Edited By Kalash,Updated: 29 Jan, 2025 05:58 PM
3 लाख से अधिक मरीज अंगदान का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन अंगदान का इंतजार कर रहे 10% से भी कम मरीजों को समय पर अंगदान मिल पाता है।
जालंधर : जालंधर से मोहाली तक ग्रीन कॉरिडोर के माध्यम से पहुंचाई गई किडनी से मोहाली के निजी अस्पताल में पहले कैडेवरिक किडनी ट्रांसप्लांटेशन से कुरूक्षेत्र के 62 वर्षीय पुरुष मरीज को नया जीवन मिला। निजी अस्पताल, मोहाली में यूरोलॉजी और रीनल ट्रांसप्लांट के डायरेक्टर डॉ. अविनाश श्रीवास्तव के नेतृत्व में डॉक्टरों की एक टीम ने श्रीमन अस्पताल जालंधर में एक ब्रेन डेड मरीज की दोनों किडनी हारवेस्ट की।
इसके बाद अंगों की त्वरित और सुरक्षित शिफ्टिंग के लिए पंजाब पुलिस और जालंधर, फगवाड़ा, नवांशहर, रोपड़ और मोहाली के स्थानीय प्रशासन की मदद से किडनी को ग्रीन कॉरिडोर के माध्यम से मोहाली लाया गया। वहीं एक अलग ग्रीन कॉरिडोर बनाकर दूसरी किडनी को पहुंचाया गया।
नेफ्रोलॉजी डायरेक्टर डॉ. राका कौशल के अनुसार हाल ही में हुए एक सर्वेक्षण के अनुसार भारत में 1 मिलियन आबादी पर केवल एक डोनर उपलब्ध है। भारत में अंगदान के लिए जागरूकता बढ़ाने की अत्यधिक आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि लिवर के बाद किडनी सबसे अधिक आवश्यक अंग है। अंगदान की प्रतीक्षा कर रहे 85% लोगों को किडनी की आवश्यकता होती है। एक मृत व्यक्ति अंग दान के माध्यम से 8 व्यक्तियों की जान बचा सकता है और टिश्यू दान के माध्यम से 50 से अधिक लोगों के जीवन को बचा सकता है।
डॉ. राका ने आगे बताया कि मधुमेह और उच्च रक्तचाप की बढ़ती आबादी के कारण भारत में हर साल लगभग 2.20 लाख नए मरीजों में क्रोनिक किडनी फेल्योर हो जाता है। उन्होंने कहा कि विडंबना यह है कि जागरूकता की कमी और दाताओं की अनुपलब्धता के कारण केवल आठ हजार मामलों में ही किडनी ट्रांसप्लांटेशन हो पाता है।
डॉ. अविनाश श्रीवास्तव ने कहा कि प्रत्येक 10 मिनट के बाद, एक व्यक्ति को अंग प्रत्यारोपण प्रतीक्षा सूची में जोड़ा जाता है और भारत में अंग की आवश्यकता के कारण हर दिन 20 लोग मर जाते हैं। 3 लाख से अधिक मरीज अंगदान का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन अंगदान का इंतजार कर रहे 10% से भी कम मरीजों को समय पर अंगदान मिल पाता है।
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