बिल्डिंग इंस्पेक्टर द्वारा बनने से पहले अवैध कालोनियों को रेगुलर करने का मामला, एक साल बाद भी नहीं हुआ कोई एक्शन

Edited By Radhika Salwan,Updated: 17 Jun, 2024 04:07 PM

case of regularization of illegal colonies before construction

नगर निगम के बिल्डिंग इंस्पेक्टर कुलजीत मांगट द्वारा जोन सी के एरिया में बनने से पहले अवैध कालोनियों को रेगुलर करने के मामले में एक साल बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

लुधियाना, (हितेश): नगर निगम के बिल्डिंग इंस्पेक्टर कुलजीत मांगट द्वारा जोन सी के एरिया में बनने से पहले अवैध कालोनियों को रेगुलर करने के मामले में एक साल बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई है। इस मामले का खुलासा एन जी ओ के सदस्यों द्वारा पिछले साल मई के दौरान किया गया था, जिसके मुताबिक बिल्डिंग इंस्पेक्टर मांगट द्वारा जसपाल बांगर, ढंडारी, गयासपूरा, ईस्टमैन चौक एरिया में कई ऐसी कालोनियों को रेगुलर करने की फीस जमा कर ली गई है, जो कालोनियां मौके पर मौजूद ही नहीं हैं।

जिसके मद्देनजर उस समय की कमिश्नर शेना अग्रवाल व लोकल बॉडी विभाग के विजिलेंस सेल की टीम द्वारा साइट विजिट की गई, लेकिन करीब एक साल बाद भी इस मामले की जांच रिपोर्ट अब तक फाइनल नहीं हुई है। जहां तक इस धांधली को अंजाम देने के आरोप में बिल्डिंग इंस्पेक्टर मांगट के खिलाफ कार्रवाई करने का सवाल है, उसे रसीद जारी करने के दो दिन बाद जोन बी के अधीन आते एरिया चंडीगढ़ रोड पर माल के अवैध निर्माण के पुराने मामले में सस्पेंड कर दिया गया था, लेकिन जोन सी का मामला पेंडिंग होने के बावजूद सरकार द्वारा बहाल करने के बाद बिल्डिंग इंस्पेक्टर मांगट को लुधियाना और नगर निगम कमिश्नर द्वारा में ही जोन सी के एरिया में लगा दिया गया।

इस तरह हुआ है नियमों का उल्लंघन व रेवेन्यू का नुकसान 

नियमों के मुताबिक मार्च 2018 से बनी अवैध कालोनियों को ही गुगल इमेज के साथ उस समय की रजिस्ट्री या एग्रीमेंट के आधार पर रेगुलर किया जा सकता है, लेकिन इस मामले में कालोनियां बनने से पहले ही उन्हें पुरानी पालिसी के तहत कवर करने की कोशिश की गई। जिससे नियमों का उल्लंघन इस तरह हुआ है कि नई कालोनी के मुताबिक सड़कों, पार्कों के लिए जगह नहीं छोड़ी गई और पूरे एरिया के सी एल यू, डेवलपमेंट चार्ज न लेने से रेवेन्यू को भी चुना लगाया गया है।

घोटाले पर पर्दा डालने में जुटे सी.वी.ओ सेल के ऑफिसर

इस मामले की जांच की जिम्मेदारी सरकार द्वारा लोकल बॉडीज विभाग के विजिलेंस सेल को सौंपी गई है, लेकिन उनके द्वारा कार्रवाई करने की बजाय घोटाले पर पर्दा डालने का ज्यादा जोर दिया जा रहा है। जिसका सबूत सी.वी.ओ सेल द्वारा अप्रैल में नगर निगम कमिश्नर को जारी पत्र के रूप में सामने आया है। जिसके मुताबिक इस संबंध में पिछले एक साल नगर निगम व सी.वी.ओ सेल के बीच कागजी कार्रवाई चल रही है, लेकिन पुख्ता एक्शन लेने की बजाय सी वी ओ सेल की तरफ से नगर निगम के ए टी पी व एम टी पी द्वारा भेजी गई रिपोर्ट को अधूरा बताकर लौटा दिया गया है। यहां तक कि नगर निगम से ही पूछा जा रहा है कि कालोनी बनने से पहले उसे गलत तरीके से रेगुलर करने वाले मुलाजिम के खिलाफ कार्रवाई व जमा फीस की गई फीस को लेकर क्या फैसला होना चाहिए।

कमिश्नर के ऑर्डर के 3 महीने बाद भी नहीं हुई रसीदें रद्द करने व चार्जशीट जारी करने की कार्रवाई

इस मामले में नगर निगम की कार्यप्रणाली भी सवालों के घेरे में है, जिसके द्वारा एक साल बाद भी न तो जांच रिपोर्ट फाइनल की गई और न ही कोई कार्रवाई की गई। हालांकि फरवरी के दौरान कानूनी सलाह के आधार पर एडिशनल कमिश्नर द्वारा गलत तरीके से कॉलोनी रेगुलर करने के लिए जमा की गई फीस की रसीदें रद्द करने और बिल्डिंग इंस्पेक्टर मांगट के खिलाफ सख्त एक्शन लेने की सिफारिश की गई थी। इस रिपोर्ट को स्वीकार करते हुए कमिश्नर द्वारा बिल्डिंग इंस्पेक्टर मांगट को चार्जशीट करने के निर्देश दिए गए थे, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

साइट पर हो रहा है निर्माण, गले नहीं उतरी कॉलोनाइजर को नोटिस जारी करने की बात

इस मामले में जोन सी की बिल्डिंग ब्रांच के अफसरों की बड़ी मिलीभगत सामने आई है, क्योंकि इतना बड़ा विवाद होने के बावजूद अवैध कालोनियों की साइट पर अब भी निर्माण हो रहा है। इस संबंध में शिकायत मिलने पर सी वी ओ सेल द्वारा नगर निगम को साइट की रिपोर्ट फोटो के साथ भेजने को कहा गया है, लेकिन अवैध कालोनी बनाने वालों के खिलाफ केस दर्ज करवाने की बजाय उसे नोटिस जारी करने बारे कमिश्नर द्वारा लिया गया फैसला समझ से परे है।
 

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