पानी की कमी से जमीनें हो रही बंजर, परेशानी के आलम में किसान

Edited By Kalash,Updated: 14 Jun, 2022 05:10 PM

lands are becoming barren due to lack of water farmers in trouble

गत कई दिनों से लू का प्रकोप जारी है। तापमान 45 से 47 डिग्री सैल्सियस के बीच रहता है

श्री मुक्तसर साहिब (तनेजा, खुराना): गत कई दिनों से लू का प्रकोप जारी है। तापमान 45 से 47 डिग्री सैल्सियस के बीच रहता है। लोग बीमार हो रहे हैं और गर्मी के कारण कुछ मौतें भी हुई हैं। जब तक बारिश नहीं होती तब तक गर्मी से राहत मिलने के कोई असार नहीं हैं।

भीषण गर्मी के कारण मालवा क्षेत्र में नरमे की फसल खराब हो रही है। नरमे के पौधे गर्मी से सूख रहे हैं जिससे किसान परेशान हो रहा है। कई जगहों पर नरमे की फसल लगाने के लिए नहरी पानी नहीं मिल रहा, अगर किसानों को फसलों के लिए नहरी पानी पूरा मिले तो शायद यह हाल न हो। अगले कुछ दिनों तक अगर गर्मी का यही हाल रहा तो नरमे का और भी नुक्सान होगा।

सरकारों ने खेती संबंधी नहीं बनाई ठोस नीति
देश को आजाद हुए लगभग 75 साल बीत चुके हैं। कई सरकारें बदली परंतु खेती संबंधी किसी भी सरकार ने कोई ठोस नीति नहीं बनाई। यहां तक कि फसलों के लिए पूरा नहरी पानी का ही प्रबंध नहीं किया जा सका। टेलों पर पड़ते गांवों के किसानों की हालत और दयनीय है क्योंकि वहां किसान नहरी पानी की कमी के कारण फसलों की बिजाई भी समय पर नहीं कर सकते। पानी की कमी से कई जमीनें फसलें बीजने से वंचित रह जाती हैं।

पानी की कमी से जमीनें हो रही बंजर
नहरी पानी की कमी से अनेकों जगहों पर जमीनें बंजर हो रही हैं और फसलें नहीं होती। जमीनें खाली पड़ी रहती हैं जिस कारण किसानों का आर्थिक पक्ष से बहुत ज्यादा नुक्सान हो जाता है। पहले ही कर्जों की मार तले आए किसानों की हिम्मत टूट रही है। नहरी पानी को पूरा करने के लिए टेलों पर पड़ते गांवों के किसानों को बचाने हेतु नई कस्सी निकालने की जरूरत है। समय की सरकारों ने नई कस्सी निकालने के लिए सिर्फ वायदे ही किए जिस कारण किसान वर्ग निराशा के आलम में है।

ग्रामीण क्षेत्रों में धरती निचला पानी ज्यादा दूषित
ग्रामीण क्षेत्रों में धरती निचला पानी कुछ ज्यादा ही दूषित है जो फसलें लगाने के लायक नहीं है क्योंकि इसमें शोरे व तेजाब के जहरीले तथ्य हैं। अगर कोई किसान ऐसा पानी जमीन को लगा भी लेता है तो उपजाऊ जमीनें खराब हो जाती हैं। वहीं नहरी पानी की कमी को पूरा करने के लिए भले किसानों ने ट्यूबवैल लगाए हुए हैं परंतु लगभग 87 रुपए प्रति लीटर डीजल फूंककर ट्रैक्टर, इंजनों व जनरेटरों से ट्यूबवैल चलाने कोई आसान कार्य नहीं है। जिला श्री मुक्तसर साहिब के गांवों से गुजरने वाली बड़ी चंदभान ड्रेन से बहुत से किसान पंखों से पानी अपने खेतों को लगा रहे हैं और लाखों रूपए का डीजल फूंका जा रहा है।

किसान कर रहे बारिश का इंतजार
गर्मी से अपनी फसलों को बचाने के लिए इस समय किसान बारिश का इंतजार कर रहे हैं अर बारिश के लिए गांवों में यज्ञ किए गए हैं और अरदास करवाई जा रही हैं। गत साल से इस बार गर्मी की तपश जल्द आने के कारण इस बार गेहूं का झाड़ भी कम रहा और अब बेतहाशा गर्मी की मार नरमे की फसल पर भी भारी पड़ रही है।

