्थिति को देखते हुए वहां पर रोजी-रोटी कमाने के लिए गए हजारों प्रवासी मजदूरों के वापस आने का सिलसिला जारी है। आसपास के इलाकों से हजारों की गिनती में मजदूर ऊधमपुर व जम्मू रेलवे स्टेशन पर पहुंच रहे हैं। जिसके चलते घाटी में सभी तरह के निर्माण कार्य ठप पड़ गए हैं। प्रवासी मजदूरों का कहना है कि घाटी में हालात ठीक होने पर ही वे वापसी की सोच सकते हैं।
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भारी रश को देखते हुए रेलवे की तरफ से मजदूरों के लिए स्पैशल ट्रेनें भी चलाई गईं। पिछले 5 दिन में हजारों मजदूर वापस अपने घरों को जा चुके हैं। जिनमें अधिकतर उत्तर प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश के मजदूर शामिल हैं। शुक्रवार से लेकर रविवार तक स्पैशल ट्रेनों के अलावा दूसरी ट्रेनों से करीब 30 हजार मजदूरों को रेल डिपार्टमैंट की तरफ से वापस उनके गंतव्य स्थानों तक पहुंचाया जा चुका है। ऊधमपुर से डिब्रूगढ़ के लिए चलाई गई स्पैशल ट्रेन में 4 हजार के करीब लोग सवार थे, लुधियाना रेलवे स्टेशन पर उनके साथ बातचीत की गई। ट्रेन में सवार इन मजदूरों के चेहरों पर साफ खौफ दिखाई दे रहा था और बातों में रोजी-रोटी छोड़ कर आने का दर्द। 
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उनका कहना था कि उन्हें कश्मीर के कुछ लोगों से मिल रही धमकियों के कारण वहां से जाना पड़ रहा है। उन्हें स्थानीय लोग बार-बार धमका रहे थे। जबकि ड्यूटी पर तैनात सेना के जवानों ने उन्हें वहां से निकालने में काफी मदद की है। लेकिन मजदूरों को वहां से स्थानीय लोगों द्वारा भगाने के संबंध में किसी भी अधिकारी ने पुष्टि नहीं की है। लुधियाना पहुंची डिब्रूगढ़ एक्सप्रैस के सभी डिब्बे भरे हुए थे। रेलवे स्टेशन पर कुछ मिनट के ठहराव के दौरान जब ट्रेन दोबारा चली तो रश के कारण कई मजदूर सवार भी न हो सके। जिन्हें मजबूरन पीछे से आ रही दूसरी ट्रेन का इंतजार करना पड़ा। जब कि उसके जाने के बाद स्टेशन पर पहुंची वाराणसी एक्सप्रैस का भी यही हाल था। ट्रेन में सवार होने के लिए लोग खिड़कियों से ही रास्ता बना रहे थे। 

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जब से वहां पर कफ्र्यू लगा है, वहां के हालात ठीक नहीं हैं। कई दिनों से काम न करने के चलते मालिक ने पैसा देना बंद कर दिया। स्थानीय लोग उन्हें बार-बार वहां से चले जाने के लिए कह रहे थे। उन्हें लड़ाई होने का डर दिखाया जा रहा था। जिस कारण उन्होंने वहां से वापस जाने का मन बना लिया। किसी तरह से वे ऊधमपुर पहुंचे और 12 घंटे के इंतजार के बाद ट्रेन मिली। -शंकर कुमार, बिहार का रहने वाला

वहां पर पत्थर लगाने का काम पिछले 4 साल से कर रहे थे। तीनों साथी एक ही कमरे में रहते थे। लेकिन इस बार ज्यादा ही हालत नाजुक दिखाई दे रहे थे। वहां के लोग उन्हें बार-बार डरा रहे थे। तनाव के कारण इतना डर गए थे कि पता भी नहीं था कि घर तक पहुंच सकेंगे या नहीं। जब वहां से जान जोखिम में डाल कर निकले तो रास्ते में मिलिट्री के जवानों ने उन्हें परेशान नहीं किया। किसी तरह से जम्मू रेलवे स्टेशन तक पहुंच गए। अगर हालात ठीक होते हैं तो दोबारा वहां जाने का सोचा जा सकता है। अभी काफी सामान वहीं छोड़ कर आए हैं। सराएदीन, मोहम्मद हुसैन, गोपाल गंज के रहने वाले 

पहले तो वहां पर 4 दिन खौफ में रहे। किसी तरह से घर वापस जाने का मन बनाया और मिलिट्री से सहायता लेकर ऊधमपुर रेलवे स्टेशन पर पहुंचे। वहां भी ट्रेन के लिए लंबा इंतजार करना पड़ा। पहले ही मुश्किल से काम सैट हुआ था पर एकदम ही सारा काम खराब हो गया। सारी मेहनत पर पानी फिर गया। अब दोबारा वहां जाने का मन ही नहीं करता। सैयद अली व फिरोज, मुजफ्फरनगर निवासी  

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