Edited By Urmila,Updated: 28 Sep, 2025 11:18 AM

शरद नवरात्रों के अवसर पर शुरू हुए अमृतसर के प्रसिद्ध लंगूर मेले में लोहरी गेट निवासी सतपाल श्रीवास्तव उर्फ ‘लाली बजरंगी’ का 55 वर्षों से हनुमान जी का वेश श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र बना हुआ है।
अमृतसर : शरद नवरात्रों के अवसर पर शुरू हुए अमृतसर के प्रसिद्ध लंगूर मेले में लोहरी गेट निवासी सतपाल श्रीवास्तव उर्फ ‘लाली बजरंगी’ का 55 वर्षों से हनुमान जी का वेश श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र बना हुआ है। 79 वर्ष की उम्र में भी उनका समर्पण और जोश युवाओं जैसा बना हुआ है। बता दें कि जब रामलीला में हनुमान की भूमिका बनाने वाला कलाकार नहीं आया तो उसके दोस्तों ने उसे हनुमान बनने के लिए कहा।
24 साल की उम्र में रामलीला में अचानक हनुमान का किरदार निभाने का मौका मिलने पर उन्होंने बिना तैयारी के पूरी मेहनत से भूमिका सीखी। उनके पिता रामलाल लाहौरी, जो ‘अखाड़ा लाली’ के नाम से प्रसिद्ध थे, ने भक्ति की प्रेरणा दी। शुरुआत में अमृतसर में केवल 14 लोग ही इस परंपरा से जुड़े थे, लेकिन लाली ने इसे बढ़ाया और अब उनके बेटे कृष्ण मोहन और पोता तेजस भी हनुमान बनते हैं। इस तरह यह आस्था अब एक पारिवारिक परंपरा बन चुकी है।
साल 2000 में माता वैष्णो देवी के दर्शन के दौरान भजन गायक नरेंद्र चंचल से मुलाकात हुई, जिन्होंने उन्हें 500 रुपये देकर सम्मानित किया और अपने जागरणों में ‘बजरंगी’ के रूप में शामिल किया। अमृतसर के लोग उन्हें प्यार से “हमारे हनुमान लाली” कहकर बुलाते हैं। लंगूर मेले और जागरणों में उनकी मौजूदगी भक्तों के लिए विशेष अनुभव है। उनकी भक्ति और समर्पण इस बात का प्रमाण है कि सच्ची आस्था जीवन और समाज दोनों को प्रेरित करती है। लाली कहते हैं- “हनुमान जी की कृपा से मुझे जीवन में सब कुछ मिला। आज भी जब मैं उनका वेश धारण करता हूं, तो आत्मा को गहरा सुकून मिलता है। यही मेरी पूजा है, यही मेरी पहचान है।” लाली बताते हैं कि बचपन से ही उन्हें हनुमान बनने का शौक था, लेकिन मौका उन्हें 25 वर्ष की आयु में मिला।
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