प्रमुख खरीफ फसलों में से एक है नरमा
नरमा पंजाब की प्रमुख खरीफ फसलों में से एक है और इसकी खेती ज्यादातर मालवा क्षेत्र के जिलों में की जाती है। इसलिए इन जिलों की अर्थव्यवस्था इस फसल पर अत्यधिक निर्भर है। 2017-18 में पंजाब में 2.87 लाख हैक्टेयर क्षेत्र में नरमे की खेती की गई जिससे कुल 12.71 लाख गांठें पैदा हुईं और नरमे की औसत उपज 3.04 क्विंटल प्रति एकड़ थी। नरमे तले रकबा कम कर धान व बासमती में बढ़ाया है लेकिन यह परिवर्तन आने वाले समय में जमीन, पानी और पर्यावरण की समस्याओं को जन्म दे सकता है। इस फससी चक्कर ने मिट्टी के स्वास्थ्य को गंभीर नुक्सान पहुंचाया है।

दक्षिण-पश्चिमी भागों का मौसम नरमे हेतु अनुकूल
पंजाब के दक्षिण-पश्चिमी भागों का मौसम नरमे की खेती के लिए बहुत अनुकूल है। इसलिए कृषि में विभिन्नता लाने और धान के तहत क्षेत्र को कम करने के लिए इन जिलों में नरमे की खेती को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। आम तौर पर नरमे के झाड़ कम होने के मुख्य कारण सुधरी किसमों बारे जानकारी की कमी, पिछेती बिजाई, कीड़े-मकौड़े व नदीनों संबंधी समस्याएं, खादों व पानी का असंतुलित प्रयोग करना हैं। इसलिए नरमे का अधिक झाड़ लेने के लिए इसके तकनीकी काश्तकारी ढंगों के बारे में जानकारी होनी बहुत जरूरी है।

गत वर्ष के मुकाबले इस साल रकबा हुआ कम
पंजाब में गत वर्ष के मुकाबले इस साल साऊनी की मुख्य फसल नरमे का नीचला रकबा कम हुआ है। राज्य सरकार के खेतीबाड़ी विभाग द्वारा निश्तित लक्ष्य वाले रकबे में नरमे की खेती के अधीन इस बार रकबा कम हो गया है। विशेषज्ञों के अनुसार इसके 2 कारण बताए जा रहे हैं। पहला कारण नरमा पट्टी में इस फसल का बिजाई सीजन अप्रैल महा के दूसरे सप्ताह से मई माह के अंतिम तक नहरी पानी का न मिलना है। मालवा क्षेत्र में जहां नरमा होता है, वहां नहरों में पानी की बंदी ही रही है। अगर सरकारों नहरी पानी की कमी को दूर करे तो नरमे की काश्त वाला रकबा बढ़ सकता है।

इन क्षेत्रों में हुई मिट्टी खराब
धरती की सेहत बिगड़ने का सबसे बड़ा सूचक है सॉइल ऑर्गेनिक कार्बन जोकि गत कुछ सालों से बढ़ गया है परंतु पंजाब की मिट्टी बंजर हो गई है। केन्द्रीय पंजाब में मिट्टी की क्वालिटी अच्छी है। खारा पानी मिट्टी की सेहत खराब होने का एक बड़ा कारण है। मनुष्य की सेहत जितनी जरूरी है, उतनी ही धरती की सेहत भी जरूरी है।

नहरी पानी बढ़ाने की मांग
इस क्षेत्र के किसानों अमरजीत सिंह कौड़ियांवाली, डा. सुरेन्द्र सिंह भुल्लर, परमिंदर सिंह, सरबन सिंह बारड़, महल सिंह व जरनैल सिंह ने सरकार से मांग की है कि किसानों की जमीनें बंजर होने से बचाने व फसलों को बचाने के लिए नहरी पानी की कमी दूर की जाए। उन्होंने कहा कि अगर फसलें होंगी तो ही किसान वर्ग कामयाब हो सकेगा और कर्जे के बोझ तले नहीं आएगा।

अपने शहर की खबरें Whatsapp पर पढ़ने के लिए Click Here

पंजाब की खबरें Instagram पर पढ़ने के लिए हमें Join करें Click Here

अपने शहर की और खबरें जानने के लिए Like करें हमारा Facebook Page Click Here


 

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!