Edited By Mohit,Updated: 16 Jul, 2019 05:21 PM
पेट की भूख मिटाने के लिए कई बार पढ़ने-लिखने की बजाए छोटे-छोटे बच्चों को अपना रोजगार कैसे न कैसे जान को खतरे में डालकर चलाना पड़ता है।
बाघापुराना (अजय): पेट की भूख मिटाने के लिए कई बार पढ़ने-लिखने की बजाए छोटे-छोटे बच्चों को अपना रोजगार कैसे न कैसे जान को खतरे में डालकर चलाना पड़ता है। गरीब परिवारों के बच्चे जानवरों का तमाशा, रस्सी पर चलना तथा अन्य कई तरह के करतब लोगोंको दिखाकर अपने लिए रोटी का जुगाड़ करते हैं। एक गरीब परिवार की बच्ची की ओर से अपनी जान को खतरे में डालकर रस्सी पर चलकर अपना करतब दिखाया जा रहा है।
बच्ची की ओर से गली-मोहल्लों, बाजारों, गांवों में अपने करतब दिखाकर लोगों से पैसे एकत्रित करने पड़ते है। जिससे शाम तक 100, 200 रुपए कमाकर अपनी रोजी-रोटी चलाती है। गरीब परिवार की बच्ची का कहना है कि ऐसे खेल तमाशे दिखाकर हम अपनी रोजी-रोटी के गुजारे के लिए रोजाना पैसे कमा लेते हैं। हम बाहरी राज्यों के होने के कारण हमें कहीं और कोई रोजगार नहीं मिलता। इसलिए हम अपनी जान को खतरे में डालकर रोजी-रोटी का साधन कर सकते हैं।