PGI चंडीगढ़ के डॉक्टरों का खुलासा, खोज ली कोरोना से निपटने की दवा

Edited By Vatika,Updated: 16 Mar, 2020 11:41 AM

pgi discovers molecule which will prevent virus from spreading

दुनिया जहां कोरोना वायरस के खतरे से निपटने के लिए अपने स्तर पर तैयारी कर रही है वहीं पी.जी.आई. ने इससे बचने के लिए अपने स्तर पर दवा (मॉलीक्यूल) खोज ली है।

चंडीगढ़(शर्मा): दुनिया जहां कोरोना वायरस के खतरे से निपटने के लिए अपने स्तर पर तैयारी कर रही है वहीं पी.जी.आई. ने इससे बचने के लिए अपने स्तर पर दवा (मॉलीक्यूल) खोज ली है। इन मॉलीक्यूल का अब कोरोना वायरस के बाद उपजी परिस्थितियों या वायरस के स्वरूप बदलने में इन विट्रो और इन वीवो प्लेटफार्म (एक तरह के ट्रायल) पर आकलन किया जा रहा है।

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पी.जी.आई. की एक्सपैरिमैंटल फार्मेकोलॉजी लैबोरेटरी, डिपार्टमैंट ऑफ फार्मेकोलॉजी ने कोविड-19 वायरस की नई दवा (मॉलीक्यूल) ईजाद की है। इनमें 5 ऐसे प्रोटीन खोजे गए हैं जो पोटैंशल टार्गेट हैं। इन पर अंकुश लगा कर वायरस को शरीर को नुक्सान पहुंचाने या फैलने से रोका जा सकेगा।  इन विट्रो प्लेटफार्म पर नए खोजे गए मॉलीक्यूल या दवा को मिलते-जुलते वायरस जिसे ग्रो किया जाता है, पर इस्तेमाल किया जाता है। इसी तरह इन वीवो प्लेटफार्म पर दवा या मॉलीक्यूल का एनिमल मॉडल पर बॉडी के अंदर परीक्षण किया जाता है। डा. विकास मेधी ने बताया कि कोविड-19 वायरस पर यह कैसे काम करेगा, इसका अगले कुछ दिन में खुलासा होगा।

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कोरोना वायरस के 7 स्ट्रेन 
डा. विकास मेधी के अनुसार ह्यूमन कोरोना वायरस के 7 स्ट्रेन होते हैं। इनमें 229 ई, एन.एल. 63, ओ.सी. 43, एच.के.यू. 1, एम.ई.आर.एस.-सी.ओ.वी., एस.ए.आर.एस.-सी.ओ.वी. और 2019 -एन.सी.ओ. वी शामिल हैं, जो संक्रमण के लिए जिम्मेदार हैं। यह रैस्पेरेटरी ट्रेक्ट को अपने चंगुल में ले लेता है जिसमें लोअर और अपर रैस्परेटरी ट्रेक्ट शामिल है। इससे कॉमन कोल्ड, निमोनिया, ब्रोंकियोलाइट्स, राइनाइटिस, फरेनजाइटिस, साइनुसाइट्स शामिल हैं। कई मरीजों को वाटरी डायरिया (पानी वाले दस्त) भी लग सकते हैं। इन 7 स्ट्रेन में से 3 एस.ई.आर.एस.-सी.ओ. वी, एम.ई.आर.एस.-सी.ओ. वी और 2019-एन.सी.ओ. वी हाइली पैथोजेनिक हैं जो घातक कोरोना वायरस की बीमारी फैलाते हैं। यानी एयरबोर्न डॉपलेट्स के जरिए फैलते हैं। 

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संक्रमण फैलने से रोका जा सकेगा 
पी.जी.आई. की टीम ने कुछ ऐसे मॉलीक्यूल पता लगाए हैं जिन्हें किसी दूसरी बीमारी या परिस्थिति के लिए तैयार किया गया था। इन मॉलीक्यूल का अब कोरोना वायरस के बाद उपजी परिस्थितियों या वायरस के स्वरूप बदलने में इन विट्रो और इन वीवो प्लेटफार्म (एक तरह के ट्रायल) पर आंकलन किया जा रहा है। इससे उम्मीद बंधी है कि एक नई दवा तैयार होगी जो कोविड 19 के खिलाफ काम करेगी। इसे दुनिया भर में मार कर रहे कोरोना के खिलाफ प्रयोग किया जा सकेगा और इसके फैलने के केसों पर अंकुश लग सकेगा। डा. विकास मेधी ने बताया कि कोविड वायरस के खिलाफ कुछ टारगेट प्रोटीन जिनका नंबर पांच हैं, खोजे गए हैं। इन प्रोटीन को दवा के जरिये रोक कर या एक्टिवेट कर दवा का परीक्षण होगा। 

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ये है इन विट्रो या इन वीवो ट्रायल
इन विट्रो प्लेटफार्म पर नए खोजे गए मॉलीक्यूल या दवा को मिलते-जुलते वायरस जिसे ग्रो किया जाता है, पर इस्तेमाल किया जाता है। इसी तरह इन वीवो प्लेटफार्म पर दवा या मॉलीक्यूल का एनिमल मॉडल पर बॉडी के अंदर परीक्षण किया जाता है। डा. विकास मेधी ने बताया कि कोविड 19 वायरस पर यह कैसे काम करेगा, इसका अगले कुछ दिन में खुलासा होगा।

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