MLA Raman Arora की काली कमाई के नेटवर्क की खुलने लगी परतें, इन लोगों के नाम आए सामने

Edited By Urmila,Updated: 27 May, 2025 11:12 AM

layers of mla raman arora black money are getting exposed

पंजाब की राजनीति में बड़ा भूचाल लाने वाली विजिलैंस जांच अब विधायक रमन अरोड़ा की अघोषित संपत्तियों तक पहुंच गई है।

जालंधर (चोपड़ा): पंजाब की राजनीति में बड़ा भूचाल लाने वाली विजिलैंस जांच अब विधायक रमन अरोड़ा की अघोषित संपत्तियों तक पहुंच गई है। विजिलैंस विभाग ने ब्लैक मनी के जरिए संपत्ति एकत्रित करने के आरोपों की तह तक जाने के लिए राजस्व रिकॉर्ड को खंगालना शुरू कर दिया है। यह जांच शहर के प्रमुख इलाकों से लेकर गांवों तक फैली हुई है, जिसमें रमन अरोड़ा, उनके रिश्तेदारों और करीबी मित्रों के नाम रजिस्टर्ड प्रॉपर्टियों को खंगाला जा रहा है। अब अरोड़ों के करीबी रिश्तेदार पर शिकंजा कसा जा रहा जोकि सारे राज खोल सकते हैं।

सूत्रों की मानें तो विजिलैंस को इनपुट मिले हैं कि रमन अरोड़ा ने बड़े स्तर पर अघोषित आय का उपयोग करके संपत्तियां खरीदी, जिन्हें परिजनों और मित्रों के नाम से रजिस्टर्ड कराया गया है। ऐसे में विभाग ने इन तमाम संपत्तियों का खाका तैयार किया और अब तक 92 से अधिक प्रॉपर्टियों की जांच की जा चुकी है।

जांच का दायरा शहर और आसपास के गांवों में फैला

विजिलैंस विभाग ने अपनी जांच की शुरूआत शहर के बहुचर्चित और तेजी से विकसित हो रहे इलाकों से की है। इनमें फोलड़ीवाल की 66 फुट रोड, ए.जी.आई. फ्लैट्स, रामा मंडी, चौहकां, तल्हन, बडिंग, रेरू, धीना, नकोदर रोड, जमशेर के अलावा पटेल चौक, बस्ती गुजां, ज्योति चौक, अटारी बाजार, शेखां बाजरा और नाज सिनेमा के समीप स्थित मार्कीट सहित दर्जनों लोकेशन शामिल हैं।

इन इलाकों में रिहायशी, कमर्शियल प्रॉपर्टी, कॉलोनियों, दुकानों और शोरूमों की रजिस्ट्रियों संबंधी रैवेन्यू रिकार्ड को बारीकी से खंगाला जा रहा है। विजिलैंस टीमों ने अलग-अलग पटवारियों और कानूनगो को साथ लेकर न केवल दस्तावेजों की जांच की, बल्कि मौके पर जाकर भी कई संपत्तियों की तफ्तीश की। 

vigilance bureau

संदिग्ध नामों की फेहरिस्त में विधायक के करीबियों के नाम भी शामिल

विजिलैंस विभाग की नजर सिर्फ रमन अरोड़ा तक सीमित नहीं है, बल्कि उनके साथियों और सहयोगियों की संपत्तियों पर भी है। इनमें प्रमुख नामों में राजू मदान, राजन अरोड़ा, भूपिंदर सिंह सहित अन्य कई लोग शामिल हैं, जिनके नाम प्रॉपर्टी दस्तावेजों में सामने आए हैं। इन व्यक्तियों के नाम पर जो प्रॉपर्टियां दर्ज हैं, उन्हें लेकर विजिलैंस यह जांचने में लगी है कि क्या इसमें कोई कनैक्शन रमन अरोड़ा से जुड़ता है। विभाग इस बात की तह तक जाना चाहता है कि क्या यह सभी प्रॉपर्टियां किसी बड़े नैटवर्क के तहत खरीदी गईं और क्या यह कथित ब्लैक मनी के निवेश का हिस्सा हैं।

बेहद गुप्त तरीके से चल रही जांच प्रक्रिया

पूरी जांच प्रक्रिया को बेहद गोपनीय ढंग से अंजाम दिया जा रहा है। सूत्रों की मानें तो रमन अरोड़ा से जुड़ी किसी भी संपत्ति से संबंधित दस्तावेजों की रिपोर्ट तैयार करने में पूरी सतर्कता बरती जा रही है। हर एक जांच रिपोर्ट को डी.एस.पी. स्तर के अधिकारी खुद अपने पर्सनल लैपटॉप में तैयार कर रहे हैं, और केवल जरूरी सिग्नेचर ही रैवेन्यू अधिकारियों से लिए जा रहे हैं। विजिलैंस को आशंका है कि यदि यह रिपोर्ट तहसील या स्थानीय स्तर पर तैयार की गईं तो उनके लीक होने की पूरी संभावना बनी रहती है। इसी कारण सारी रिपोर्टिंग और दस्तावेजी प्रक्रिया को विभागीय गोपनीयता के घेरे में रखा गया है।

