कोरोना की तीसरी लहर से निपटने में 'वैक्सीन' ही नहीं 'दवा' भी हो सकती है हथियार

Edited By Tania pathak,Updated: 02 Jul, 2021 12:48 PM

medicine  can be weapon in dealing with corona

कोविड महामारी को लेकर दुनियाभर में कई तरह की भ्रांतियां इसके प्रसार और तीसरी लहर को लेकर कई तरह के अनुमान लगाए जा रहे हैं। पूरी दूनिया के देश यही मान कर चल रहे हैं कि महामारी को खत्म करने का एक ही तरीका है कि...

हेल्थ डेस्क: कोविड महामारी को लेकर दुनियाभर में कई तरह की भ्रांतियां इसके प्रसार और तीसरी लहर को लेकर कई तरह के अनुमान लगाए जा रहे हैं। पूरी दूनिया के देश यही मान कर चल रहे हैं कि महामारी को खत्म करने का एक ही तरीका है कि आबादी का तेजी से टीकाकरण कर किया जाए। यहां यह सवाल भी लाजिमी हो जाता है कि क्या महामारी से निपटने के लिए वैक्सीन के अलावा कोई दूसरा उपाय नहीं है? सर्जन डॉ कावेरी नंबीसान और कांदिवली मुंबई के प्रमुख टेलीमेडिसिन प्रैक्टिशनर डॉ डेरेल डेमेलो का कहना कि इस का एक उपाय यह है कि इवरमेक्टिन दवा उन सभी को दी जानी चाहिए जिन्हें टीका नहीं लगाया गया है या आंशिक रूप से टीका लगाया गया है। लगातार तीन दिनों तक दी गई शुरुआती तीन गोलियों के बाद 12 मिलीग्राम की एक बार साप्ताहिक खुराक वायरस से पर्याप्त सुरक्षा प्रदान करती है। सीधे शब्दों में कहें तो एक ही समय में टीकाकरण के साथ आगे बढ़ते हुए दुनिया को इवरमेक्टिनाइज करना बहुत अच्छा है।

कारगर साबित होने के बावजूद डब्ल्यू.एच.ओ. ने खारिज की दवा
अगस्त 2020 तक इवरमेक्टिन का उपयोग भारत सहित अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोप के कई देशों के अलावा बांग्लादेश, मैक्सिको, दक्षिण अफ्रीका, इजराइल, स्पेन, इटली, स्लोवाकिया और जापान में किया जा रहा था। भारत में उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले में एक डॉक्टर ने 4,000 से अधिक रोगियों का इलाज किया है। मुंबई के कांदिवली में एक अन्य ने कॉर्पोरेट घरानों सहित 6,000 का इलाज किया है और मंगलुरु में काम करने वाले ई.एन.टी. के एक प्रोफेसर ने 4000 से अधिक रोगियों का इलाज किया है। कई अन्य ऐसे भी हैं जिन्होंने बड़ी संख्या में मरीजों का इलाज किया है। कई चिकत्सा विशेषज्ञों का मानना है कि शुरूआती दौर में कोविड के इलाज के लिए इवरमेक्टिन दवा का इस्तेमाल किया गया। कोरोना वायरस को मारने के लिए यह दवा कारगर साबित हो रही थी। इसी बीच दुनिया भर के ड्रग कंट्रोल अथॉरिटीज और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यू.एच.ओ.) ने खुद इवरमेक्टिन की निरंतर प्रभावकारिता को खारिज कर दिया।

इवरमेक्टिन दवा ही क्यों है टीकाकरण का विकल्प
एक ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिक ने इन विट्रो में इवरमेक्टिन के साथ प्रयोग करते हुए पाया कि इसने कोविड -19 वायरस को मार दिया। उन्होंने अपने निष्कर्षों के बारे में लिखा और बांग्लादेश के एक बड़े सरकारी अस्पताल में काम करने वाले एक डॉक्टर ने इसे नोट किया। उन्होंने 60 रोगियों पर इवरमेक्टिन का इस्तेमाल किया और पाया कि यह उनमें से अधिकांश ठीक हो गए। इसके अलावा ठीक होने के बाद उनमें से किसी गंभीर बीमारी की समस्या नहीं हुई। जब वायरल प्रतिकृति (पहले पांच दिन) के प्रारंभिक चरण में और अन्य सहायक विटामिन के साथ दिया गया, तो इवरमेक्टिन अन्य अधिक महंगी दवाओं की तुलना में कहीं अधिक प्रभावी थी। रोग के बाद के चरणों में भी यह अपने वायरस विरोधी गुणों के कारण काम करता है जो गंभीर जटिलताओं से बचने में मदद करते हैं।

