स्ट्रोक के रोगी को अपंग होने से बचा सकता है सही समय पर सही इलाज

Edited By Bhupinder Ratta,Updated: 20 Jan, 2020 11:18 AM

stroke patients can avoid being crippled right treatment at the right time

स्ट्रोक (जिसे ब्रेन अटैक भी कहा जाता है) तब होता है जब मस्तिष्क तक ऑक्सीजन और पोषक तत्व पहुंचाने वाली ब्लड वैसल्स (रक्त वाहिकाएं) ब्लॉक हो जाती हैं या फिर फट जाती हैं।

 

जालंधर(रत्ता): स्ट्रोक (जिसे ब्रेन अटैक भी कहा जाता है) तब होता है जब मस्तिष्क तक ऑक्सीजन और पोषक तत्व पहुंचाने वाली ब्लड वैसल्स (रक्त वाहिकाएं) ब्लॉक हो जाती हैं या फिर फट जाती हैं। इन ब्लड वैसल्स के ब्लॉक हो जाने या फट जाने से ब्रेन टिश्यू में ऑक्सीजन एवं रक्त नहीं पहुंच पाता जिससे दिमाग की कोशिकाएं नष्ट होने लगती हैं। 

व्यक्ति का पूरा शरीर दिमाग के इशारे पर ही चलता है और अगर दिमाग पर ही आघात लगे तो शरीर काम नहीं कर पाता इसलिए स्ट्रोक होते ही रोगी को तुरंत ऐसे अस्पताल ले जाया जाना चाहिए जहां इलाज की हर प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध हों। 

विशेषज्ञों के अनुसार स्ट्रोक दुनिया भर में मौत और विकलांगता के मुख्य कारणों में से सबसे बड़ा कारण है तथा विश्व में हर साल लगभग 1.5 करोड़ लोग स्ट्रोक का शिकार होते हैं और इनमें से भारत में लगभग 18 से 20 लाख मामले सामने आते हैं।  सर्दियों में स्ट्रोक के मामले इसलिए ज्यादा बढ़ जाते हैं क्योंकि एक तो ठंड में रक्त वाहिकाएं सिकुड़ जाती हैं जिससे वैसे ही रक्त का प्रवाह कम हो जाता है और दूसरा व्यक्ति की जीवनशैली ठंड के कारण सुस्त हो जाती है। विशेषज्ञ बताते हैं कि वैसे तो स्ट्रोक किसी को भी हो सकता है लेकिन 50-55 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को खतरा ज्यादा होता है। लोग आजकल चाहे कुछ बीमारियों को लेकर जागरूक हैं लेकिन फिर भी स्ट्रोक के लक्षणों व समय पर इलाज के महत्व बारे जागरूकता की बहुत जरूरत है। 

स्ट्रोक के मुख्य कारण 

  •  हाई ब्लड प्रैशर 
  •  हाई कोलैस्ट्रॉल
  •  शूगर
  •  तनाव 
  • मोटापा
  • धूम्रपान एवं शराब का सेवन

स्ट्रोक के मुख्य लक्षण 

  • शरीर की एक साइड कमजोर होना 
  •  बोलने या समझने में अचानक मुश्किल होना 
  •  अचानक तेज या असाधारण सिरदर्द
  •  अचानक संतुलन खो देना या ठीक से चल न पाना
  •  अचानक दिखना बंद हो जाना
  •  एक या दोनों आंखों से धुंधला दिखाई देना  
  •  चक्कर आना 

महत्वपूर्ण  होते हैं पहले साढ़े 4 घंटे

 एन.एच.एस. अस्पताल के सीनियर न्यूरोलॉजिस्ट डा. संदीप गोयल का कहना है कि लेटैस्ट मैडीकल एडवांसमैंट तथा रिसर्च अध्ययनों में देखा गया है कि स्ट्रोक के रोगी को अगर साढ़े 4 घंटे के भीतर विशेष इंजैक्शन देकर इलाज शुरू किया जाए तो अधरंग को काफी हद तक रोका जा सकता है। स्ट्रोक के रोगी को अपंगता से बचाने के लिए सही समय पर सही अस्पताल में सही इलाज बहुत महत्वपूर्ण होता है।      
  

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