Punjab सहित 13 राज्यों में फैलाया पूरा जाल... हैरान कर देगा Software Engineer का कारनामा

Edited By Kamini,Updated: 24 Jan, 2025 07:21 PM

the feat of the software engineer will surprise you

एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर का बेहद ही हैरान कर देने वाला कारनामा सामने आया है।

पंजाब डेस्क : एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर का बेहद ही हैरान कर देने वाला कारनामा सामने आया है, जिसके बाद यूपीएसटीएफ ने सॉफ्टवेयर इंजीनियर समेत 2 टोल प्लाजा प्रबंधकों को गिरफ्तार किया है। जानाकरी के मुताबिक, मध्य प्रदेश, राजस्थान और गुजरात समेत 13 राज्यों के करीब 200 टोल प्लाजा के कंप्यूटरों में NHAI जैसा ही एक और सॉफ्टवेयर इंस्टॉल कर बिना फास्टैग वाले वाहनों से करोड़ों रुपए की टोल टैक्स चोरी पकड़ी गई है। 

गिरफ्तार मास्टरमाइंड इंजीनियर आलोक सिंह से पूछताछ में पता चला कि यह घोटाला पिछले 2 साल से चल रहा था। इसके साथ ही NHAI को करीब 120 करोड़ रुपये चूना लगाया गया है। क्षेत्रीय कार्यालय ने इस संबंध में सभी अधिकारियों को अलर्ट और जांच की एडवाइजरी जारी की है। पंजाब में खरड़-लुधियाना हाईवे पर स्थित घुलाल और बठिंडा-अमृतसर हाईवे पर स्थित जीदा टोल प्लाजा भी इसमें शामिल हैं। इस घोटाले में टोल टैक्स ठेकेदार की मिलीभगत की जानकारी मिली है। STF ने घोटाले के मास्टरमाइंड समेत 3 लोगों को गिरफ्तार किया है, जबकि गिरोह के कई सदस्यों की तलाश की जा रही है।

ये नियम हैं:

टोल प्लाजा से गुजरने वाले बिना फास्टैग वाले वाहनों से दोगुना टोल वसूला जाता है। इसका 50 प्रतिशत NHAI को जाता है और 50 प्रतिशत टोल वसूलने वाली निजी कंपनी या ठेकेदार को जाता है, लेकिन यदि यह टोल आलोक के सॉफ्टवेयर से वसूला जाता है, तो NHAI को उसका हिस्सा नहीं मिलता, बल्कि पूरा पैसा ही हजम हो जाता है।

यूपीएसटीएफ ने कहा कि जिन 42 टोल प्लाजा पर मास्टरमाइंड आलोक सिंह ने फर्जी सॉफ्टवेयर लगाए थे, उनमें से 9 यू.पी., 6 मध्य प्रदेश में, 4-4 राजस्थान, गुजरात, छत्तीसगढ़, 3 झारखंड, 2-2 पंजाब, असम, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल तथा 1-1 ओडिशा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और तेलंगाना सामने आए है। यानी ये पूरा जाल 13 राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश तक फैला हुआ था। इनमें से अधिकांश AKCC कंपनी के हैं। पूछताछ दौरान आलोक ने बताया कि उसके सहयोगी सावंत और सुखंतु ने करीब 200 टोल प्लाजा पर इसी तरह का सॉफ्टवेयर लगाया है।

आरोपी आलोक एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं जो NHAI के सॉफ्टवेयर को विकसित करने और स्थापित करने का काम करता हैं। टोल प्लाजा पर काम करते समय, वह उन कंपनियों के ठेकेदारों के संपर्क में आया जो टोल प्लाजा के लिए ठेका ले रही थीं। फर्जी सॉफ्टवेयर से जारी टोल टैक्स पर्ची NHAI की पर्ची से हूबहू मिलती जुलती थी। NHAI के संदेह से बचने के लिए, बिना फास्टैग के गुजरने वाले केवल 5 प्रतिशत वाहनों का ही NHAI सॉफ्टवेयर पर रजिस्ट्रेशन किया जाता है। जिन वाहनों को डबल टैक्स स्लिप जारी की गई थी, उन्हें टोल-फ्री श्रेणी में रखते थे।

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