Edited By swetha,Updated: 04 Mar, 2019 10:12 AM
2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान नरेन्द्र मोदी की आंधी के चलते यह सीट भाजपा के खाते में चली गई थी और पार्टी के उम्मीदवार विजय सांपला इस सीट से चुनाव जीत कर मंत्री बने लेकिन इस बार उनकी राह इतनी आसान नजर नहीं आ रही।
जालन्धर(नरेश कुमार) : 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान नरेन्द्र मोदी की आंधी के चलते यह सीट भाजपा के खाते में चली गई थी और पार्टी के उम्मीदवार विजय सांपला इस सीट से चुनाव जीत कर मंत्री बने लेकिन इस बार उनकी राह इतनी आसान नजर नहीं आ रही।इसके 3 कारण हैं। सबसे पहला कारण यह है कि 1998 के बाद इस सीट के वोटर हर चुनाव में अपना सांसद बदल देते हैं जबकि दूसरा कारण विधानसभा चुनाव के दौरान इस सीट के तहत आती सीटों पर हुई अकाली-भाजपा गठबंधन की दुर्गति है। तीसरा और सबसे अहम कारण 2014 के चुनाव जैसी भाजपा की आंधी इस बार नहीं है।उधर कांग्रेस को भी इस सीट पर मजबूत स्थानीय नेता मैदान में उतारना होगा क्योंकि कांग्रेस कमल चौधरी के बाद इस सीट के लिए बाहरी चेहरों पर ही दाव लगाती रही है।
विधानसभा चुनाव में कमजोर हुई भाजपा
विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा की स्थिति इस सीट पर कमजोर हुई है। इस सीट के तहत श्री हरगोङ्क्षबदपुर, भुलत्थ, फगवाड़ा, मुकेरियां, दसूहा, उड़मुड़, शामचौरासी, होशियारपुर व चब्बेवाल की विधानसभा सीटें आती हैं। 2017 के चुनाव के दौरान कांग्रेस ने भुलत्थ और फगवाड़ा को छोड़ कर 7 सीटों पर बढ़त बनाई है। भाजपा सिर्फ फगवाड़ा सीट ही जीत सकी जबकि भुलत्थ की सीट आम आदमी पार्टी के खाते में गई थी। लिहाजा इस सीट पर आने वाली 9 सीटों में से भाजपा के पास सिर्फ एक सीट है।
सांपला की हाजिरी उपलब्ध नहीं
इस सीट से सांसद विजय सांपला केंद्रीय मंत्री हैं लिहाजा उनके ऊपर संसद का हाजिरी रजिस्टर साइन करने की बाध्यता नहीं है। लिहाजा संसद में उनकी हाजिरी, बहस में हिस्से और पूछे गए सवालों का ब्यौरा उपलब्ध नहीं है। एम.पी. लैड की सरकारी वैबसाइट के मुताबिक उन्हें बतौर सांसद 22.50 करोड़ का फंड जारी हुआ जोकि ब्याज सहित 23.28 करोड़ बना जिसमें से उन्होंने 17.91 करोड़ खर्च किए जबकि 5.37 करोड़ का फंड खर्च करना बाकी है। बतौर सांसद उन्होंने आदमपुर का एयरपोर्ट शुरू करवाने का दावा किया है।
सोमप्रकाश भी हो सकते हैं उम्मीदवार
इस सीट पर मौजूदा सांसद विजय सांपला के अलावा फगवाड़ा से विधायक सोमप्रकाश ने भी दावेदारी जताई है। सोमप्रकाश पहले 2009 के दौरान भी इस सीट पर चुनाव लड़ चुके हैं लेकिन उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा था। उन्हें प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष श्वेत मलिक के अलावा केंद्रीय मंत्री अरुण जेतली का भी समर्थन हासिल है। हालांकि माना जा रहा है कि यदि सोमप्रकाश और सांपला दोनों के नामों पर सहमति न बन सकी तो पार्टी इस सीट पर किसी फिल्मी सितारे या बड़े चेहरे को मैदान में उतार सकती है। हालांकि एक चर्चा यह भी थी कि पार्टी अकाली दल के साथ जालन्धर सीट की अदला-बदली करेगी लेकिन अकाली दल द्वारा जालन्धर सीट से अपना उम्मीदवार तय कर लिए जाने के कारण अब भाजपा को ही इस सीट पर चुनाव लडऩा होगा।
कांग्रेस स्थानीय विधायक पर लगा सकती है दाव
कांग्रेस ने पिछले चुनाव के दौरान मोहिन्द्र सिंह के.पी. को मैदान में उतारा था लेकिन वह यह चुनाव हार गए। इस सीट से 2009 के दौरान कांग्रेस की सांसद रही संतोष चौधरी के साथ-साथ उनकी बेटी नमिता ने भी सीट के लिए आवेदन किया है। इनके अलावा पूर्व मंत्री स्वर्ण सिंह फिल्लौर, जोगिन्द्र सिंह मान, बलबीर रानी सोढी, मनमोहन लाल सूद व शामचौरासी के विधायक पवन अदिया और चब्बेवाल के विधायक राजकुमार भी टिकट की दौड़ में हैं। माना जा रहा है कि कांग्रेस इस बार स्थानीय विधायक पर दाव लगा सकती है क्योंकि 1999 के बाद कांग्रेस इस सीट पर कोई मजबूत स्थानीय उम्मीदवार नहीं दे सकी है।
‘आप’ ने रवजोत सिंह को मैदान में उतारा
आम आदमी पार्टी ने पिछली बार इस सीट पर यामिनी गोमर को मैदान में उतारा था और उन्हें 213388 वोट मिले थे और वह तीसरे नंबर पर रही थीं लेकिन इस बार वह पार्टी से बाहर हैं। लिहाजा पार्टी ने स्थानीय नेता और दोआबा जोन के इंचार्ज डा. रवजोत सिंह को मैदान में उतारा था। रवजोत पिछली बार शामचौरासी से विधानसभा का चुनाव लड़े थे और उन्होंने कांग्रेस को कड़ी टक्कर दी थी।हालांकि विधानसभा चुनाव के दौरान भी इस सीट के तहत आती सीटों पर आम आदमी पार्टी की स्थिति कमजोर हुई है और खैहरा धड़े के अलग होने से भी पार्टी को इस सीट पर नुक्सान हो सकता है।
होशियारपुर लोकसभा सीट का इतिहास
साल |
विजेता |
पार्टी |
1952 |
दीवान चंद |
कांग्रेस |
1957 |
बलदेव सिंह |
कांग्रेस |
1962 |
अमरनाथ |
कांग्रेस |
1967 |
आर. किशन |
काग्रेस |
1971 |
दरबारा सिंह |
कांग्रेस |
1977 |
बलबीर सिंह |
बी.एल.डी. |
1980 |
जैल सिंह |
कांग्रेस |
1985 |
कमल चौधरी |
कांग्रेस |
1989 |
कमल चौधरी |
कांग्रेस |
1992 |
कमल चौधरी |
कांग्रेस |
1996 |
कांशी राम |
बसपा |
1997 |
कमल चौधरी |
भाजपा |
1999 |
चरणजीत सिंह चन्नी |
कांग्रेस |
2004 |
अविनाश राय खन्ना |
भाजपा |
2009 |
संतोष चौधरी |
कांग्रेस |
2014 |
विजय सांपला |
भाजपा |