लतीफपुरा मामले में हाईकोर्ट ने सरकारी तंत्र को लगाई फटकार, इस दिन होगी सुनवाई

Edited By Urmila,Updated: 12 Feb, 2024 03:21 PM

high court reprimands government machinery in latifpura case

इंप्रूवमैंट ट्रस्ट जालंधर की 110 एकड़ स्कीम (गुरु तेग बहादुर नगर) के साथ लगते क्षेत्र में पिछले कई सालों से बने लतीफपुरा मोहल्ला के कब्जों संबंधी पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में पिछले शुक्रवार को सुनवाई हुई जिस दौरान सरकारी तंत्र को खूब डांट सुनने को...

जालंधर: इंप्रूवमैंट ट्रस्ट जालंधर की 110 एकड़ स्कीम (गुरु तेग बहादुर नगर) के साथ लगते क्षेत्र में पिछले कई सालों से बने लतीफपुरा मोहल्ला के कब्जों संबंधी पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में पिछले शुक्रवार को सुनवाई हुई जिस दौरान सरकारी तंत्र को खूब डांट सुनने को मिली। गौरतलब है कि सोहन सिंह तथा अन्य याचिकाकर्त्ताओं ने हाईकोर्ट के वकील एडवोकेट आर.एस. बजाज और एडवोकेट सिदकजीत सिंह बजाज के माध्यम से दायर की गई याचिका में तर्क दिया था कि अदालती आदेशों के बाद 9 दिसंबर 2022 को लतीफपुरा के कब्जों पर जो एक्शन हुआ, उसका कोई लाभ याचिकाकर्त्ताओं को नहीं हुआ क्योंकि गिराए गए कब्जों का सारा मलबा भी वहीं पड़ा है और जो सड़क पहले 50 प्रतिशत चल रही थी वह अब 100 प्रतिशत बंद हो चुकी है।

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अदालत को चित्रों इत्यादि के माध्यम से बताया गया कि अब पूरी सड़क पर कब्जाधारियों ने कब्जा जमा लिया है जिस कारण याचिकाकर्त्ता अब अपने प्लाटों तक पहुंच भी नहीं सकते। माननीय अदालत ने इस याचिका के सिलसिले में दी गई दो अर्जियों पर बीते शुक्रवार सुनवाई की और याचिकाकर्त्ताओं को रिलीफ देने के निर्देश दिए। एक अर्जी लतीफपुरा में फिर हुए कब्जों के चित्रों सहित वर्णन बाबत थी जबकि दूसरी अर्जी में पुलिस कमिश्नर द्वारा हाईकोर्ट में दिए गए उस एफ़ीडेविट को झूठा साबित करने का प्रयास किया गया जिसमें कहा गया था कि मौके पर सारे कब्जे हटाए जा चुके हैं और अब चंद लोग ही सड़क किनारे फुटपाथ पर बैठे हैं, जिन्हें हटाना निगम का काम है।

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गौरतलब है कि इस याचिका में पंजाब सरकार को चीफ सैक्रेटरी के माध्यम से, लोकल बॉडीज विभाग को प्रिंसिपल सैक्रेटरी के माध्यम से, जालंधर प्रशासन को डिप्टी कमिश्नर के माध्यम से, इंप्रूवमैंट ट्रस्ट जालंधर को चेयरमैन के माध्यम से, जालंधर नगर निगम को कमिश्नर के माध्यम से और जालंधर पुलिस को पुलिस कमिश्नर के माध्यम से पार्टी बनाया गया है।

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पता चला है कि माननीय उच्च न्यायालय ने इस मामले पर मंगलवार को दोबारा सुनवाई रखी है और रिपोर्ट तलब की है। अदालत में पिछले दिनों हुई सुनवाई दौरान साफ कहा गया कि डिस्पोज की गई अवमानना याचिका को निरस्त न समझा जाए, अदालत 'सुओ मोटो' एक्शन भी ले सकती है क्योंकि याचिकाकर्ता को अभी तक रिलीफ नहीं मिला। सूत्र बताते हैं कि अदालती आदेशों के बाद पुलिस ने संबंधित क्षेत्र से थोड़ा सा रास्ता खुलवा दिया है जबकि बाकी एक्शन कभी भी किया जा सकता है।

