Edited By Tania pathak,Updated: 11 Apr, 2021 03:36 PM

पंजाब में 2022 के विधानसभा चुनावों को देखते हुए सभी पार्टियों की तरफ से तैयारियां पूरे जोरों-शोरों से चलनी शुरू हो गई है।
पंजाब: पंजाब में 2022 के विधानसभा चुनावों को देखते हुए सभी पार्टियों की तरफ से तैयारियां पूरे जोरों-शोरों से चलनी शुरू हो गई है। इसी बीच कांग्रेस पार्टी में भी हलचल शुरू हो चुकी है। सूत्रों की माने तो कैप्टन की तरफ से प्रशांत किशोर को रणनीतिकार के तौर पर नियुक्त करने का फैसला लोगों को खल सकता है। अगर सूत्रों की माने तो प्रशांत किशोर के चलते पंजाब के कई विधायकों के टिकट कट सकते है।
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार प्रशांत किशोर ने कांग्रेस पार्टी के कम से कम 30 विधायकों को अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले बदलने और वर्तमान निर्वाचन क्षेत्रों से अन्य क्षेत्रों में स्थानांतरित करने की रणनीति बनाई है, जिसका पार्टी आलाकमान ने जमकर विरोध किया है। प्रशांत किशोर के इस प्रस्ताव के बाद पार्टी के कई विधायकों ने कांग्रेस हाईमान से शिकायत की है कि इन दोनों को यह अधिकार देने से पंजाब में कांग्रेस पिछड़ जाएगी, जिसके 2022 में फिर से अपनी सत्ता बरकरार रखने की उम्मीद है। इतना ही नहीं अगर मीडिया रिपोर्ट की माने तो मंत्री बलबीर सिद्धू और श्याम सुंदर अरोड़ा को इस बार टिकट से कट किया जा सकता है। हालांकि अगर राजनीतिज्ञों की माने तो कैप्टन इस समय किसी को भी नाराज नहीं करेंगे।
राज्य में स्थिति कांग्रेस के लिए बहुत जटिल हो गई है। सूत्रों की माने तो हाईकमान नवजोत सिंह सिद्धू को जाखड़ का उत्तराधिकारी बनाना चाहता है लेकिन कैप्टन अमरिंदर को पता है कि अगर सिद्धू पीसीसी प्रमुख बनते है तो वह उनके उत्तराधिकारी के रूप में देखा जाएगा। ऐसे में उनके बीच भी कई बार ऐसी नोक-झोक देखने को मिल रही है। वहीं अगर पंजाब में बाकी पार्टियों का समीकरण देखे तो शिरोमणि अकाली दल और भाजपा के गठबंधन टूटने का सीधा बुरा प्रभाव भाजपा को पड़ा है। इतना ही नहीं इसका फायदा पंजाब में आम आदमी पार्टी उठा सकती है।