GST के सदमे से नहीं उभर पा रही स्पोर्ट्स व फिटनैस इंडस्ट्री

Edited By Punjab Kesari,Updated: 03 Aug, 2017 03:10 PM

gst impact on sports industry

चाहे मोदी सरकार ने जी.एस.टी. लगाने से पहले घोषणा की थी कि जी.एस.टी. दरें वैट दरों को ध्यान में रख कर तय की जाएंगी परन्तु कई

जालंधर (खुराना/ विनीत): चाहे मोदी सरकार ने जी.एस.टी. लगाने से पहले घोषणा की थी कि जी.एस.टी. दरें वैट दरों को ध्यान में रख कर तय की जाएंगी परन्तु कई मामलों में मोदी सरकार ऐसा करने में विफल रही है। स्पोर्ट्स इंडस्ट्री की बात करें तो वैट के जमाने में स्पोर्ट्स  के सामान पर उत्तर प्रदेश व जम्मू-कश्मीर इत्यादि राज्यों में जीरो प्रतिशत टैक्स था और पंजाब में यह टैक्स 5.5 प्रतिशत था परन्तु जी.एस.टी. लागू करते समय स्पोर्ट्स  की ज्यादातर आइटमों और फिटनैस के सामान पर 28 प्रतिशत जी.एस.टी. दर लागू कर दी गई है जिससे पूरे व्यापार का भट्ठा ही बैठ गया है और स्पोर्ट्स व फिटनैस इंडस्ट्री इस सदमे से उभर नहीं पा रही है।

एसोसिएशन ऑफ इंडियन स्पोर्ट्स गुड्स इंडस्ट्री के प्रधान सुभाष शर्मा तथा स्पोर्ट्स एंड ट्वॉयज एक्सपोर्टर्ज एसोसिएशन के प्रतिनिधि प्राण चड्ढा व संजय शर्मा इत्यादि ने आज दिल्ली जाकर केन्द्रीय वित्त राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल से मुलाकात की और उन्हें जी.एस.टी. की उच्च दरों व पडऩे वाले प्रभाव बारे विस्तार से बताया। बॉक्सिंग तथा फिटनैस इंडस्ट्री पर जी.एस.टी. की उच्चतम दर से लोगों विशेषकर युवाओं के स्वास्थ्य पर पडऩे वाले प्रभाव पर भी चर्चा हुई। स्पोर्ट्स इंडस्ट्री में जॉब वर्क के रिवर्स चार्ज तथा ड्राबैक मामलों पर भी केन्द्रीय वित्त राज्य मंत्री को अवगत करवाया गया। वित्त राज्य मंत्री ने आश्वासन दिया कि इस मामले में जल्द ही उपयुक्त कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। 
 

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