हिमाचल में अवैध खनन का अंजाम भुगत रही पठानकोट की क्रशर इंडस्ट्री

Edited By swetha,Updated: 10 Jan, 2020 10:23 AM

pathankot s crusher industry suffers from illegal mining in himachal

क्रशरों पर लगे डम्प देते हैं अवैध खनन के सबूत

पठानकोट(आदित्य): जिले में हजारों करोड़ों की लागत से स्थापित की गई क्रशर इंडस्ट्री जोकि काफी समय से मंदी की मार से प्रभावित हो चुकी थी, लेकिन अब माइङ्क्षनग पॉलिसी पंजाब में लागू होने और जिला पठानकोट की खड्डों को एन्यावरनमैंट क्लीयरैंस मिलने के बाद इस क्रशर इंडस्ट्री की रुकी पड़ी चाल को चलने का मौका मिला तो पठानकोट के साथ लगते हिमाचल के कांगड़ा जिले में अवैध तरीके से खनन व माल तैयार कर उसे पठानकोट के रास्ते पंजाब के विभिन्न क्षेत्रों में सप्लाई किया जा रहा है। इस कारण पठानकोट की इंडस्ट्री प्रभावित हो रही है। 

हिमाचल सरकार के नियमों अनुसार माइनिंग के लिए जे.सी.बी. मशीन नहीं लगाई जा सकती है, लेकिन फिर भी पीला पंजा चक्की दरिया का सीना छलनी कर अवैध माइङ्क्षनग को बढ़ावा देकर सरेआम सरकारी नियमों की धज्जियां उड़ा रहा है। जिसके सबूत हिमाचल क्षेत्र के अधीन चक्की दरिया में अवैध माइङ्क्षनग करने लगी हुई जे.सी.बी. मशीनों व ट्रकों को देखा जा सकता है और जब मीडिया व प्रशासन की इन पर नजर पड़ती है तो यह अवैध खनन के लिए बनाए गए दुर्गम रास्तों के जरिए हिमाचल की तरफ भाग जाते हैं। जहां पर किसी छोटी गाड़ी का पहुंचना संभव ही नहीं नामुमकिन है। पिछले समय में काफी मशक्कत से संबंधित विभाग की ओर से अवैध माइनिंग के खिलाफ कार्रवाई करते हुए कई जे.सी.बी. टिप्परों को पकड़ा भी जा चुका है, परंतु अवैध माइनिंग करने वाले फिर भी इस अवैध कार्य को धड़ल्ले से अंजाम दे रहे हैं। हिमाचल में हो रहे इस अवैध कार्य से जिला पठानकोट की इंडस्ट्री पिछले काफी समय से नुक्सान झेल रही है तथा सरकार को मिलने वाले करोड़ों रुपए के रैवेन्यू को भी नुक्सान पहुंच रहा है। 

क्रशरों पर लगे डम्प देते हैं अवैध खनन के सबूत 
भले ही प्रशासन का कहना है कि लीज पर ली गई जमीनों पर ही खनन किया जा रहा है और यह भी मानते हैं कि हिमाचल के क्षेत्र में जे.सी.बी. या उससे भी बड़ी पोकलेन मशीनों से खनन करने पर पूरी तरह से पाबंदी है जबकि हकीकत कुछ और ही दिखाई देती है। इन बड़ी-बड़ी जे.सी.बी. मशीनों द्वारा खनन करने वाले सरेआम कानून की धज्जियां उड़ा रहे हैं तथा स्टोर (डंप) माल उठाने की आड़ में चक्की में बेखौफ होकर धड़ल्ले से अवैध खनन के लिए लगी जे.सी.बी. मशीनें चक्की को बड़े-बड़े खड्डों में तबदील करने में लगीं हैं। यह कच्चा मॉल टिप्परों के जरिए सीधा क्रशरों पर पहुंचाया जाता है। हिमाचल में लगे कुछ क्रशरों पर देखे जाने वाले कच्चे माल के डंप इस बात को दर्शाते हैं। देखा जाए तो जिस हिसाब से हिमाचल में लगातार क्रशर चल रहे हैं और मॉल तैयार करके बड़े-बड़े रेत-बजरी के ढेर लगाए जा रहे हैं, उससे तो बिजली बिल काफी अधिक होना चाहिए, परन्तु फिर भी हिमाचल के क्रशर अपने पंजाब के मुकाबले सस्ते रेटों पर बेच रहे हैं और उनके बिजली बिल भी कम आते हैं जोकि हैरानी की बात है।   

जिले में बंद हो चुके हैं कई क्रशर

आलम ये है कि हिमाचल में क्रशर इंडस्ट्री को न ही रियालटी देनी पड़ती है और न ही सेल्स व इनकम टैक्स। वह सिर्फ बिजली बिलों पर अपने क्रशर चला रहे हैं। जिसके कारण उनके माल के निर्माण में लागत कम आती है जबकि जिला पठानकोट में बेहडिय़ां, हरियाल, मीरथल, कीडिय़ा व नरोट जैमल सिंह में करीब 250 स्टोन क्रशर है तथा इन क्रशरों को माइङ्क्षनग रियालटी, बिजली बिल के अलावा अन्य कई टैक्स अदा करने पड़ते है। इसके बाद उन्हें अपनी लागत निकालकर कीमत तय करके रेत बजरी बेचनी पड़ती है। यही नहीं इस बार यहां की माइङ्क्षनग की बोली अब तक की सबसे महंगी गई है और ऊपर से जिले का हर क्रशर उद्यमी कर्ज के बोझ तले है। इसी बात का फायदा उठाकर वह पंजाब में अपना सस्ते दामों पर रेत-बजरी बेचते हैं। अगर हिमाचल से इसी प्रकार मॉल पंजाब में सप्लाई होता रहा तो पठानकोट की क्रशर इंडस्ट्री का भविष्य खतरे में आ जाएगा। यही नहीं पिछले समय में मीरथल व जिले के अन्य क्षेत्रों में इस वजह से कई क्रशर बंद हो चुके है। 

मानसिक परेशान होने को मजबूर क्रशर उद्यमी 
पठानकोट के क्रशर उद्यमियों का कहना है कि वह पिछले समय में भी इस अवैध कार्य को रूकवाने के लिए सरकार से मांग कर चुके हैं और संघर्ष का रास्ता भी अपना चुके हैं, परन्तु फिर भी हिमाचल में अवैध खनन व मॉल तैयार कर सस्ते रेटों पर पंजाब में बेचा जा रहा है। इसके लिए सैंकड़ों ट्रक रोजाना हिमाचल से दिन-रात पठानकोट के रास्ते पंजाब के विभिन्न शहरों में जाते हैं। जो अभी पठानकोट में क्रशर चला रहे हैं वह मानसिक रूप से परेशान होने हैं।इसके साथ ही उनकी परेशानी की वजह वह लोग भी है जो उनपर अवैध खनन के झूठे आरोप लगाकर ब्लैकमेलिंग करने का प्रयास कर रहे हैं। जिससे उनके खर्चे भी बड़ी मुश्किल से पूरे हो रहे हैं। हालात बिगडऩे से पहले सरकार को इस तरफ ध्यान देना चाहिए। 

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