कैसे होगा शिक्षा के स्तर का विकास: सरकारी प्राइमरी स्कूल में कमरा एक, कक्षाएं 5

Edited By Vatika,Updated: 22 Oct, 2019 12:48 PM

room one class 5 in government primary school

पंजाब सरकार, शिक्षा विभाग तथा जिला प्रशासन इस समय जिला गुरदासपुर की प्राइमरी शिक्षा का स्तर ऊंचा करने के कई दावे कर रहा है

गुरदासपुर (विनोद): पंजाब सरकार, शिक्षा विभाग तथा जिला प्रशासन इस समय जिला गुरदासपुर की प्राइमरी शिक्षा का स्तर ऊंचा करने के कई दावे कर रहा है, परंतु सरकारी प्राइमरी स्कूल कोठे मोहम्मदपुर जो इस समय नगर सुधार ट्रस्ट गुरदासपुर की स्कीम नंबर-1 की पहली मंजिल पर बने एक हाल में चल रहा है, सरकार, शिक्षा विभाग तथा जिला प्रशासन के दावों की पोल खोल रहा है।

इसके तहत स्कूल के एक हाल में 5 कक्षाएं, एक प्री-नर्सरी कक्षा सहित स्कूल का सामान आदि पड़ा है। यदि सरकारी प्राइमरी स्कूलों की हालत ऐसी होगी तो कौन अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में शिक्षा ग्रहण करने के लिए भेजेगा। सरकारी प्राइमरी स्कूल कोठे मोहम्मदपुर कई सालों से गांव के कम्युनिटी हाल जिसे अम्बेदकर भवन भी कहा जाता है, में चल रहा था, परंतु गांव निवासियों ने कुछ वर्ष पहले अपनी इस इमारत को खाली करने के लिए संघर्ष शुरू किया तो स्कूल में शिक्षा ग्रहण कर रहे बच्चों की पढ़ाई पर असर पडऩे लगा। प्रतिदिन के शोर-शराबे के कारण स्कूल में बच्चों का आना बंद हो रहा था। तब उस समय के जिलाधीश अभिनव त्रिखा जो नगर सुधार ट्रस्ट गुरदासपुर के चेयरमैन भी थे, ने नगर सुधार ट्रस्ट की स्कीम नंबर-1 की प्रथम मंजिल पर बने हाल में इस स्कूल को अस्थाई रूप से शिफ्ट कर दिया, तब से यह स्कूल इसी हाल में चल रहा है। इस स्कूल की हालत को देख कर यह नहीं कहा जा सकता कि यह एक सरकारी स्कूल है।

अध्यापकों के लिए नहीं शौचालय की व्यवस्था
इस स्कूल के हैड टीचर सुरजीत सिंह के अनुसार उन्होंने एक माह पहले ही कार्यभार संभाला है। उन्होंने बताया कि शौचालय ठीक करवाने के लिए हमें 25 हजार रुपए की ग्रांट मिली थी, उससे बच्चों के लिए 2 टॉयलैट ठीक करवाए गए, जबकि यहां आज भी अध्यापकों के लिए कोई शौचालय नहीं है। अध्यापकों को आस-पास के घरों में जाना पड़ता है। जरूरत इस बात की है कि इस स्कूल को वहां शिफ्ट किया जाए जहां कम से कम 5-6 कमरे हों तथा शौचालयों की व्यवस्था हो। वहीं मिड-डे मील बनाने के लिए अलग से रसोई होनी चाहिए तथा हर माह कम से कम 4 गैस सिलैंडर मिलने चाहिए, जबकि इस समय प्रतिमाह एक सिलैंडर ही मिल रहा है।

सीढिय़ों पर टीन डाल कर बनाया जा रहा मिड-डे मील
इस स्कूल का दौरा करने पर पाया गया कि स्कूल की सीढिय़ों पर टीन डाल कर स्कूल के ब"ाों के लिए मिड-डे मील तैयार करने के लिए रसोई बनाई गई है जिस पर टीन की 4 फुट ऊंची छत है। इसमें लकड़ी जला कर मिड-डे मील तैयार किया जाता है। गर्मी के मौसम में इस रसोई में खाना बनाना बहुत ही कष्टदेह होता है। स्कूल में एक की हाल में पांचों कक्षाएं तथा प्री-नर्सरी कक्षा होने के कारण कौन अध्यापक क्या पढ़ा रहा है, कुछ समझ में नहीं आता।

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