इस बाबे के जज्बे को सलाम, 83 वर्ष की आयु में हासिल की MA इंग्लिश की डिग्री

Edited By Vaneet,Updated: 21 Sep, 2019 09:41 PM

ma english degree achieved at the age of 83

अगर दिल में जिद, जज्बा व जुनून हो तो राह में उम्र भी आड़े नहीं आ सकती।...

होशियारपुर(अमरेन्द्र): अगर दिल में जिद, जज्बा व जुनून हो तो राह में उम्र भी आड़े नहीं आ सकती। होशियारपुर जिले के माहिलपुर कस्बे के साथ लगते गांव दाता के रहने वाले 83 वर्षीय लेक्चरार रहे सोहन सिंह गिल ने लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी से एम.ए. अंग्रेजी की डिग्री हासिल कर इसी जज्बे का परिचय दिया है। वह पूर्वी अफ्रीकी केन्या में शिक्षा के क्षेत्र में 33 साल तक सेवाएं देकर देश लौटे और फिर यहां की लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी से पढ़ाई करके अपनी 61 वर्ष पुरानी इच्छा पूरी की। अभी 2 दिन पहले उन्हें एलपीयू के दीक्षांत समारोह में डिग्री प्रदान की गई।

प्रिंसीपल वरियाम सिंह की ख्वाहिश पूरी करके खुश
सोहन सिंह गिल कहते हैं कि 1958 में केन्या के लिए वीजा खुला था। तब वे अपने साडू सेवा सिंह बड़ैच के साथ वहां चले गए थे। उस समय 4 रुपए किराया हुआ करता था। वाइस प्रिंसिपल वरियाम सिंह कहते थे कि एम.ए. इंग्लिश कर ले। मन में भी ख्वाहिश थी। ऐसे में केन्या में रहते हुए भी एम.ए. इंग्लिश के सपने आते रहे। एक तरह से अधूरी ख्वाहिश का सपना रह रहकर सताता था। रिटायरमैंट के बाद देश लौटेने पर यहां के स्कूलों में पढ़ाया। लगातार, एम.ए. इंग्लिश नहीं कर पाने की बात कचोटती रही। फिर वर्ष 2017 में रिटायरमैंट ले लिया। एम.ए. ना करने की टीस को देख पत्नी जोगिंदर कौर ने भी हौसला दिया। बेटा अमरीका में बतौर इंजीनियर सैटल है। उसने भी हिम्मत बढ़ाई।

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केन्या में हॉकी के अंपायर भी रहे हैं गिल
सोहन सिंह इंटरनैशनल हॉकी में ग्रेड अपांयर भी रहे हैं। उन्होंने केन्या हॉकी अंपायर्स एसोसिएशन में 6 साल काम किया और उसके सचिव पद पर भी रहे। कोस्ट हॉकी एसोसिएशन के चेयरमैन के दौर पर भी उन्होंने अपनी सेवाएं दी हैं। इसे पूरा करने के लिए पत्नी जोगिंदर कौर ने भी हौसला दिया। बेटा अमेरिका में बतौर इंजीनियर सेटल है। वहां से बेटे ने भी हिम्मत बढ़ाई।

अब लिखुंगा बच्चों के लिए किताबें
सोहन सिंह ने बताया कि सबका सहयोग मिलने पर उन्होंने एल.पी.यू. के बंगा डिस्टेंस एजुकेशन सेंटर से एम.ए. इंग्लिश के लिए आवेदन कर दिया। उन्होंने बताया कि इंग्लिश तो पहले से ही अच्छी थी तो अब डिग्री हाथ में आने से अधूरी ख्वाइश पूरी हो गई। अब बच्चों के लिए किताबें लिखने पर फोकस करेंगे।

होशियारपुर के गांव दात्ता कोट फतूही में हुआ था जन्म
सोहन सिंह गिल का जन्म 15 अगस्त, 1936 को जिला होशियारपुर के गांव दात्ता कोट फतूही में हुआ था। उन्होंने प्राइमरी स्कूल पंडोरी गंगा सिंह में पहली से तीसरी कक्षा, मिडिल स्कूल खैरड़ अ‘छरवाल में 6वीं उर्दू की पढ़ाई की। खालसा हाईस्कूल माहिलपुर में 1953 में मैट्रिक की। श्री गुरु गोबिंद सिंह खालसा स्कूल माहिलपुर में चार वर्षों की 1957 में बी.ए. पास की। उसके बाद 1957-58 में बैचलर टीचिंग खालसा कॉलेज अमृतसर से की। 

गांव में गुरुद्वारा का करवाया निर्माण
सोहन सिंह गिल हॉकी और फुटबॉल के कॉलेज टाइम से ही खिलाड़ी रहे हैं। वे इंडियन हॉकी टीम के कैप्टन जरनैल सिंह के साथ भी खेल चुके हैं। देश लौटने पर उन्होंने 15 वर्षों तक बिंजो पब्लिक स्कूल, पांच साल संत बाबा भाग सिंह पब्लिक स्कूल बिंजो में अंग्रेजी पढ़ाई। स्कूल के टॉपर्स भी 94 फीसद तक अंक हासिल करते रहे। 2017 में उन्होंने पढ़ाना छोड़ दिया था। रिटायरमेंट के बाद 28 साल गांव में रहते हुए उन्होंने गांव में ही गुरुद्वारा साहिब का निर्माण करवाया और वहां की सेवा भी संभाली।
 

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