पंजाब की राजनीति के साथ जुड़ी अहम खबर, इतने साल तक रह सकती है 'अस्थिर सरकार'

Edited By Kalash,Updated: 22 Feb, 2022 02:07 PM

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चाहे विधानसभा चुनाव 2022 हो गए हैं और लोगों ने अपना फतवा दे दिया है। उम्मीदवारों की किस्मत ई.वी.एम. मशीन में कैद हो चुकी है

पटियाला : चाहे विधानसभा चुनाव 2022 हो गए हैं और लोगों ने अपना फतवा दे दिया है। उम्मीदवारों की किस्मत ई.वी.एम. मशीन में कैद हो चुकी है। 10 मार्च को ही पता चलेगा कि किस पार्टी की सरकार बनती है। राज्य में अस्थिरता रहेगी या फिर राष्ट्रपति राज लगता है। खास बात यह है कि कृषि कानून रद्द होने के बाद भारतीय जनता पार्टी ने एक दम विधानसभा चुनाव में प्रवेश करते हुए अभी से ही लोक सभा चुनाव 2024 की तैयारियों के लिए पंजाब के लोगों की नब्ज टटोली है। इसे भाजपा पंजाब में अकेले चुनाव लड़ने के लिए ट्रायल के रूप में देख रही है। भाजपा की केंद्रीय लीडरशिप ने पंजाब के अंदर लोगों को केंद्र की स्कीमों और अन्य लुभाने वाली स्कीमों को पंजाब के अंदर भी लागू करने के लिए वायदों की झड़ी लगा दी है। पहले पंजाब का खजाना खाली होने की बात की गई गई, जब चुनाव का बिगुल बजा तो खजाने का मुंह खोल दिया और करोड़ों रुपए की ग्रांट के ऐलान करने शुरू कर दिए, जिस कारण मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह के सोशल मीडिया पर ‘ऐलानजीत’ मुख्यमंत्री होने के भी चर्चे बने रहा।

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चाहे पंजाब के अंदर आम आदमी पार्टी, शिरोमणि अकाली दल और बसपा गठजोड भी मुख्य मुकाबले में थे, जिन्हें पछाड़ने के लिए भाजपा अकेले न काफी थी तो कैप्टन अमरिंदर सिंह और सुखदेव सिंह ढींडसा का सहारा लिया गया। इतना ही नहीं, चुनाव से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ से धार्मिक स्थानों पर नतमस्तक होना भी राजसी पैंतरों में से एक गिना जा सकता है। दूसरी तरफ मतदान से बिल्कुल पहले नामी सिख शख्सियतों को प्रधानमंत्री रिहायश में खाने पर बुला कर विचार-चर्चा करना भी चर्चा का विषय बना रहा है। भाजपा ने अब से ही पंजाब के अंदर अपनी पार्टी को मजबूत करने के लिए मोर्चा खुद संभाल लिया है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक विधानसभा मतदान के नतीजे आने से पहले ही गांवों, कस्बों और शहरों के अंदर पार्टी विंग स्थापित कर संगठन को मजबूत किया जाएगा। बताने योग्य है कि कृषि कानूनी से लेकर जो भी मसले केंद्र लीडरशिप के पास रखे गए हैं, जिनमें बंदी सिखों की रिहाई, फसलों की एम.एस.पी., केंद्रीय विभागों में भर्ती कोटा बढ़ाना आदि अन्य मांगों पर अब से ही मंथन शुरू हो चुका है।

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किसी पार्टी को पूर्ण बहुमत न मिला तो...
विधानसभा चुनाव में पिछले मतदान के मुकाबले इस बार 2 से अधिक पार्टियों की तरफ से चुनाव लड़ने के कारण मामला जटिल बन गया है। किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत मिल गया तो स्थिर सरकार बनेगी और यदि स्पष्ट बहुमत न मिला तो अस्थिर सरकार बन सकती है और वह सरकार कितनी देर चलेगी, यह तो समय ही बताएगा। यदि अस्थिर सरकार बनी और फिर टूट गई और राष्ट्रपति राज लागू हो गया तो फिर चुनाव करवाने के लिए अरबों रुपए का बोझ टैक्स के रूप में लोगों पर थोप दिया जाएगा। लोक सभा 2024 के मतदान तक राष्ट्रपति राज रख कर एक ही समय लोक सभा और विधानसभा मतदान इकट्ठे करवाई जाने की भी चर्चा भी सुनने को मिली है।

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