इकलौते बेटे की Corona रिपोर्ट पाकर 2 दिन तक नहीं सो पाया था पिता, अदालत पहुंचा मामला

Edited By Vatika,Updated: 21 Apr, 2021 11:28 AM

carelessness in corona reports case reached court

कोरोना जांच के नाम पर स्थानीय सिविल अस्पताल में लोगों के साथ बड़ा खिलवाड़ हो रहा है।

फिल्लौर(भाखड़ी) : कोरोना जांच के नाम पर स्थानीय सिविल अस्पताल में लोगों के साथ बड़ा खिलवाड़ हो रहा है। 15 वर्ष के बच्चे को पहले जांच में बताया नैगेटिव और 9 घंटे बाद रिपोर्ट बदल कर पॉजिटिव कर दिया गया। अगले रोज बड़े अस्पताल की जांच रिपोर्ट में बच्चा नैगेटिव पाया गया। संबंधित डाक्टर व कर्मचारियों के विरुद्ध कार्रवाई को लेकर मामला शीघ्र ही अदालत में पहुंच रहा है।
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पत्रकार सम्मेलन का आयोजन कर स्थानीय शहर के रहने वाले इंद्र कुमार ने बताया कि उसका 15 वर्ष का इकलौता बेटा 10वीं कक्षा में पढ़ता है। स्कुल प्रबंधकों द्वारा बोर्ड के एग्जाम को लेकर दसवीं, 11वीं, उन्होंने अभीभावकों से कहा कि इन कक्षाओं में पढ़ने वाले बच्चों को स्कूल भेजते वक्त साथ में कारोना टैस्ट की रिपोर्ट भेजें कि उनके बच्चे की रिपोर्ट नैगटीव है। जिस पर वह अपने बेटे को लेकर 17 मार्च को प्रातः 10 बजे स्थानीय सिविल अस्पताल गए जहां बच्चे की जाचं करवा कर वह घर लौट आए। 21 मार्च को वह दोबारा अस्पताल में बच्चे की रिपोर्ट लेने गए वहां अस्पताल में जो कर्मचारी मौजुद था उसने मोहर लगा कर उनके बेटे की नैगटिव रिपोर्ट उन्हें दे दी। उसके 9 घंटे बाद उन्हें दोबारा फोन आया कि उनके बच्चे की रिपोर्ट उन्हें अभी मिली है जो कि पॉजिटिव है। फोन सुन कर वह इतना ज्यादा घबरा गए उस वक्त वह कार चला रहा थे और वह रास्ते में ही किनारे पर कार खड़ी कर वहीं बैठे रह गए कि वह अब रात को अपने बेटे को लेकर कौन से अस्पताल में जाए। पूरी रात वह सो नहीं पाएं।

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इंद्र कुमार ने बताया कि उन्होंने घर में भी किसी को नहीं बताया कि उनका बेटा कोरोना पॉजिटिव हो चुका है नहीं तो वे भी चिंता के मारे सो नहीं पाते। अगली सुबह वह तुरंत अपने बेटे को लेकर लुधियाना के दयानंद अस्पताल पहुंच गए, जहां पहले उन्होंने अपने बच्चे की दोबारा से कोरोना जांच करवाई, जिसकी कुछ ही घंटों में रिपोर्ट आई वह तो नैगेटिव है। रिपोर्ट देख कर उन्होंने राहत की सांस की। अगले रोज 24 मार्च को वह दोबारा सिविल अस्पताल पहुंचे और उन्होंने अपने बेटे के संबंध में पुछा तो वही कर्मचारी ने पुराना रिकार्ड जिसमें उनका बेटा नैगेटिव था गायब कर उन्हें पॉजिटिव की रिपोर्ट मोहर लगा कर थमा दी। उसे लेकर वह घर आ गए। सिविल अस्पताल की लापरवाही यहीं नहीं रूकी 9 दिन बाद उनके फोन पर फिर से फोन आया कि उनका बेटा पॉजिटिव है। वह उसकी किट ले जाएं। किट लेने के बाद इंद्र कुमार ने सेहत मंत्री पंजाब के अलावा सिविल सर्जन जालंधर व डी.सी. को लिखित शिकायत काते हुए कार्रवाई की मांग की। जब उसका भी उन्हें कोई जवाब नहीं दिया गया तो उन्होंने खुद सिविल अस्पताल पहुंच अपनी शिकायत के साथ बयान दर्ज करवा कर उसकी एक कापी ले ली। उन्होंने कहा कि स्कूलों में सैंकड़ों बच्चे पढ़ते हैं जिन्हें जांच करवाना जरूरी था। न जाने अस्पताल के डाक्टर व कर्मचारियों ने कितने बच्चों के साथ उसके बच्चे जैसा खिलवाड़ किया होगा। ऐसे डाक्टरों के विरुद्ध कार्रवाई को लेकर उन्होंने वकीलों से बातचीत कर लिया है व शीघ्र ही वह अदालत में केस करेंगे।जब इस संबंध में एस.एम.ओ. फिल्लौर डा. प्रभाकर से बात करनी चाही तो वह अपने कार्यालय में मौजूद नहीं थे। वहां मौजदू एक अन्य अधिकारी ने पुछने पर बताया कि गत दिवस विभाग ने डाक्टर प्रभाकर व एक अन्य कर्लक को किसी कारण सस्पैंड कर दिया है। उन्होंने इस शिकायत पर क्या कारवाई की अब वहीं बता सकते है।

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