जालंधर में स्मार्ट घोटाले के बाद अब नगर निगम के अफसरों पर लगे ये आरोप

Edited By Urmila,Updated: 29 Apr, 2024 01:37 PM

after the smart scam in jalandhar

स्मार्ट सिटी की बात करें तो थर्ड पार्टी रिपोर्ट और कैग रिपोर्ट में इसके कई घोटाले साबित हो चुके हैं जिस संबंध में अभी कोई एक्शन नहीं हुआ।

जालंधर: 10 साल पहले केंद्र की सत्ता में आई नरेंद्र मोदी सरकार ने देश के शहरों को साफ और सुंदर बनाने के लिए स्मार्ट सिटी मिशन, स्वच्छ भारत मिशन और अमरूत जैसी स्कीमें लांच कीं जिनके माध्यम से पंजाब जैसे राज्य को अरबों रुपए की आर्थिक मदद केंद्र सरकार से मिली परंतु जालंधर में समय-समय पर रहे अफसरों ने करोड़ों रुपया खा पी लिया जिस संबंध में केंद्र सरकार कुछ नहीं कर सकी।

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स्मार्ट सिटी की बात करें तो थर्ड पार्टी रिपोर्ट और कैग रिपोर्ट में इसके कई घोटाले साबित हो चुके हैं जिस संबंध में अभी कोई एक्शन नहीं हुआ। स्टेट विजिलैंस ने भी अभी कोई कार्रवाही नहीं की। जालंधर में रहे अफसर स्वच्छ भारत मिशन के तहत आई ग्रांट का भी सही उपयोग नहीं कर सके जिसका खामियाजा शहर आज तक भुगत रहा है।

जालंधर निगम को कांग्रेस की सरकार दौरान अमरूत योजना के तहत भी केंद्र से भारी धनराशि मिली परंतु अमरूत योजना का ज्यादातर पैसा खुर्द-खुर्द ही हो गया। काम करने वाले ठेकेदार जहां मालामाल हो गए, वहीं समय-समय पर रहे राजनेता भी अपनी तिजौरियां भरते रहे।

अक्सर आरोप लगते रहे कि अमरूत योजना का पैसा जिस मकसद के लिए आया था, उसका सही इस्तेमाल ही नहीं हो पाया। पीने वाले पानी को सप्लाई करने वाली पुरानी पाइपों को बदलने और नई पाइपें बिछाने के नाम पर अमरूत योजना के तहत जालंधर निगम के लिए कुछ साल पहले करीब 84 करोड़ की ग्रांट पास हुई जिसके तहत एक एस.टी.पी. को भी अपग्रेड किया जाना था।

पंजाब सरकार के निर्देशों पर जालंधर निगम ने 84 करोड़ के काम के टैंडर भी लगाए परंतु कोई भी ठेकेदार या कंपनी इतनी बड़ी धनराशि के काम करने को राजी नहीं हुई। ऐसे में जालंधर नगर निगम ने पानी की पाइपों को बदलने और नई पाइपें डालने के काम के लिए 21 करोड़ के 3 टैंडर लगाए जो 7-7 करोड़ रुपए के थे परंतु उन टैंडरों में भी भारी घोटाला हो गया जिसकी अब यदि विजिलैंस से जांच करवाई जाए तो उस काम के ठेकेदारों के अलावा कई अफसर और राजनेता तक फंस सकते हैं ।

अफसरों ने सरकार का नहीं, ठेकेदारों का पक्ष लिया

पहले अकाली भाजपा और फिर कांग्रेस सरकार दौरान जालंधर निगम का सिस्टम इतना बिगड़ा रहा कि ठेकेदारों से पूरी मिलीभगत होने के चलते अफसरों ने कभी किसी मौके पर जाकर न तो कोई जांच की, न सैंपल भरे, न किसी ठेकेदार को नोटिस जारी किए । उन्हें ब्लैकलिस्ट करना तो बहुत दूर की बात रही। अफसरों ने बात बात पर सरकार का पक्ष लेने की बजाए ठेकेदारों के हक में बात की। ठेकेदारों और अफसरों के नैक्सस में नेताओं की भी एंट्री हुई जिस कारण अफसरों और ठेकेदारों ने खूब लूट मचाई ।

स्वच्छ भारत अभियान के तहत सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट पर कुछ नहीं हुआ

केंद्र सरकार ने आज से कई साल पहले जब देश में स्वच्छ भारत मिशन की शुरुआत की और शहरों को साफ सफाई हेतु अतिरिक्त ग्रांटें बांटी तो देश के कई राज्यों और शहरों ने इस अभियान का फायदा उठाया। आज देश के असंख्य शहरों में स्वच्छ भारत अभियान का असर साफ दिखाई देता है परंतु जालंधर की बात करें तो दावे से कहा जा सकता है कि स्वच्छ भारत अभियान के करोड़ों रुपए खर्च करने के बावजूद शहर में साफ-सफाई के हालात और भी ज्यादा बिगड़े हैं । निगम ने अब तक सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के जितने भी प्रोजैक्ट लागू किए, वह सभी फेल साबित हुए हैं और उन पर खर्च किया गया करोड़ों रुपया बेकार गया है। माना जा रहा है कि स्वच्छ भारत मिशन के तहत जालंधर में सॉलिड वेस्ट मैनेजमैंट प्लांट नहीं लग सका तो निगम अपने पैसों से यह प्लांट कभी नहीं लगा सकता।

किसी भी सरकार से कंट्रोल नहीं हुए अफसर

जब पंजाब पर अकाली भाजपा का राज हुआ करता था तभी जिंदल कंपनी ने सॉलिड वेस्ट मैनेजमैंट का कॉन्ट्रैक्ट भी लिया था परंतु कंपनी अपना प्लांट ही नहीं लगा सकी और यहां से चली गई । उसके बाद सुखबीर बादल के निर्देशों पर मॉडल डंप बनाए गए परंतु एक दिन भी नहीं चल सके। उसके बाद अंडरग्राऊंड बिन बनाने के नाम पर फिर करोड़ों खर्च किए गए और वह प्रोजैक्ट भी बुरी तरह फेल हो गया ।

उसके बाद कांग्रेसी सरकार आई तो उसने भी करोड़ों रुपए खर्च करके कई जगह पिट कंपोस्टिंग यूनिट और एम.आर.एफ. सैंटर बनवा दिए पर उस सरकार से भी एक सैंटर तक नहीं चल सका और 5 साल में कांग्रेसी 5 किलो कूड़े को भी खाद में नहीं बदल सके । अब आम आदमी पार्टी को आए हुए 2 साल से ज्यादा समय हो चुका है परंतु उसके नेताओं से भी कूड़े संबंधी हालात काबू में नहीं आ रहे। न ही स्मार्ट सिटी में हुए भ्रष्टाचार का पर्दाफाश हो पाया है और न ही किसी को अमरूत मिशन में हुए घोटाले का ज्ञान है। इस प्रकार किसी भी सरकार से अफसरशाही कंट्रोल ही नहीं हुई।

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