Edited By Vatika,Updated: 05 Oct, 2023 10:57 AM

स्टोर के बाहर लंबी लाइनें सुबह से लेकर शाम तक लगी रही। इतनी भीड़ उमड़ी देखकर स्टोर मालिक भी हैरान परेशान रह गए।
लुधियाना (राम): भारतीयों के लिए कनाडा में रहना एक बुरे सपने में परिवर्तित हो रहा है। यही नहीं, अब कनाडा में पार्ट टाइम नौकरियों का भी संकट है। दूर देश में अपने घर-परिवार से हजारों किलोमीटर दूर छात्र ऐसी ही दिक्कतों से जूझ रहे हैं। कनाडा में नौकरियों के लिए मारा-मारी शुरू हो चुकी है। हाल ही में एक ग्रोसरी स्टोर ने 7 नौकरियों के लिए सोशल मीडिया पर विज्ञापन दिया तो करीब 200 स्टूडैंट्स वहां पर इंटरव्यू देने पहुंच गए। स्टोर के बाहर लंबी लाइनें सुबह से लेकर शाम तक लगी रही। इतनी भीड़ उमड़ी देखकर स्टोर मालिक भी हैरान परेशान रह गए। उन्होंने खुद अपने स्तर पर उनके लिए चाय-पानी का इंतजाम किया। ऐसे हालात किसी एक जगह नहीं, बल्कि पूरे कनाडा में बनते जा रहे हैं। पहले छात्र यहां अपनी आजीविका पार्ट टाइम जॉब कर चला लिया करते थे। कनाडा में जॉब्स बहुत कम हो गई हैं।
20 से 30 लाख खर्च करके गए, अब वतन वापसी आसान नहीं
कनाडा में रहने वाले कई छात्र अब कुछ न कमा पा रहे हैं और न बचत कर पा रहे हैं। वे 20 से 30 लाख रुपए खर्च कर गए थे, अब उनके लिए वतन वापसी आसान नहीं है। कई स्टूडैंट्स भारी लोन लेकर और और जमीनें गिरवी रख कर कनाडा गए हैं। वहां के हालात देखकर कई छात्र कह रहे हैं कि इससे अच्छा तो इतने पैसे खर्च करके भारत में ही कोई करोबार कर लेते। वे नहीं जानते कि यहां पर हालात कब सुधरेंगे और अब उनका भविष्य अनिश्चित हो चुका है। हजारों छात्रों को काम नहीं मिल पा रहा है। वे शुल्क और करों का भुगतान करते हैं और बदले में उन्हें कुछ नहीं मिलता। कनाडा सरकार अब उन्हें नहीं पहचान रही लेकिन हम उन्हें बताना चाहेंगे कि हम वे लोग हैं जिन्होंने आपकी ‘श्रम की कमी’ को हल करने सहायता की थी। कनाडा में हर नौकरी के लिए निश्चित मानदेय होता है, जो घंटों के हिसाब से मिलता है। सरकार ने भारतीय छात्रों से काम करवाने के लिए नीति में बदलाव किया लेकिन नीति में मानदेय नहीं बदले गए थे। हालांकि इसी नीति का दुरुपयोग कर पंजाबी छात्रों से बहुत कम मानदेय पर कहीं अधिक कार्य करवाया जा रहा है।
स्टूडैंट्स को नहीं मिल रही रहने को छत
जानकारी के मुताबिक कनाडा में सिर पर बिना छत यहां भटक रहे हताश छात्रों को ढूंढने से भी किराए पर घर नहीं मिल रहा। उन्हें सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। 2023 की बात करें तो कनाडा में अब तक 9,00,000 अंतर्राष्ट्रीय छात्र हैं, इनमे से 90 प्रतिशत भारतीय हैं। एक अनुमान के मुताबिक इस साल के आखिर तक 5,00,000 स्थायी निवासी और बढ़ सकते हैं। कनाडाई सरकार द्वारा आप्रवासियों को लाने का एक प्रमुख कारण आर्थिक विकास और लचीलेपन को बढ़ावा देना है। हालांकि यह अभियान ऐसे समय में आया है, जब कनाडा आवास संकट का सामना कर रहा है। वहां घरों का निर्माण बेहद कम है और रिकॉर्ड-उच्च ब्याज दरों ने नए घर का निर्माण कनाडाई और नए आप्रवासियों की पहुंच से बाहर कर दिया है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार साल 2030 तक कनाडा में 3,45,000 हाऊसिंग यूनिट्स कम पड़ने का अनुमान है।
बड़ी संख्या में छात्र मोटल या बेसमैंट में रह रहे
अब आप सोच रहे होंगे कि हर साल इतने सारे छात्र कनाडा क्यों आते हैं। सच पूछिए तो इसका कारण सिर्फ शिक्षा नहीं है। ऐसा इसलिए है क्योंकि कनाडा जाने के एक आसान 40 प्रतिशत इंटनैशनल छात्र इंडिया से रास्ता है और फिर इसके बाद स्थायी निवास और नागरिकता पाने के रास्ते भी खुल जाते हैं। स्टूडैंट वीजा धारक कनाडा में आसानी से एंट्री कर सकते हैं। कनाडा में विदेशी छात्रों में बड़ी संख्या भारतीयों की है। कनाडा सरकार के आंकड़ों के अनुसार साल 2022 में कुल 5.5 लाख अंतर्राष्ट्रीय छात्रों में से 2.26 लाख इंडिया से थे। ये कुल छात्रों का 40 प्रतिशत है। इससे पहले से 3.2 लाख भारतीय छात्र वीजा पर कनाडा में रह रहे थे। इनमें से बड़ी संख्या में छात्र मोटल या बेसमैंट में रह रहे हैं।
आर्थिक तंगी बना रही है तनाव का शिकार
जो भारतीय छात्र हाल ही में कनाडा पहुंचे हैं वे ओन्टारियो के किचनर में आवासीय इलाकों में घूम रहे हैं, वो अपने बैग कांधे पर लादे अजनबी घरों में डोरबैल बजा रहे हैं। दरवाजा खुलने पर पूछते हैं कि क्या आपके घर में किराए पर देने के लिए कोई जगह है। वहीं, कनाडा के निवासी अजनबियों द्वारा इस तरह घर-घर जाकर किराए पर जगह पूछने को पसंद नहीं करते। घर की तलाश भारतीय छात्रों के लिए दुःस्वप्न की शुरूआत है। आखिर में थक-हारकर वे एक स्टोर रूम, सांझा घरों के बेसमैंट जो भी उन्हें मिलते हैं उसमें रहने लग जाते हैं। इनका किराया 600-650 $ होता है। इस तरह ज्यादातर पैसे किराए के भुगतान में खर्च हो जाते हैं। अब सोचने वाली बात ये है कि छात्र करियाने और फोन के बिल का भुगतान कैसे करेंगे। एक स्टूडैंट अन्य लोगों के साथ ओंटारियो प्रांत के किचनर में एक बेसमैंट शेयर करता है। उनका किराया प्रति माह 450 डॉलर आता है और फोन बिल सहित कुल खर्च 700 डॉलर आ जाता है। इस खर्च में कॉलेज की ट्यूशन फीस शामिल नहीं है। इतना ही नहीं, कुछ छात्र कारों में रह रहे हैं, जबकि कई को मजबूरन महंगे मोटल में रहना पड़ रहा है। इनकी लागत प्रति दिन 100 डॉलर तक हो सकती है। यह फाइनैंशियल तनाव एक नए देश में पढ़ने गए बच्चों के सामने बड़ी चुनौतियां खड़ी करता है।