रमन अरोड़ा के नाम पर नहीं, मगर रिश्तेदारों के नाम पर संपत्तियों के दस्तावेज

फिलहाल विजिलैंस को सीधे तौर पर रमन अरोड़ा के नाम पर कोई रजिस्ट्री नहीं मिली है, लेकिन उनके रिश्तेदारों और करीबियों के नाम पर कई दस्तावेज सामने आ चुके हैं। इनमें ए.जी.आई फ्लैट्स में 4 फ्लैट्स, 2 विला, 2 कॉलोनियां और कुछ कमर्शियल साइट्स शामिल हैं। ये दस्तावेज इस ओर इशारा कर रहे हैं कि अरोड़ा परिवार और उनसे जुड़े लोगों के पास बड़ी संख्या में संपत्तियां हैं, जिनकी खरीद-फरोख्त की प्रक्रिया पर अब गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। विभाग इन संपत्तियों की फंडिंग, रजिस्ट्री प्रक्रिया, भुगतान के स्रोत और बैंकिंग ट्रेल की भी गहन जांच में जुटा हुआ है।

हाईप्रोफाइल मामला होने के कारण पटवारी-कानूनगो व रैवेन्यू अधिकारियों ने साधी चुप्पी

विजिलैंस विभाग ने शहर के पांचों पटवारियों के अलावा बाहरी इलाकों के कानूनगो को भी पूछताछ के लिए बुलाया है। उन्हें जिला प्रशासनिक काम्पलैक्स में स्थित विजिलैंस कार्यालय में तलब कर दस्तावेजों की सत्यता की पुष्टि करवाई जा रही है। इसके साथ-साथ कई स्थानों पर विजिलैंस अधिकारियों ने पटवारियों को मौके पर भी साथ ले जाकर मौके की जांच की।

ऐसे में राजस्व विभाग और विजिलेंस विभाग के बीच एक सतर्क लेकिन सहयोगात्मक माहौल देखा जा रहा है, जिसमें प्रशासनिक गोपनीयता और पारदर्शिता को प्राथमिकता दी जा रही है। जब इस सारे मामले को लेकर पटवारियों, कानूनगो व रैवेन्यू अधिकारियों से बात की गई, परंतु हाई प्रोफाइल मामला होने के कारण सभी अधिकारियों ने चुप्पी साधते हुए इस मामले से कन्नी काट ली।

केवल नाम और अधूरी जानकारी के आधार पर संपत्ति की तलाश बनी चुनौती

विजीलैंस विभाग को जांच के दौरान एक बड़ी तकनीकी समस्या का सामना करना पड़ रहा है। किसी व्यक्ति का केवल नाम डालकर संपत्ति खोजना बेहद मुश्किल बन गया है। उदाहरण के तौर पर यदि कोई "भूपिंदर सिंह" नाम का व्यक्ति संदिग्ध है, तो रिकॉर्ड में उसी नाम से दर्जनों रजिस्ट्रियां सामने आ जाती हैं। अब उन सभी में से वास्तविक भूपिंदर को पहचानना तब तक संभव नहीं है जब तक उसके पिता का नाम, आधार नंबर, पता और अन्य पहचान सूचनाएं उपलब्ध न हों। इस स्थिति ने विजिलैंस की जांच को और जटिल बना दिया है। हालांकि विभाग ने अब तक जिन 92 संपत्तियों की सूची तैयार की है, उन्हें लेकर रिकॉर्ड एकत्रित कर आगे की प्रक्रिया तेज कर दी गई है।

नहरी विभाग से संबंधित जमीन की भी हो रही जांच

विधायक रमन अरोड़ा की गिरफ्तारी के बाद लाजपत नगर में नहरी विभाग की जमीन भी चर्चा में आ गई है, जिस पर विधायक और उनके करीबियों द्वारा कब्जा जमा कर और जाली दस्तावेज बनाकर रजिस्ट्री कराने की चर्चा सामने आ रही है। रैवेन्यू विभाग से संबंधित सूत्रों की मानें तो फिलहाल नहरी विभाग की 80 मरला की जमीन सामने आई है, परंतु उस पर पार्क डिवेल्प किया हुआ है। विभाग अब आसपास की जमीनों संबंधी रिकॉर्ड खंगाल रहा है, ताकि पता चल सके कि नहरी विभाग की किस जमीन पर राजनीतिक लोगों ने अवैध तौर पर कब्जा जमा रखा है।

आने वाले दिनों में हो सकते हैं बड़े खुलासे

विजिलैंस द्वारा जुटाई जा रही जानकारी और दस्तावेजी साक्ष्य इस ओर इशारा कर रहे हैं कि आने वाले दिनों में यह मामला और अधिक गंभीर हो सकता है। अगर इन संपत्तियों की खरीद में अवैध धन और राजनीतिक प्रभाव के इस्तेमाल की पुष्टि होती है तो न केवल विधायक रमन अरोड़ा की मुश्किलें बढ़ेंगी, बल्कि इससे राज्य की राजनीति में भी हलचल मच सकती है। अब देखना यह होगा कि विजिलैंस की जांच कब तक पूरी होती है और इसके क्या परिणाम सामने आते हैं। फिलहाल तो विभाग की टीमें चुपचाप लेकिन प्रभावी ढंग से अपनी कार्रवाई में जुटी हुई हैं और रमन अरोड़ा व उनके सहयोगियों की हर संपत्ति की परतें एक-एक कर उधेड़ी जा रही हैं।

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