तारीख पर तारीख:  31 वर्षों से शिक्षा विभाग के साथ हाईकोर्ट में लड़ रहा बुजुर्ग दंपति

Edited By Urmila,Updated: 05 Mar, 2023 02:11 PM

elderly couple fighting in high court with education department

सरकारी हाई स्कूल गुमटाला से 1996 में रिटायर्ड प्रिंसिपल हरजिंदर सिंह अपनी पत्नी बलविंदर कौर के साथ 31 सालों से शिक्षा विभाग के साथ अपनी लड़ाई लड़ रहे हैं।

जालंधर: सरकारी हाई स्कूल गुमटाला से 1996 में रिटायर्ड प्रिंसिपल हरजिंदर सिंह अपनी पत्नी बलविंदर कौर के साथ 31 सालों से शिक्षा विभाग के साथ अपनी लड़ाई लड़ रहे हैं। पूरी पैंशन की बहाली को लेकर वे प्रशासनिक अधिकारियों के भी दरवाजे खटखटा चुके हैं लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। 1992 से लेकर 2023 तक उन्हें कोर्ट से मिली है तो बस तारीख पर तारीख।

हरजिंदर सिंह ने बताया कि 1992 में वे बीमार हो गए थे, जिसके बाद शिक्षा विभाग ने दोबारा उन्हें 1996 में रिटार्यटमैंट दे दी, जिस कारण उन्हें अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ा। जालंधर कोर्ट ने उनके हक में फैसला भी सुनाया था लेकिन शिक्षा विभाग ने अपील दायर की। उनकी सारी उमर कोर्ट कचहरी में ही गुजर गई है। घर के माली हालत भी सही नहीं है लेकिन वे इंसाफ के लिए अंतिम सांस तक लड़ाई लड़ते रहेंगे और अपनी पैंशन को हर हालत में बहाल करवाएंगे।

65 हजार पैंशन बनती हैं, मिल रही है 27 हजार के करीब

हरजिंदर सिंह की पत्नी बलविंदर कौर ने बताया कि उनके पति की पैंशन 65 हजार के करीब बनती है लेकिन उन्हें 27 हजार के करीब ही मिल रही है। जबकि उनके पति ने 24 साल शिक्षा विभाग को अपनी सर्विस के दिए हैं लेकिन उसके बावजूद भी उन्हें इंसाफ नहीं मिल रहा है। 1992 से लेकर 2018 तक उन्हें 26 लाख रुपए के करीब दिए जा चुके हैं जिसमें से 10 लाख रुपए टैक्स काट लिया गया।

केस की अगली तारीख 20 अप्रैल को

बलविंदर कौर ने बताया कि हाईकोर्ट ने 20 अप्रैल की तारीख दी है। हरजिंदर सिंह ने मांग करते हुए कहा कि निचली अदालत के फैसले अनुसार से उनके हक में हुआ था। जिस कारण शिक्षा विभाग को 1996 रूल के अनुसार लिव इन केशमैंट 18 फीसदी ब्याज सहित, ग्रेच्युटी 18 फीसदी और कोर्ट की तरफ से अटैच रकम जो कि 3.54 करोड़ बनती है। उन्हें मिलनी चाहिए। पैसे न मिलने के कारण उनके घर के हालात भी बदतर हो गए हैं। किसी भी समय गिर सकता है। उन्हें हाईकोर्ट से पूरी उम्मीद है कि फैसला उनके हक में सुनाया जाएगा। लेकिन शिक्षा विभाग जानबूझ कर उनकी बाकी पैंशन को नहीं दे रहा है।

 मुख्यमंत्री को भी भेजा पत्र

बलविंदर कौर ने बताया कि उन्होंने इस सारे मामले के बारे में मुख्यमंत्री भगवंत मान को भी लिखा है, जिसमें उन्होंने मांग की है कि शिक्षा विभाग से उनके बनते पैसे दिलवाए जाएं ताकि बाकी बची जिंदगी सही से बीत सके। वहीं वे अपने बेटे को एडवोकेट बनाना चाहते हैं ताकि लोगों को सही समय पर इंसाफ मिल सके। क्योंकि उनकी बेटी की मौत इलाज न होने के कारण हो गई थी, जिसके बाद उन्होंने अपनी लड़ाई जारी रखी।

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