क्या राय है दुनिया भर के वैज्ञानिकों की
सर्जन डॉ कावेरी नंबीसान और टेलीमेडिसिन प्रैक्टिशनर डॉ डेरेल डेमेलो का कहना है कि इवरमेक्टिन का उपयोग उन लोगों के लिए एक निवारक दवा के रूप में भी किया जाता है, जो संक्रमण के उच्च जोखिम में हैं, जैसे कि कोविड सकारात्मक व्यक्तियों के परिवार के सदस्य और सभी फ्रंटलाइन कार्यकर्ता, जिसमें स्वास्थ्य पेशेवर, पुलिस, यातायात और रेलवे कर्मी, बस, ऑटो और टैक्सी चालक आदि। यह कोविड के बाद की जटिलताओं और लंबे समय तक रहने वाले कोविड के इलाज में उपयोगी है। उनका मानना है कि इस दवा को देश भर में उपयोग के लिए जल्दी से शुरू कर दिया जाना चाहिए और आशा कार्यकर्ताओं को उनके स्वास्थ्य किट में उपयोग के लिए स्पष्ट निर्देशों के साथ प्रदान किया जाना चाहिए। वह बताते हैं कि दिसंबर 2020 में चिकित्सा विशेषज्ञों के एक समूह ने डॉ पॉल मारिक, उमेर्टो मेडुरी, जोस इंगलेसियस, पियरे कोरी और जो वरोन के नेतृत्व में अंतर्राष्ट्रीय फ्रंट-लाइन कोविड -19 क्रिटिकल केयर एलायंस का गठन किया गया। यूके में, डॉ लॉरी के नेतृत्व में एक टीम द्वारा ब्रिटिश इवरमेक्टिन अनुशंसा विकास पैनल की स्थापना की गई थी। आज तक, कोविड -19 संक्रमणों में इवरमेक्टिन के उपयोग पर 549 वैज्ञानिकों द्वारा 25,000 रोगियों पर 60 से अधिक क्नीनिकल परीक्षण और 31 रैंडम क्लीनिकल परीक्षण किए गए हैं। सभी वैज्ञानिक दृढ़ता से दवा के सार्वभौमिक उपयोग का समर्थन करते हैं।

किसने इजराद की थी इवरमेक्टिन  दवा
दोनों विशेषज्ञ बताते हैं कि 1979 में दो वैज्ञानिकों कैंपबेल और ओमुरा ने इवरमेक्टिन दवा की खोज की जो कई परजीवी संक्रमणों के खिलाफ प्रभावी पाई गई थी। दवा का निर्माण दवा कंपनी मर्क द्वारा किया गया था और इसके उपयोग के पिछले 40 वर्षों में, दुनिया भर में 3.7 बिलियन टैबलेट की खपत हुई है। यह डब्ल्यूएचओ की आवश्यक दवाओं की सूची में शामिल है। दोनों वैज्ञानिकों को उनकी खोज के लिए रसायन विज्ञान में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इवरमेक्टिन आमतौर पर इस्तेमाल की जाने वाली दवाओं जैसे इबुप्रोफेन, पेरासिटामोल, पेनिसिलिन और एस्पिरिन से अधिक सुरक्षित है। भारत में हर चिकित्सक इस दवा से परिचित है जो बच्चों के लिए भी सुरक्षित है। हालांकि, परजीवी संक्रमण अफ्रीका और एशिया के आर्थिक रूप से पिछड़े देशों के लिए अभिशाप है। निर्माता के लिए यह लाभ कमाने वाली दवा नहीं है, इसलिए मर्क ने शुरुआती वर्षों के बाद अपने पेटेंट का नवीनीकरण नहीं किया।

दवा के इस्तेमाल से टाला जा सकता है लॉकडाउन
डॉ नंबीसान और डॉ डेरेल डेमेलो ने अपने एक लेख में लिखा है कि इवरमेक्टिन एक सस्ती दवा है और इसका खर्चा गरीब आदमी भी वहन कर सकता है। अगर मरीज घर पर ली जा सकने वाली टैबलेट से जल्दी ठीक हो सकते हैं, तो हम लॉकडाउन को टाल सकते हैं। व्यापार और पर्यटन को खोल सकते हैं और पूरी दुनिया के टीकाकरण तक इंतजार किए बिना कॉलेज और स्कूल चला सकते हैं। इसका यह मतलब भी कतई नहीं है कि टीकाकरण आवश्यक नहीं है। हम जिस चीज को सुदृढ़ करने का प्रयास कर रहे हैं, वह यह है कि हमें जल्द से जल्द इवरमेक्टिन के साथ मास प्रोफिलैक्सिस की सरल, सुरक्षित, तेज विधि का उपयोग करना चाहिए। अगर ठीक से योजना बनाई जाए, तो इसे कुछ ही दिनों में किया जा सकता है।

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