पुलिस और प्रशासन ने मोर्चा लगा कर बैठे लोगों से की बैठक

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट से ताजा निर्देश आने के बाद गत दिवस डी.सी.पी लॉ एंड ऑर्डर अंकुर गुप्ता और एस.डी.एम बलबीर राज ने लतीफपुरा में मोर्चा लगाकर बैठे प्रतिनिधियों से बातचीत की जिस दौरान संतोख सिंह संधू, डॉ. गुरदीप सिंह भंडाल, सुखजीत सिंह, जसकरण सिंह, कश्मीर सिंह घुगशेर इत्यादि शामिल थे। इन लोगों ने कहा कि मोर्चा किसी सूरत में खत्म नहीं किया जाएगा। लोगों के घर उजाड़े गए हैं, उनके पुनर्वास का प्रबंध सरकार करे। गौरतलब है कि लतीफपुरा मोर्चा के प्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री भगवंत मान और इंप्रूवमैंट ट्रस्ट के चेयरमैन जगतार सिंह संघेडा का पुतला फूंक कर रोष प्रदर्शन भी किया। देर शाम यह प्रतिनिधि लोकल बाडीज मंत्री बलकार सिंह से भी मिले और उनसे इस मामले पर बातचीत की।

ऐसे चला लतीफपुरा मामला

 2006-2007 : इंप्रूवमेंट ट्रस्ट की 110 एकड़ स्कीम के कुछ प्लाटों पर अवैध कब्जे के विरोध में पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दायर हुई ।

16.8.2012 : माननीय उच्च अदालत ने लंबी सुनवाई के बाद अवैध कब्जों को हटाने के आदेश जारी किए।

13.12.2012 : दूसरे पक्ष के कुछ लोग सुप्रीम कोर्ट चले गए परंतु उनकी याचिका को निरस्त कर दिया गया ।

2.12. 2013: कब्जा करके बैठे लोगों की सुनवाई के लिए एक कमेटी गठित हुई ।

9.1.2014: इंप्रूवमेंट ट्रस्ट के पूरे हाउस ने कब्जाधारियों की ओर से आए सभी डिस्मिस कर दिए और पंजाब सरकार ने भी प्रस्ताव पास कर दिया ।

2014: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में एक बार फिर यही मामला याचिका के रूप में पहुंच गया ।

10.2.2014: हाई कोर्ट में याचिका निरस्त हो गई और पंजाब सरकार पास जाने के आदेश जारी हुए ।

11.3.2014:  पंजाब सरकार ने पूरे क्षेत्र की दोबारा पैमाइश संबंधी आवेदन को रद्द कर दिया।

3.12.2016: याचिकाकर्ताओं ने अदालती आदेश लागू ना होने पर कंटेंप्ट आफ कोर्ट संबंधी लीगल नोटिस भेजे।

2019: अवैध कब्जों पर कोई एक्शन ना होने के चलते अदालत की अवमानना संबंधी याचिका हाईकोर्ट में दायर कर दी गई

21.8.2019: पंजाब के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी ने अवैध कब्जों को हटाने के निर्देश विभागों को भेजे।

15.11.2021: ट्रस्ट चेयरमैन ने स्टेटस रिपोर्ट भेजकर कब्जे न हटने संबंधी जालंधर पुलिस पर सारा दोष मढ़ दिया ।

23.9.2022: याचिकाकर्ता सुप्रीम कोर्ट चले गए जहां से हाईकोर्ट को निर्देश हुए कि 3 महीने में मामले को निपटाया जाए

9.12.2022: लतीफपुरा पर बड़ा एक्शन करके सभी कब्जों को गिरा दिया गया।

12.12.2022:  प्रशासन और ट्रस्ट ने हाईकोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट पेश करके कहा कि सभी कब्जे हटा दिए गए हैं

9.1.2023: हाईकोर्ट ने कब्जों के संबंध में दायर हुई याचिका को निरस्त कर दिया।

13.6.2023: याचिकाकर्ताओं ने फिर प्रशासन, पुलिस और ट्रस्ट पास फरियाद लगाई कि कब्जों को अभी तक दूर नहीं किया गया और अब तो प्लाटों तक जाना भी मुश्किल है ।

9.02.2024: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में इस मामले पर सुनवाई हुई, सरकारी तंत्र की डांट डपट हुई। चार दिन बाद मंगलवार को फिर सुनवाई निर्धारित की गई।

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