बसों में सफर करना है तो पहले पढ़ें यह खबर, इतने दिनों तक रहेगा चक्का जाम

Edited By Sunita sarangal,Updated: 23 Sep, 2022 11:50 AM

government buses from 27 to 29 jammed

यूनियन का कहना है कि ट्रांसपोर्ट मंत्री की मौजूदगी में रोडवेज, पनबस व पी.आर.टी.सी. के अधिकारी मौजूद रहे व उनकी लंबित मांगे मानने पर सहमति जताई गई है।

जालंधर(पुनीत): लंबित मांगों को लेकर 27 से 29 तक हड़ताल करके सरकारी बसों का चक्का जाम करने जा रही पनबस, पी.आर.टी.सी. ठेका कर्मचारी यूनियन की ट्रांसपोर्ट मंत्री के साथ मीटिंग हुई है।

यूनियन का कहना है कि ट्रांसपोर्ट मंत्री की मौजूदगी में रोडवेज, पनबस व पी.आर.टी.सी. के अधिकारी मौजूद रहे व उनकी लंबित मांगे मानने पर सहमति जताई गई है। वह सरकार को 4 दिन का अल्टीमेटम दे रहे है, यदि मीटिंग में हुई बातों पर लिखित आदेश जारी न किया गया तो वह चक्का जाम करने को मजबूर हो जाएंगे जिसके लिए सरकार व विभाग की कर्मचारी विरोध नीतियां जिम्मेदार होगी। यूनियन के प्रधान रेशम सिंह गिल, महासचिव शमशेर सिंह ढिल्लों, सीनियर मीत प्रधान दलजीत सिंह जल्लेवाल, सीनियर नेता सतपाल सिंह सत्ता की अध्यक्षता में प्रतिनिधिमंडल ने मीटिंग में सरकार की ढीली कार्यप्रणाली व मांगे न माने जाने के मुद्दे को प्रमुखता से उठाया।

पदाधिकारियों ने कहा कि आम आदमी पार्टी की सरकार ने चुनावों से पहले पनबस-पी.आर.टी.सी. ठेका कर्मचारियों को पक्का करने का वायदा किया था लेकिन सरकार बने 6 माह का समय बीत जाने के बावजूद उन्हें पक्का नहीं किया गया। दलजीत सिंह जल्लेवाल ने कहा कि पिछले दिनों वित्त मंत्री के साथ हुई मीटिंग के दौरान मांगें मानने का आश्वासन दिलाया गया था जोकि महज खानापूर्ति साबित हुआ है। उन्होंने कहा कि छोटे-मोटे केसों में सस्पैंड किए गए कर्मचारियों को बहाल न करने के कारण पंजाब भर में 500 से अधिक बसें डिपूओं में धूल फांक रही हैं लेकिन सरकार की ढीली कारगुजारी के कारण कर्मचारियों को बहाल करने में अड़चनें पैदा हो रही हैं। इसके चलते सरकार को वित्तीय घाटा उठाना पड़ रहा है व यात्रियों को काऊंटरों पर लम्बा इंतजार करना पड़ रहा है।

शमशेर सिंह ढिल्लों ने कहा कि सी.टी.यू. वर्कर यूनिय संयुक्त मोर्चा द्वारा पनबस-पी.आर.टी.सी. ठेका कर्मचारी यूनियन के संघर्ष की हिमायत की गई है, जिससे यूनियन के हाथ मजबूत हुए हैं। हड़ताल के दौरान सी.टी.यू. भी उनका साथ देगी। उन्होंने कहा कि अब देखना होगा कि सरकार क्या कदम उठाती है क्योंकि कर्मचारी अब आर-पार की लड़ाई लड़ने का मन बना चुके हैं।

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