यदि Blackout हुआ तो पंजाब की इंडस्ट्री को पक्के तौर पर लग जाएंगे ताले

Edited By Vatika,Updated: 30 Oct, 2020 10:52 AM

kisan andolan punjab industry

केन्द्र सरकार के कृषि कानूनों को रद्द करवाने की मांग को लेकर चल रहे किसान आंदोलन की वजह से पंजाब के बिजली उत्पादन थर्मल प्लांटों में कोयले की सप्लाई ठप्प होकर रह गई है

लुधियाना(सलूजा): केन्द्र सरकार के कृषि कानूनों को रद्द करवाने की मांग को लेकर चल रहे किसान आंदोलन की वजह से पंजाब के बिजली उत्पादन थर्मल प्लांटों में कोयले की सप्लाई ठप्प होकर रह गई है जिससे आने वाले दिनों में पंजाब में ब्लैक आऊट होने का खतरा मंडराने लगा है, जिसको लेकर पंजाब की इंडस्ट्री में अभी से हाहाकार मच गई है। इंडस्ट्रीयलिस्ट्स का कहना है कि यदि पंजाब में ब्लैक आऊट हुआ तो इंडस्ट्री को पक्के तौर पर ताले लग जाएंगे। 

यदि पंजाब में ब्लैक आऊट जैसे हालात पैदा होते हैं तो फिर इंडस्ट्री का बच पाना मुश्किल होगा क्योंकि केवल 5 फीसदी इंडस्ट्री के पास ही जैनरेटर की सुविधा है जबकि 95 फीसदी इंडस्ट्री आज भी पूरी तरह बिजली सप्लाई पर ही निर्भर है। लगभग 35 लाख लोग इंडस्ट्री के साथ रोजगार के रूप में जुड़े हुए हैं। इस बार इंडस्ट्री को पक्के तौर पर ही ताले लगेंगे। क्योंकि इससे पहले कोरोना महामारी की वजह से इंडस्ट्री को लगभग 4 महीनों तक आर्थिक तौर पर नुक्सान उठाना पड़ा। बिना कामकाज के लेबर को तनख्वाह व अन्य सुविधाएं प्रदान करने को मजबूर होना पड़ा। किसानी आंदोलन को देश में केवल पंजाब की ही सरकार समर्थन देकर रा’य का नुक्सान करवा रही है। यदि किसानों ने अपना रोष ही जताना है तो फिर दिल्ली जाकर केंद्रीय मंत्रियों के घरों के समक्ष धरने लगाएं। ऐसे रेलवे ट्रैकों पर बैठ कर कृषि कानून रद्द होने वाले नहीं हैं।
—बदीश जिंदल, प्रधान ऑल इंडिया इंडस्ट्री एंड ट्रेड फोरम

रेल रोको आंदोलन से देश की भरोसेयोग्यता पर सवालिया निशान लगने लगा है। विदेशी कस्टमर किस तरह इस बात का भरोसा करेगा कि उन्होंने जो माल का आर्डर दिया है, वह आपको समय पर मिल जाएगा। ट्रेन न चलने से न तो क‘चा माल आ रहा है और न ही तैयार माल जा रहा है। इससे देश, पंजाब व इंडस्ट्री को भारी नुक्सान हो रहा है। राजनीति की आड़ में अपने निजी स्वार्थों की पूर्ति करने वाले लोग इसके लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार हैं। आज भारत के पास हर इंडस्ट्री में आगे बढऩे का मौका था। क्योंकि चीन के साथ चल रहे विवाद के बाद भारत ने हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर होने का संकल्प लिया लेकिन मौजूदा हालातों ने तो इंडस्ट्री को कई वर्ष पीछे धकेल कर रख दिया। यदि ब्लैक आऊट हो जाता है तो फिर हर इंडस्ट्री के लिए यह संभव नहीं होगा कि वह जैनरेटर से काम चलाए।’
—अजीत लाकड़ा, प्रधान लुधियाना निटर्ज एसो.

इंडस्ट्री तो पहले ही बंद है। न तैयार हुआ माल जा रहा है और न ही पैसा आ रहा है। यदि किसानों के रेल रोको आंदोलन की वजह से पंजाब में ब्लैक आऊट होता है तो फिर पंजाब की इंडस्ट्री खड़ी नहीं हो सकेगी। लॉकडाऊन के दौरान लेबर अपने- अपने रा’यों में शिफ्ट हो गई थी। अब जब काम चलने लगा तो किसानी आंदोलन ने फिर हाशिए पर लाकर खड़ा कर दिया। इसलिए सरकारों को चाहिए कि इस आंदोलन को खत्म करवा कर इंडस्ट्री को बचाया जाए। नहीं तो पंजाब की आर्थिकता के साथ देश की आर्थिकता का डगमगाना यकीनी है।
—जसविंदर सिंह ठुकराल, प्रधान जनता नगर स्मॉल स्केल मैन्यूफैक्चरर्ज एसो.

एन.डी.ए. व कैप्टन सरकार की कशमकश के बीच इंडस्ट्री पिस रही है। आखिर इस आंदोलन का दी एंड कब होगा। एक दिन तो करना ही पड़ेगा। हर रोज व्यापक स्तर पर नुक्सान क्यों करवा रहे हो। कोयले की डिलीवरी न होने से ब्लैक आऊट पंजाब की इंडस्ट्री को तबाह करके रख देगा। यदि आंदोलन को जारी ही रखना है तो फिर उस समय तक इंडस्ट्री को बिजली बिल, लेबर को तनख्वाह, बैंकों के ब्याज व अन्य टैक्सों से छूट देने का ऐलान कर दिया जाए। क्योंकि मौजूदा हालातों में इंडस्ट्री आर्थिक तौर पर बोझ उठाने को तैयार नहीं है। 
—डी.एस. चावला, प्रधान यूनाइटिड साइकिल पार्ट्स इंडस्ट्री एंड मैन्युफैक्चरर्ज एसो.

केन्द्र व पंजाब सरकार किसानों के आंदोलन को जितनी जल्दी हो सकता है, खत्म करवा दें। यदि विदेशों से मिलने वाले आर्डर कैंसिल हो गए तो फिर लुधियाना समेत पंजाब की इंडस्ट्री बच नहीं पाएगी। इंडस्ट्री पहले ही कोरोना की मार झेल रही है। 
—उपकार सिंह आहूजा, प्रधान चैम्बर ऑफ  इंडस्ट्रीज  एंड कमॢशयल अंडर टेकिंग

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