नजरिया: नवजोत सिंह सिद्धू के सोनिया गांधी से मुलाकात के मायने !

Edited By Suraj Thakur,Updated: 29 Feb, 2020 01:39 PM

meaning of sidhu meeting with sonia gandhi

इस मुलाकात के बाद एक बात तो साफ हो गई है कि वह कांग्रेस का दामन छोड़ने वाले नहीं हैं।

जालंधर। (सूरज ठाकुर) पूर्व कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू वर्तमान में कैप्टन सरकार और कांग्रेस में हाशिए पर हैं। जबसे वह सूबे की राजनीति में खामोश हैं, मीडिया की गिद्ध दृष्टि उन पर इसलिए गड़ी रहती हैं कि उनकी सियासी बिसात पर अगली चाल क्या होगी। यह चर्चा बीते तीन साल से जारी है कि सूबे के सीएम कैप्टन अमरेंद्र सिंह को शह मिलेगी या फिर सिद्धू को मात होगी, यह सब जारी रहेगा। फिलवक्त आपको बताते हैं कि सिद्धू की 26 फरवरी को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से हुई मुलाकात के बाद एक बार फिर से यह अटकलें लगाई जा रही हैं कि या तो उन्हें सरकार के भीतर बड़ा औहदा मिलने वाला है या फिर संगठन की बड़ी जिम्मेदारी उनको सौंपी जा सकती है। उन्हें क्या हासिल होगा यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा लेकिन इस बैठक के बाद एक बात तो साफ हो गई है कि वह कांग्रेस का दामन छोड़ने वाले नहीं हैं।

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मुलाकात को लेकर क्या संदेश देना चाहते हैं सिद्धू
सिद्धू को लेकर राज्य की सियासत इसलिए गरमाई हुई है कि उन्होंने मीडिया में इस बात का खुलासा किया है कि उनकी अलग-अलग बैठकों में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के साथ 25 फरवरी को 40 मिनट और सोनिया गांधी के साथ 26 फरवरी को एक घंटे से ज्यादा समय बातचीत हुई है। उन्होंने यह भी बताया कि बैठकों में पंजाब में विकास के रोड़ मैप और संगठन को मजबूत करने पर विस्तार से विचार-विमर्श हुआ है। इस जानकारी के साथ उन्होंने एक सोनिया और प्रियंका के साथ अपना फोटो भी शेयर किया है। यहां यह भी एक सवाल है कि इस जानकारी को शेयर करके वह कांग्रेस के भीतर अपनी विरोधियों को क्या संदेश देना चाहते हैं।

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दिल्ली में आप की जीत से फिर मिली तरजीह
इतनी बात साझा करने से पंजाब कांग्रेस में तरह-तरह की चर्चाओं का बाजार गर्म होना भी वाजिब है। इस जानकारी के बाद यह आकलन करना मुश्किल है कि उन्हें क्या हासिल होना वाला है। सिद्धू की इस मुलाकात से एक बात तो साफ हो गई है कि वह कांग्रेस छोड़कर कही भी जाने वाले नहीं हैं। दिल्ली में आम आदमी पार्टी के बहुमत में आने के बाद इस बात की चर्चा शुरू हो गई थी कि क्या सिद्धू किसी तीसरे मोर्चे में जा सकते हैं या नहीं। उनकी मुलाकात को राजनीतिक विश्लेषक इस तरह भी देख रहे हैं कि कांग्रेस आलाकमान को सिद्धू के हाशिए पर रहने का अहसास हुआ तो उन्हें दिल्ली चुनाव के बाद फिर से तरजीह दी जाने लगी है।

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क्या सिद्धू हैं कैप्टन का विकल्प?
यह भी माना जा रहा है कि बीते तीन सालों में कैप्टन सरकार की परफॉमेंस अच्छी नहीं रही है और विपक्ष सरकार को बुरी तरह से घेर रहा है। कैप्टन अमरेंद्र ने 2017 में चुनाव से पहले कई वादों के साथ यह भी ऐलान किया था कि यह उनका आखिरी विधानसभा चुनाव होगा। ऐसे में कांग्रेस आलाकमान के पास नये चेहरे के रूप में नवजोत सिंह सिद्धू मजबूत विकल्प हैं। वह ऐसी शख्सियत है जो पंजाब के युवाओं को एकाएक अपनी तरफ आकर्षित करने की क्षमता रखते हैं। दूसरा पंजाब में सिख नेता होने के चलते कांग्रेस पर लगने वाले आरोपों का भी वह विरोधी दलों को बेहतर जवाब दे सकते हैं। 

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