फैटी लीवर का Tattoo से है Connection, पढ़ें कैसे

Edited By Vatika,Updated: 11 Jan, 2021 01:46 PM

fatty liver disease tattoo conection

आज हैपेटाइटिस-बी तथा सी ने हजारों को लोगों को अपनी चपेट में ले लिया है।

मोगा(संदीप शर्मा): आज हैपेटाइटिस-बी तथा सी ने हजारों को लोगों को अपनी चपेट में ले लिया है। प्रदेश के कई जिले ऐसे हैं, जिनमें इस बीमारी के पीड़ितों की संख्या हजारों से भी अधिक हो चुकी है। इस रोग के फैलने का सबसे बड़ा कारण है कि इस बीमारी का पता बहुत समय के बाद लगता है।

इस रोग की शुरूआत लीवर में गर्मी होने के कारण सूजन से होती है। अगर इलाज में लापरवाही की जाए तो यह बीमारी जानलेवा भी हो सकती है। इसकी शुरूआत होते ही हमारे शरीर की पाचन क्रिया पर भी बुरा प्रभाव पड़ना शुरू हो जाता है। हैपेटाइटिस-सी हमारे लीवर को तो प्रभावित करता ही है, वहीं शरीर के अंदरूनी हिस्से के लिए जरूरी रासायनों पर भी बुरा असर डालता है। हैपेटाइटिस-सी से शरीर में जरूरी प्रोटीन, रासायनों के उत्पाद पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। इसके मुख्य कारणों में लंबे समय से डायलॉसिस होना, एक सूई से कई व्यक्तियों को एंजैक्शन लगाना, शराब का अधिक सेवन करना, संदिग्ध डोनर का खून चढ़वाना व इस्तेमाल की गई सूई से टैटू बनवाना शामिल है। इसके साथ-साथ गर्भ दौरान मां के हैपेटाइटिस से पीड़ित होने पर बच्चे भी इससे ग्रस्त हो सकते हैं।

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कैसे रखा जा सकता है बचाव
हैपेटाइटिस से बचाव के लिए अधिक चिकनाई वाला भोजन, बाजारी खाना, उत्तेजना के लिए प्रयोग की जाने वाली दवाइयां, लंबे समय से तैयार किए हुए खाने का सेवन करने से बचें। इस बीमारी की शुरूआत फैटी लीवर के कारण होती है जिसका असर अधिकतर मोटापे से पीड़ित लोगों में अधिक देखने को मिलता है। इस बीमारी में खराब हुई हालत में लीवर कैंसर होने के साथ-साथ लीवर फेल भी हो सकता है।

हैपाटाईटस-बी व सी में अंतर
हैपेटाइटिस-बी के लिए सेहत विभाग तथा प्राइवेट तौर पर बचाव के लिए वैक्सीनेशन उपलब्ध है जिसका पहले से ही प्रयोग करने से इससे पूरी उम्र के लिए सुरक्षित रहा जा सकता है जब्कि हैपेटाइटिस-सी के लिए कोई भी ऐसी वैक्सीनेशन नहीं है। यह वायरस द्वारा फैलती है। इसलिए इसके अहम लक्ष्णों के शरीर में पैदा होने पर तुरंत इसकी जांच करवाई जानी जरूरी है।

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प्रदेश में हैपाटाइटिस के मरीजों की बढ़ रही संख्या को देखते हुए पहले राज्य सरकार द्वारा मुख्यमंत्री हैपाटाइटिस-सी मुफ्त इलाज स्कीम भी चलाई गई थी जो अब नैशनल प्रोग्राम फॉर हैपाटाइटिस-सी अधीन चलाई जा रही है। इसका लाभ सीधे तौर पर इस खतरनाक बीमारी से पीड़ित मरीजों को हो रहा है। अगर जिला मोगा की बात करें तो इस स्कीम के तहत जिले के हजारों हैपाटाइटिस-सी से पीड़ित मरीज मुफ्त दवाई द्वारा अपना इलाज करवाकर बिल्कुल तंदरुस्त हो चुके हैं तथा कुछ मरीजों का इलाज चल रहा है। टैटू बनवाने का शोक रखने वाले नई सूइयों का ही प्रयोग करें। इसके साथ-साथ इससे बचने के लिए अपनी पोष्टिक खुराक का भी ध्यान रखें।

-रामिंद्र शर्मा, एम.डी. मैडीसिन ।

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