2012 चुनाव नतीजों से पहले जो ‘राजनीतिक नासमझी’ कैप्टन ने की वह 2017 में ‘आप’ ने दोहराई

Edited By Updated: 12 Mar, 2017 12:20 AM

before the 2012 election results the political absurdity

2012 के पंजाब विधानसभा चुनाव के नतीजों से पहले जो....

पटियाला(राजेश): 2012 के पंजाब विधानसभा चुनाव के नतीजों से पहले जो ‘राजनीतिक नासमझी’ पंजाब कांग्रेस के प्रधान कै. अमरेन्द्र सिंह ने दिखाई थी, इस बार कै. अमरेन्द्र उससे बच कर रहे जबकि आम आदमी पार्टी (आप) ने उसी तरह की ‘नासमझी’ 2017 के चुनाव में दिखाई। वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव के नतीजों से पहले कै. अमरेन्द्र सिंह ने पहले ही एक तरह से कैबिनेट बना दी थी। यहां तक कि कैप्टन की कोर टीम ने पंजाब के मुख्य सचिव, डी.जी.पी., मुख्यमंत्री के प्रिंसीपल सचिव समेत कई और अहम पोस्टों के नाम भी फाइनल कर लिए थे। 

इस संबंधी मीडिया में भी रिपोर्टें छप गई थीं कि कैप्टन सरकार बनने पर यह-यह नेता मंत्री बनेंगे और कितने बजे कै. अमरेन्द्र सिंह शपथ ग्रहण करेंगे। उस समय दिलचस्प बात तो यह हुई थी कि चुनाव नतीजे से एक दिन पहले ही कै. अमरेन्द्र प्रदेश के राज्यपाल से मिलने चले गए थे। अगले दिन जब चुनाव के नतीजे कांग्रेस के खिलाफ आए और अकाली-भाजपा सरकार रिपीट कर गई तो उस समय कैप्टन की काफी किरकिरी हुई थी। मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने शपथ ग्रहण करने के बाद जब पहला विधानसभा सैशन बुलाया तो सैशन दौरान उन्होंने कै. अमरेन्द्र की इस राजनीतिक ‘नासमझी’ की विधानसभा में जमकर खिल्ली उड़ाई थी। अपनी स्पीच दौरान बादल आधा घंटा इसी मुद्दे पर बोले और उन्होंने कैप्टन की इस कार्रवाई को राजनीतिक ‘नासमझी’ करार दिया था। 

यही कारण है कि इस बार कै. अमरेन्द्र ने अपनी पार्टी के नेताओं और अपने सिपहसालारों को स्पष्ट हुक्म दिए थे कि वे चुनाव के नतीजों या सरकार बनने संबंधी कोई बात न करें। सूत्रों के अनुसार किसी एक सीनियर नेता ने जब नई बनने वाली कैबिनेट के मुद्दे पर कैप्टन के साथ बात करनी चाही तो उन्होंने उस बड़े नेता को ‘झाड़’ दिया था और स्पष्ट किया था कि वह अपना फार्मूला अपने पास रख कर चले जाएं और इस मुद्दे पर बात न करें। 

दूसरी तरफ पंजाब की सत्ता पर काबिज होने का सपना देख रही आम आदमी पार्टी के नेताओं ने तो अपनी कैबिनेट बनानी शुरू कर दी थी। आम आदमी पार्टी के नेता और अपने आप को अगले मुख्यमंत्री के तौर पर देख रहे कामेडी कलाकार भगवंत मान पंजाब के जिलों में घूम कर स्ट्रांग रूमों में पड़ी ई.वी.एम. का जायजा लेते रहे और इस बहाने स्थानीय उम्मीदवारों को अपने पक्ष में करते दिखाई दिए, ताकि मुख्यमंत्री बनने के समय ये उम्मीदवार उनके हक में रहें। 

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